राजधानी पटना के नजदीकी फुलवारी शरीफ में दो महादलित बच्चियों के साथ रेप की घटना हुई है. इस घटना में एक बच्ची की मौत, जबकि दूसरी बच्ची गंभीर रूप से घायल है. दोनों बच्चियों की उम्र 8 और 10 वर्ष है. घायल बच्ची का इलाज पटना एम्स में चल रहा है. वहीं मामले में शुक्रवार 12 जनवरी को एक व्यक्ति की गिरफ्तारी हुई है.
गांव वालों का आरोप है कि अगर पुलिस समय पर मामले की गंभीरता को समझती बच्ची की जान बच सकती थी. दरअसल, सोमवार 8 जनवरी को दोनों बच्चियां अपने घर से जलावन के लिए लकड़ी लाने गयी थीं. देर शाम तक बच्चियों के नहीं लौटने पर परिजन परेशान होकर थाने पहुंचते हैं. लेकिन परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने आवेदन लेने से मना कर दिया और उन्हें अपने स्तर से खोजबीन करने को कहा.
पुलिस पर लापरवाही का आरोप
परिजनों को बच्चियां मंगलवार 9 जनवरी को गांव से बाहर एक खाली प्लाट में मिली. जहां एक बच्ची अर्धनग्न अवस्था में मृत पड़ी थी वहीं एक बच्ची खून से लथपथ गंभीर अवस्था में बेहोश थी. घायल बच्ची को इलाज के लिए एम्स में भर्ती कराया गया जबकि मृत बच्ची का पोस्टमार्टम मेडिकल बोर्ड के निर्देश पर मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में किया गया.
पुलिस की कार्रवाई से नाराज गांव वाले बुधवार 10 जनवरी को सड़क पर उतर आए. लोगों ने फुलवारी थाने से सटे शहीद भगत सिंह चौक को सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक जाम कर दिया. इस प्रदर्शन में विभिन्न पार्टियों के कार्यकर्ताओं के अलावा काफी संख्या में महिलाएं और स्कूली छात्राएं शामिल हुई.
बिहार महिला समाज की कार्यकारी अध्यक्ष निवेदिता झा भी इस प्रदर्शन में शामिल हुईं थीं. घटना और पुलिस के रवैय्या पर सवाल उठाते हुए कहती हैं “पुलिस की कार्यवाई बहुत ही निराशाजनक है. जिस दिन बच्चियां अपने घर से जलावन के लिए निकलीं और देर शाम तक नहीं लौटी उसी शाम परिवार वाले थाने मदद के लिए गये. लेकिन पुलिस ने उन्हें यह कहकर भगा दिया कि तुम्हारी बच्ची है तुम खोजो और ऐसा उन्होंने दो बार किया. अगर पुलिस ने समय पर ध्यान दिया होता तो बच्ची की मौत नहीं होती और घायल बच्ची की स्थिति भी इतनी गंभीर नहीं होती.”
निवेदिता झा आगे कहती हैं “घायल बच्ची की दादी ने बताया कि उनकी पोती की हालत बहुत गंभीर है. अभी पुलिस किसी को भी मिलने नहीं दे रही है.”
प्रदर्शन कर रहे लोग आरोपी की गिरफ्तारी किए जाने की मांग कर रहे थे. साथ ही पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपए और इलाजरत बच्ची के इलाज का पूरा खर्च सरकार द्वारा वहन किए जाने की मांग कर रहे थे. वहीं सड़क से हटने से पहले लोगों ने आरोपी की गिरफ़्तारी के लिए प्रशासन को 24 घंटे के समय दिया था.
प्रदर्शन के बाद दर्ज हुआ मामला
घटना की जांच के लिए एसएसपी ने फुलवारी शरीफ के एसडीपीओ के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया है.
रेप की घटना के बाद डीएसपी फुलवारी शरीफ विक्रम सिहाग ने मीडिया में दिए जानकारी में बताया कि “दोनों लड़कियों के गायब होने के दूसरे दिन एक लड़की की लाश मिली. दूसरी लड़की गंभीर रूप से जख्मी है जिसका इलाज पटना एम्स में कराया जा रहा है. डॉग स्क्वायड और स्पेशल टीम गठित कर जांच की जा रही है. साथ ही अपराधियों की गिरफ्तारी को लेकर भी आश्वासन देते हुए कहा कि मेडिकल रिपोर्ट आने तक इंतजार कीजिए.
वहीं परिवार द्वारा दिए आवेदन में अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज किया गया. जिसमें धारा 376 एबी, 302, 307, 201 और पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है.
वहीं जांच के दौरान शक के आधार पर बच्चियों के बगल गांव आलमपुर के रहने वाले विजय राय, नरेश राय, भुखलू राय, धीरज पासवान और गुड्डू पासवान को पूछताछ के लिए पकड़ा था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इन्ही में से एक व्यक्ति को वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर गिरफ्तार किया गया है. एसएसपी राजीव मिश्रा ने गिरफ्तारी की पुष्टि की है.
माले और ऐपवा कार्यकर्ताओं ने डीएम कार्यालय का किया घेराव
महादलित बच्चियों के साथ हुए जघन्य अपराध के विरोध में माले और ऐपवा कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार 12 जनवरी को विरोध मार्च निकाला. जीपीओ से होते हुए आक्रोश मार्च डीएम कार्यालय पहुंचा. डीएम कार्यालय का घंटो तक घेराव किया. वहीं माले की महासचिव मीना तिवारी ने अपनी पांच मांगों का ज्ञापन डीएम को सौंपा.
इस अमानवीय घटना के बाद प्रदेश में राजनीति भी खूब हो रही है. भाजपा लगातार इस घटना के बाद जदयू और राजद पर हमलावर हो गयी है. भाजपा का आरोप है कि राज्य में प्रशासन व्यवस्था फेल हो चुकी है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी गुरुवार को रेप पीड़िता के परिजनों से मिलने पहुंचे थे.
सम्राट चौधरी ने अपने एक्स अकाउंट पर ट्वीट करते हुए न्याय की लड़ाई जारी रखने की बात कही. वहीं अपराधियों को फांसी देने की मांग की है.
वहीं बिहार सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव ने भी ट्वीट करते हुए लिखा “इस तरीके का कारनामा करने वाले लोगों पर सरकार सख्त से सख्त कार्रवाई करेगी.” हालांकि मंत्री द्वारा अपराध को कारनामा बताया जाना अपने आप में विचारणीय है.
वहीं एक तरफ सरकार “बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं” का नारा देती है लेकिन ना तो सरकार और ना ही प्रशासन बच्चियों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम उठा रही है. किसी भी मामले में एफआईआर 24 घंटे के बाद दर्ज किया जाता है, लेकिन क्या परेशान परिवार की मदद भी घंटे गिनने के बाद ही किया जायेगा?