बिहार में वकीलों को सुरक्षा नहीं, कोर्ट परिसर में हुए हादसे से सदमा

पटना सिविल कोर्ट में पश्चिम द्वार के पास लगे ट्रांसफार्मर की मीट्रिंग यूनिट 13 मार्च की दोपहर लगभग डेढ़ बजे तेज आवाज के साथ विस्फोट कर गया. हादसे में नोटरी अधिवक्ता देवेंद्र प्रताप (लोहानीपुर निवासी) की झुलसने से मौके पर ही मौत हो गई.

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नाजिश महताब
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पटना सिविल कोर्ट

पटना सिविल कोर्ट

पटना सिविल कोर्ट में पश्चिम द्वार के पास लगा ट्रांसफार्मर की मीट्रिंग यूनिट 13 मार्च की दोपहर लगभग डेढ़ बजे तेज आवाज के साथ विस्फोट कर गया. हादसे में नोटरी अधिवक्ता देवेंद्र प्रताप (लोहानीपुर निवासी) की झुलसने से मौके पर ही मौत हो गई. इस घटना में वकील, मुवक्किल और मुंशी सहित आधा दर्जन लोग आग से ज़ख्मी हो गए. बिजली की आग से झुलसे दो की हालत गंभीर बनी है, जिन्हें उपचार के लिए पीएमसीएच में भर्ती कराया गया है. दुर्घटना में वकील की मौत से आक्रोशित अधिवक्ताओं ने हंगामा करते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिए जाने नहीं दे रहे थे. रविवार को ख़बर आई की गंभीर रूप से एक घायल की मौत हो गई है.

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पटना सिविल कोर्ट परिसर स्थित ट्रांसफार्मर में हाई लोड के कारण अचानक आग लग गई. पास में बैठे वकील इसकी चपेट में आ गए. आग की चपेट में आए दो अन्य वकीलों की हालत गंभीर बनी हुई है.उन्हें पीएमसीएच में भर्ती कराया गया है. हादसे के बाद वकील, प्रशासन के खिलाफ धरने पर बैठ गए. पुलिस उपाधीक्षक (नगर) अशोक कुमार सिंह के मुताबिक, विस्फोट दोपहर में सिविल कोर्ट में हुआ, जिसमें एक नोटरी की मौके पर ही मौत हो गयी.

लेगम मैजिस्टर की पढ़ाई कर रहे सुंदरम बताते हैं कि “कोर्ट के सिक्योरिटी का ज़िम्मा राज्य सरकार का होता है, बकायदा इसपर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस है और मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स की गाइडलाइंस है. प्रोटेक्शन ऑफ जजेस एंड कोर्ट प्रीमाइस ये कांस्टीट्यूशन के भारतीय संविधान के 7 शेड्यूल लिस्ट 2 में दिया गया है. हर कोर्ट में प्रोटेक्शन रिव्यू कमिटी होती है जिसका काम कोर्ट के अंदर जाने वाले चीज़ों को जांच करना होता है ताकि लोग, जजेस और कोर्ट प्रीमाइसेस सुरक्षित रहे. इसकी ड्यूटी स्टेट गवर्नमेंट यानी राज्य सरकार की होती है. अगर बॉम्ब विस्फोट वाले मामले की बात की जाए तो पहली कमी थी एक्सपर्ट में और दूसरी कमी थी स्कैनिंग में जिसमें राज्य सरकार हमेशा पीछे रही है.” 

पटना सिविल कोर्ट में ब्लास्ट में घायल वकील

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सुरक्षा का जिम्मा राज्य सरकार के पास

बिहार सिविल कोर्ट, माननीय पटना उच्च न्यायालय के अंतर्गत आता है और 1968 के सिविल कोर्ट नियमों द्वारा शासित होता है. यह राज्य सूची के अंतर्गत है. जिला अदालतों में कार्यरत न्यायिक अधिकारियों सहित सभी अधिकारी बिहार सरकार के कर्मचारी हैं और बिहार सेवा संहिता के अंतर्गत आते हैं.

इस घटना से पहले भी कोर्ट में बॉम्ब ब्लास्ट हो चुका है.1 जुलाई 2023 यानी शुक्रवार को पटना में सिविल कोर्ट परिसर के अंदर एक कम तीव्रता वाला बम विस्फोट हुआ, जिसमें एक पुलिस अधिकारी घायल हो गये,जो जांच के लिए विस्फोटक लेकर आया था. पीरबहोर पुलिस स्टेशन, जिसके अंतर्गत घटना स्थल आता है, के SHO सबीउल हक ने कहा, सब-इंस्पेक्टर के हाथ में चोटें आई हैं, लेकिन वह खतरे से बाहर हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, सब-इंस्पेक्टर राय जांच के लिए बमों को एक बक्से में रखकर ले जा रहे थे. उसने बक्सा संबंधित सहायक अभियोजन अधिकारी की मेज पर रख दिया, तभी उसमें विस्फोट हो गया.

