पटना: डेंगू का कहर जारी, नगर निगम की कई फॉगिंग गाड़ियां ख़राब

राजधानी पटना में डेंगू का कहर जारी है. पिछले दिनों पटना में 195 मरीज मिले थे. वहीं राज्य में 9 हजार से ज्यादा मरीज डेंगू से पीड़ित पाए गये हैं. वहीं पटना में 4,334 मरीज डेंगू से पीड़ित हैं.

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पल्लवी कुमारी
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क्या डेंगू के बढ़ते मामलों की वजह नगर निगम की लापरवाही है?

पटना में डेंगू का कहर जारी

राजधानी पटना में डेंगू का कहर जारी है. पिछले दिनों पटना में 195 मरीज मिले थे. वहीं राज्य में 9 हजार से ज्यादा मरीज डेंगू से पीड़ित (dengue-cases) पाए गये हैं. राजधानी में डेंगू के मामले बढ़ने के दो कारण हैं- पहला वायरस की सक्रियता बढ़ने के लिए अनुकूल तापमान और नमी और दूसरा आसपास फैली गंदगी.

राजधानी पटना (patna-news) में फैली गंदगी का कारण सफाईकर्मियों की हड़ताल थी. पिछले दिनों शहर में जिस समय सफाईकर्मियों की हड़ताल शुरू हुई थी, उस समय शहर में डेंगू का प्रकोप जारी था. यह हड़ताल पूरे दो हफ्ते तक चली थी. जिसके कारण पूरे शहर में चारो तरफ गंदगी का अंबार लग गया था.

सफाईकर्मियों की इस हड़ताल में फॉगिंग और कचड़ा उठाव वाली गाड़ियों के ड्राईवर भी शामिल थे. जिसके कारण सभी अंचलों में फॉगिंग और लार्वासाइड्स का छिड़काव नहीं हो पा रहा था.

डेंगू के बढ़ते प्रकोप के कारण स्वास्थ्य विभाग को अस्पताल प्रमुखों के साथ बैठक करनी पड़ी है. इस बैठक में उन्होंने अस्पतालों को पर्याप्त तैयारी रखने का निर्देश दिया है. वहीं अस्पताल में भर्ती होने आये मरीजों को इलाज की सारी सुविधाएं देंने का भी निर्दश दिया है. बैठक में स्वास्थ्य सचिव ने डेंगू प्रभावित क्षेत्र में फॉगिंग और लार्वासाइड्स छिड़काव करने का निर्देश दिया है.

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फॉगिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली 75 में से 20 गाड़ियां खराब

राजधानी में लगातार डेंगू के मरीज़ मिलने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम अलर्ट होने का दावा करती है. लेकिन शहर में फैले कचड़े और फॉगिंग में इस्तेमाल होने वाली गाड़ियों की दुर्दशा विभाग के दावों की पोल खोल रही है.

राजधानी में फॉगिंग और लार्वासाइड्स के छिड़काव के लिए 75 गाड़ियां मौजूद हैं. लेकिन इसमें से 20 गाड़ियां अभी खराब हैं. जबकि नगर आयुक्त और अपर मुख्य सचिव द्वारा सभी कार्यपालक पदाधिकारियों को प्रतिदिन तीन पालियों मे फॉगिंग करवाने का निर्देश दिया गया हैं.

लेकिन नूतन राजधानी अंचल में 16 में 4 गाड़ियां, बांकीपुर में 12 में से 3, पटना सिटी में 8 में से 2, कंकड़बाग में 11 में से 3 और पाटलिपुत्र अंचल में 16 में से 3 फॉगिंग गाड़ियां खराब हैं.

खराब गाड़ियों को ठीक कराने के बजाए उसे उसी अवस्था में अंचल के यार्ड में लगाकर छोड़ दिया गया है. पहले जहां हड़ताल के कारण फॉगिंग नहीं हो पा रही थी, वहीं अब फॉगिंग में इस्तेमाल होने वाली गाड़ियों के खराब होने के कारण फॉगिंग नहीं हो पा रही है. नगर निगम (patna-municipal-corporation) दावा कर रही है कि हर वार्ड में नियमित तौर पर फॉगिंग हो रही है लेकिन मुख्य सड़क को छोड़कर ये गाड़ियां गली-मोहल्लों में नहीं पहुंच पा रही हैं.

बांकीपुर अंचल के चीफ सैनिट्री ऑफिसर जितेंद्र कुमार कहते हैं “हमारे अंचल में फॉगिंग की 13 गाड़ियां है जिसमें से एक खराब हैं. हम लोग 12 गाड़ियों की मदद से दो शिफ्ट में फॉगिंग करवा रहे हैं. डेंगू बढ़ने का कारण लोगों में जागरूकता की कमी है. लोग घर के गमलों और कूलर में जमा पानी फेंकने में असकत कर देते हैं. यही कारण है कि बीमारी फैल रही है.” 

