शताब्दी वर्ष पूरा कर चुकी पटना विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी अपने अंदर पुराने इतिहास के साथ-साथ आधुनिक बदलाव को भी समेटे हुए हैं. इस लाइब्रेरी में शैक्षणिक पाठ्य पुस्तकों के साथ-साथ पत्र-पत्रिकाओं के चार लाख से अधिक संस्करणों का समृद्ध संग्रह मौजूद है, जो बिहार के किसी भी अन्य विश्वविद्यालय में मौजूद नहीं है. साल 2021 तक यहां मौजूद किताबों में से करीब 30 हजार किताबों का डिजिटाइजेशन किया जा चुका था. इसके अलावा 18 हजार किताबों का बार कोड भी जेनरेट किया गया था. साथ ही पटना विवि प्रशासन ने सेंट्रल लाइब्रेरी से शोध को भी जोड़ दिया है.
पटना विश्वविद्यालय के सेंट्रल लाइब्रेरी में ई-लाइब्रेरी और कैफेटेरिया शुरू किए जाने की आधारशिला कुलपति रास बिहारी प्रसाद सिंह ने साल 2020 में रखी थी. हालांकि तीन साल से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन जानकारी के अभाव में छात्र लाइब्रेरी का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं जबकि सेंट्रल लाइब्रेरी इस पर हर महीने लाखों रुपए खर्च कर रही है. पटना विश्वविद्यालय हर साल जे-गेट (J-Gate) और डेलनेट (DELNET) के सब्सक्रिप्शन पर क्रमशः एक लाख और 35 हजार रुपए खर्च करता है, लेकिन जानकारी के अभाव में मात्र 500 छात्र-छात्राएं ही इस ऑनलाइन सब्सक्रिप्शन का उपयोग कर रहे हैं.