बिहार में जारी जातीय जनगणना की रिपोर्ट के बाद लगातार बवाल मचा हुआ है. 2 अक्टूबर में जारी हुए नीतीश सरकार के द्वारा इस जातीय जनगणना में कई जाति अपने आंकड़ों को गलत बता रही हैं.
बिहार में ट्रांसजेंडर कम्युनिटी भी अपने आप को जहां एक तरफ आंकड़ों को कम बता रही है. तो वहीं दूसरी तरफ ट्रांसजेंडर समुदाय अपने आप को जाति में गिनती को लेकर विरोध कर रहा है. ट्रांसजेंडर कम्युनिटी अपने आप को समुदाय बताते हुए जातीय जनगणना में गिनती को लेकर साफ तौर पर विरोध कर रहा है. ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग इसके खिलाफ जातीय जनगणना के दूसरे फेज में हाई कोर्ट भी गए हैं. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
ट्रांस कम्युनिटी याचिका को लेकर राज्य सरकार के पास जाए
सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को ठुकरा कर ट्रांस समुदाय के लोगों को पहले इस मामले में राज्य सरकार के पास जाने को कहा है.
दोस्ताना सफर की प्रमुख और ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए काम करने वाली रेशमा ने बताया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पहले जाति और समुदाय को लेकर ट्रांस कम्युनिटी राज्य सरकार के पास अपनी याचिका को लेकर जाए. उसके बाद अगर इस पर काम ना हो तब फिर कोर्ट में याचिका दायर करें.
राज्य में जारी जातीय जनगणना में ट्रांस समुदाय के लोगों की गिनती 825 बताई गई है.