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कई इलाकों में नहीं हो रहा है छिड़काव

फॉगिंग गाड़ियों की कमी के कारण सभी मोहल्लों में नियमित तौर पर दवा का छिडकाव नहीं हो पा रहा है. कुछ अंचलों में एक फॉगिंग गाड़ी से दो-दो मोहल्लों को कवर करना पड़ता है. लोगों का कहना है कि मुख्य सड़क और बाजार में 10 दिन में एक बार छिड़काव कर दिया जाता है. लेकिन गली-मोहल्लों में छिड़काव नहीं हो रहा है. लेकिन अंचल अधिकारी इस बात को मानने को तैयार नहीं है.

हनुमान नगर में एसबीआई बैंक से थोड़ी दूर पर कचड़ा पॉइंट बना दिया गया है. गाड़ियों के समय पर नहीं आने के कारण लोग घर का कचड़ा वहां निकाल कर फेंक देते हैं. जिसके कारण वहां आसपास रहने वाले लोगों में बीमारी फैलने का खतरा बना रहता है. मेन मार्केट और सब्जी मंडी होने के कारण यहां भीड़भाड़ ज्यादा रहती है. ऐसे में कचड़ा उठाव की गाड़ी मात्र एक बार आने के कारण लोगों को परेशानी होती है.

कचड़ा पॉइंट के ठीक सामने रेडीमेड कपड़े की दुकान चलाने वाले दुकानदार कहते हैं “उधर 10 दिन से ज्यादा हड़ताल रहा था. इतना कचड़ा जमा हो गया कि लोग यहां से गुजरते भी नहीं थे. आम दिनों में भी यहां कचड़ा पड़ा रहता है. निगम को चाहिए कि यहां तीन शिफ्ट में कचड़ा उठाया जाए, उसके बाद ब्लीचिंग पाउडर का भी छिड़काव किया जाए. ताकि बदबू और मख्खी-मच्छर ना पनपे.”

ड्राईफ्रूट्स की दुकान चलाने वाले दुकानदार केशव कुमार कहते हैं शहर में डेंगू बढ़ा हुआ है. लेकिन निगम ध्यान नहीं दे रहा है. हफ्ते में एकबार फॉगिंग किया जा रहा है. यहां पास में ही सब्जी मंडी और मीट-मछली का मार्केट है. इसकारण यहां मच्छर का प्रकोप बढ़ा रहता है. करीब तीन-चार साल पहले एक दुकानदार की मौत डेंगू से हो गया था. ऐसे में मन में डर रहता है लेकिन रोजगार है तो हमें तो पूरा दिन बैठना ही पड़ता है.”

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यहां के स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि निगम की लापरवाही के कारण लोग बीमार हो रहे हैं. फॉगिंग के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है. साथ ही डेंगू को लेकर जागरूकता के बावजूद लोगों की लापरवाही भी इसके प्रकोप को बढ़ा रही है.

कंकड़बाग अंचल के चीफ़ सैनिट्री ऑफ़िसर कहते हैं “हमारे यहां 11 वार्ड है जिसमें 10 फॉगिंग मशीन है. जिसमें हैंड फॉगिंग मशीन थोड़ा दिक्कत देता है लेकिन टेम्पू से होने वाला फॉगिंग रोज़ाना हो रहा है. हैंड फॉगिंग में किसी दिन 9 किसी दिन 8 का इस्तेमाल होता है. सभी गाड़ियों में जीपीएस भी लगा हुआ है."

पूरे राज्य में 9 हज़ार से ज़्यादा डेंगू पीड़ित, 4 हज़ार से पटना में

गुरूवार को प्रदेश में डेंगू के 296 मरीज मिले थे वहीं मंगलवार को 371 नए मरीज मिले थे. इसके साथ ही अब तक मिले डेंगू मरीजों की संख्या नौ हजार पार कर 9,896 पर पहुंच गई है जिसमें पटना जिले में 4,334 मरीज मिल चुके हैं.

स्वास्थ्य विभाग द्वारा गुरूवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार पटना में 157 नए मरीज मिले हैं. यहां सबसे ज्यादा पाटलिपुत्र अंचल में 69, बांकीपुर में 25, नूतन राजधानी में 14, अजीमाबाद में 10, कंकड़बाग में 8 नए मरीज मिले थे.

निगम दावा कर रहा है कि डेंगू मरीज़ की सूचना मिलने पर उस मरीज के घर के साथ-साथ 100 मीटर के इलाके में भी फॉगिंग और लार्वासाइड्स का छिड़काव करते है. लेकिन राजधानी में पटना में डेंगू का फैलाव इस दावे को झूठा साबित कर रहा है.

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