प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) को 2015-16 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य खेत पर पानी की भौतिक पहुंच को बढ़ाना और सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य क्षेत्र का विस्तार करना, कृषि जल उपयोग दक्षता में सुधार करना, स्थायी जल संरक्षण प्रथाओं को लागू करना आदि था. पीएमकेएसवाई- हर खेत को पानी (एचकेकेपी) पीएमकेएसवाई के घटकों में से एक है. एसएमआई की योजना अब पीएमकेएसवाई (एचकेकेपी) का एक हिस्सा है.
भारत सरकार जल संरक्षण और उसके प्रबंधन को उच्च प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित करती है. इसे गति देने के लिए, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) को सिंचाई कवरेज (हर खेत को पानी) का विस्तार करने और पानी का अधिक कुशलता से उपयोग करने (प्रति बूंद अधिक फसल) के दृष्टिकोण से पेश किया गया था.
इन बड़ी-बड़ी योजनाओं का असल हाल गर्मी के दिनों में धरातल पर देखने मिलता है. बिहार जैसे राज्य जहां आज भी अधिकतर लोग अपनी उपजाऊ जमीन में खेती कर पेट पालते है, वहां कई गांवों में पानी की कमी साफ़ देखी जा सकती है. खेतों में बोरिंग या चापानल लगे तो हैं, पर उनमें पानी नहीं आने के कारण किसानों को काफ़ी समस्याओं से गुजरना पड़ रहा है.
हालिया वर्षों में मौसम में लगातार बदलाव देखा जा रहा है. इस बदलाव का सबसे अधिक प्रभाव कृषि पर पड़ रहा है. कई बार तापमान अधिक हो जाने से गेहूं और धान दोनों की फ़सलों पर सीधा प्रभाव पड़ता है, साथ ही मूंग भी अंकुरित नहीं होती. कई फल ऐसे हैं जो तापमान के बढ़ने से मीठे हो जाते हैं, तो वहीं दूसरी ओर कुछ फल ऐसे हैं जो तापमान के बढ़ने से प्रभावित होते हैं.
मई 2024 में बिहार में तापमान काफ़ी अधिक हो गया है, जिससे आम इंसानों को तो दिक्कत हो ही रही है, वहीं फ़सलों को भी दिक्कत हो रही है. फ़सल ख़राब हो रही है और खेतों में आग भी लग जा रही है.