पार्किंग के कारण शहरों में बढ़ता अतिक्रमण

केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के लिए 2008 में विल्बर स्मिथ एसोसिएट अध्ययन से जो आंकड़े सामने आए उसके अनुसार ज्यादातर शहरों में सड़क नेटवर्क का बहुत बड़ा हिस्सा पार्किंग के अंतर्गत आता है.

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शहरों में बढ़ता अतिक्रमण

पटना, समेत देश के अधिकांश शहरों में सड़कों पर पार्किंग के कारण अतिक्रमण एक आम समस्या है. केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के लिए 2008 में विल्बर स्मिथ एसोसिएट अध्ययन से जो आंकड़े सामने आए उसके अनुसार ज्यादातर शहरों में सड़क नेटवर्क का बहुत बड़ा हिस्सा पार्किंग के अंतर्गत आता है. देश की राजधानी दिल्ली में सड़कों का 14 फीसदी हिस्सा पार्किंग में उपयोग होता है. कानपूर में 46 फीसदी तो जयपुर में यह 56 फीसदी तक पहुंच जाता है.

पटना, सूरत, अहमदाबाद, कोच्चि, पुडुचेरी, आगरा, पुणे, भोपाल, मदुरै, अमृतसर और वाराणसी जैसे शहरों में सड़क नेटवर्क का 40 फीसदी से ज्यादा हिस्सा पार्किंग के लिए इस्तेमाल होता है.

साल 2016 में पार्किंग और जाम की समस्या को दूर करने के लिए शहर का पहला मल्टीलेवल पार्किंग पटना जंक्शन स्थित बुद्ध स्मृति पार्क के पीछे बनाया गया था. इसका निर्माण बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड (BUIDCO) द्वारा 13.5 करोड़ रुपए की लागत से की गयी थी. लेकिन विभाग इसका संचालन व्यवस्थित ढ़ंग से नहीं कर सका. जिसके कारण कुछ फुटपाथी दुकानदार और ऑटोरिक्शा चालक ने यहां अतिक्रमण कर लिया.

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