पटना के एसएसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों के मुताबिक, विस्फोट गर्मी और घर्षण के कारण हुआ क्योंकि विस्फोटक एक बक्से के अंदर रखा गया था. उन्होंने आगे कहा कि एसआई इसे लेकर अदालत जा रहे थे क्योंकि यह इस सप्ताह की शुरुआत में पटेल छात्रावास में छापेमारी के दौरान जब्त की गई वस्तुओं में से एक थी. एसएसपी ने पुष्टि की कि शुक्रवार को हुई घटना में एसआई के अलावा कोई अन्य व्यक्ति घायल नहीं हुआ है. पीरबहोर थानेदार ने कहा कि मामले की जांच चल रही है कि कोर्ट में लाने से पहले बमों को ठीक से डिफ्यूज किया गया था या नहीं.

बिहार के कोर्ट का अलग इतिहास

18 अप्रैल 2016, सोमवार की सुबह पटना से 80 किमी उत्तर पश्चिम में छपरा सिविल कोर्ट में हुए विस्फोट में दो महिलाओं और एक विचाराधीन कैदी सहित छह लोग घायल हो गए. बिहार में दो महीने के अंदर कोर्ट परिसर में यह दूसरा विस्फोट है. इससे पहले रोहतास कोर्ट परिसर में भी धमाका हुआ था. यह घटना अत्यधिक सुरक्षित क्षेत्र में सुबह करीब 8.35 बजे हुई जब कैदियों को कार्यवाही के लिए सिविल कोर्ट में लाया गया था. पूछताछ के लिए तीन संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है, जिनमें एक महिला, जिसकी पहचान छपरा के अवतारनगर थाना क्षेत्र की रहने वाली खुशबू कुमारी के रूप में की गई है, शामिल है. कहा जाता है कि घायल महिलाओं में से एक कुमारी अदालत परिसर में देशी बम ले जा रही थी जो गलती से पोर्टिको क्षेत्र में फट गया.

अधिवक्ता आकाश रेड्डी बताते हैं कि “पटना का सिविल कोर्ट 100 साल पुराना है और एक नई बिल्डिंग बनी है. पटना में सबसे ज़्यादा फुट फॉल अगर किसी बिल्डिंग में है तो सिविल कोर्ट है, और ऐसे में उस जगह का चौराहा जाम हो जाता है और आपातकालीन स्तिथि में मदद पहुंचना असंभव हो जाता है.” 

अधिवक्ता आकाश रेड्डी आगे बताते हैं कि “ये छोटा घटना लगता होगा पर असल में देखिए तो ये बहुत बड़ी घटना है जिसमें 2 लोगों की मौत हो चुकी है. सिविल कोर्ट की बिल्डिंग में हर वक्त भीड़ रहती है लेकिन जगह ऐसी है जहां एंबुलेंस भी सही वक्त पर नहीं पहुंच सकती और ऐसा ही हुआ इस दिन एंबुलेंस को आने में काफ़ी समय लगा.” 

पटना Civil Court में ट्रांसफार्मर ब्लास्ट

अधिवक्ता कर रहे प्रदर्शन

पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजा व आश्रित को नौकरी देने और हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों पर  प्राथमिकी कराने की मांग करने लगे.घटना की जानकारी मिलते ही अग्निशमन दल पहुंचा तब तक स्थानीय लोगों ने आग में जलते लोगों पर पानी डालकर बचाने का प्रयास किया. अग्निकांड के बाद एफएसएल की टीम ने भी घटनास्थल का मुआयना किया.अधिवक्ताओं के विरोध-प्रदर्शन के दौरान पश्चिम द्वार को बंद कर दिया गया था.

अधिवक्ता बताते हैं कि “ट्रांसफार्मर फटने की ज़िम्मेदारी राज्य सरकार की होती है जहां सरकार को वक्त वक्त पर ट्रांसफार्मर को रिपेयर करना होता है जिसमे सरकार चूक रही थी और नतीजा आपके सामने है. बिहार के ज़्यादा तर सेशन कोर्ट में बिल्डिंग की को स्तिथि है वो दैन्य है. तो कहीं न कहीं ये हादसा सरकार की लापरवाही से हुआ है.” 

हादसे की ख़बर सुनकर देर शाम पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन, आशुतोष कुमार, हाईकोर्ट के महानिबंधक, विजिलेंस रजिस्टार समेत अन्य अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने मृतक वकील के परिजनों के प्रति संवेदना जताई.वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश को अपनी समस्यायें बताईं. उन्होंने हादसे से संबंधित जानकारी भी मुख्य न्यायाधीश को दी.

मुख्य न्यायाधीश ने भी काफी देर तक वकीलों की बातों को सुना और कहा कि सभी समस्याओं की समीक्षा कर उनका निदान किया जायेगा कि दोबारा ऐसी घटना न हों. उन्होंने इस हादसे को काफी दुखद बताया. उन्होंने मृतक वकील के पुत्र को नौकरी देने के लिये बिहार सरकार को अनुशंसा करने का आश्वासन दिया.

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