Patna University के सेंट्रल लाइब्रेरी पर लाखों खर्च, छात्रों को नहीं मिल रहा लाभ

पटना विश्वविद्यालय हर साल जे गेट और डेल नेट के सब्सक्रिप्शन फीस पर क्रमशः एक लाख और 35 हजार रुपए खर्च करता है, लेकिन जानकारी के अभाव में मात्र 500 छात्र छात्राएं ही इस ऑनलाइन सब्सक्रिप्शन का उपयोग कर रहे हैं. 

New Update
Patna University  सेंट्रल लाइब्रेरी

Patna University के सेंट्रल लाइब्रेरी पर लाखों खर्च

पटना विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों में विभिन्न विषयों की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए विश्वविद्यालय ने 1958 में केंद्रीय लाइब्रेरी की स्थापना की थी. यह लाइब्रेरी छात्रों को पढ़ाई से जुड़ी सामान्य सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बनाई गयी थी. शताब्दी वर्ष पूरा कर चुकी पटना विश्वविद्यालय की यह लाइब्रेरी अपने अंदर पुराने इतिहास के साथ-साथ आधुनिक बदलाव को भी समेटे हुए हैं. 

यहां शैक्षणिक पाठ्य पुस्तकों के साथ-साथ पत्र-पत्रिकाओं के चार लाख से अधिक संस्करणों का समृद्ध संग्रह मौजूद है, जो बिहार के किसी भी अन्य विश्वविद्यालय में मौजूद नहीं है.

साल 2021 तक यहां मौजूद किताबों में से करीब 30 हजार किताबों का डिजिटाइजेशन किया जा चुका था. इसके अलावा 18 हजार किताबों का बार कोड भी जेनरेट किया गया था. साथ ही पटना विवि प्रशासन ने सेंट्रल लाइब्रेरी से शोध को भी जोड़ दिया है. 

books in library

पीएचडी करने वाले हर शोधार्थी की थीसिस की जांच केंद्रीय लाइब्रेरी में ही होती है. विवि प्रशासन ने यूजीसी के प्लेजरिज्म रोकने के लिए बनाए गए मानदंडों के अनुरूप व्यवस्था में बदलाव किए हैं. एक जनवरी 2019 के बाद से विवि में जमा होने वाली हर थीसिस को एंटी प्लेजरिज्म सिस्टम से गुजरना होता है. हर थीसिस की ऑनलाइन प्लेजरिज्म जांच होती है, जो पटना विवि की केंद्रीय लाइब्रेरी में ही होती है. 

लाइब्रेरी पर लाखों खर्च, छात्रों को नहीं मिल रहा लाभ

पटना विश्वविद्यालय के सेंट्रल लाइब्रेरी में ई-लाइब्रेरी और कैफेटेरिया शुरू किए जाने की आधारशिला कुलपति रास बिहारी प्रसाद सिंह ने साल 2020 में रखी थी. हालांकि तीन साल से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन कैफेटेरिया की शुरुआत अबतक नहीं की जा सकी है. स्थापना के समय कहा गया था कि छात्र यहां पूरे सप्ताह, 24 घंटे ऑनलाइन किताबें पढ़ सकेंगे. 

ई-लाईब्रेरी राष्ट्रीय शैक्षणिक डिपॉजिटरी से जुड़ा होगा जो छात्रों को लाखों पुस्तकों तक पहुंचने की अनुमति देगा. वहीं लाइब्रेरी 24 घंटे खुली रहेगी, जिससे छात्रावास (Hostel) में रहने वाले छात्रों को विशेष रूप से रात में भी अध्ययन सामग्री का उपयोग करने में आसानी होगी.  

हालांकि जानकारी के अभाव में छात्र लाइब्रेरी का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं जबकि सेंट्रल लाइब्रेरी इस पर हर महीने लाखों रुपए खर्च कर रही है. 

पटना विश्वविद्यालय हर साल जे-गेट (J-Gate) और डेलनेट (DELNET) के सब्सक्रिप्शन पर क्रमशः एक लाख और 35 हजार रुपए खर्च करता है, लेकिन जानकारी के अभाव में मात्र 500 छात्र-छात्राएं ही इस ऑनलाइन सब्सक्रिप्शन का उपयोग कर रहे हैं. 

student in library

वर्तमान समय में पटना विश्वविद्यालय में पीजी और यूजी विषयों को मिलाकर कुल 25 हजार छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे हैं. 

सेंट्रल लाइब्रेरी के असिस्टेंट लाइब्रेरी इंचार्ज अशोक झा बताते हैं कि "जे-गेट एक सर्च इंजन है जिस पर विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष एक लाख रुपए खर्च करता है. यहां बड़ी संख्या में किताबें और जर्नल मौजूद है. इसका लाभ शोध करने वाले छात्र उठा सकते हैं. इसके अलावा केवल डेलनेट पर एक लाख से अधिक किताबें मौजूद है." 

विश्वविद्यालय के पास करंट अफेयर्स का भी लाइफटाइम सब्सक्रिप्शन मौजूद है. यहां हर छः महीने का करंट अफेयर्स अपडेट किया जाता है. 

अशोक झा कहते हैं "जल्द ही विश्वविद्यालय में कैफेटेरिया लाइब्रेरी (cafeteria library) की शुरुआत हो जाएगी, जहां छात्र आराम से बैठकर किताबें पढ़ सकेंगे. इसके अतिरिक्त पहले से ही विश्वविद्यालय में  मौजूद ई-लाइब्रेरी का उपयोग छात्र कर सकते हैं". 

130 रुपए के शुल्क पर बनता है लाइब्रेरी कार्ड 

जे-गेट और दूसरे ऑनलाइन पोर्टल पर एक लाख से अधिक पत्र-पत्रिकाएं और जर्नल उपलब्ध है जिनका उपयोग छात्र बिल्कुल मुफ्त में कर सकते हैं लेकिन जानकारी के अभाव में छात्र इसका उपयोग नहीं कर रहे हैं. 

एमजेएमसी फर्स्ट ईयर में पढ़ने वाली छात्रा शिवांगी बताती हैं कि उन्हें "विभागीय लाइब्रेरी की जानकारी तो दी गई है लेकिन सेंट्रल लाइब्रेरी सभी छात्रों के लिए मुफ्त है इसकी जानकारी नहीं मिली है. अगर उन्हें इस तरह की कोई जानकारी होती तो वह उसका लाभ जरूर उठाती."

साथ ही उनका कहना है कि अगर इस तरह की कोई भी सुविधा, यूनिवर्सिटी छात्रों के लिए उपलब्ध करा रही है तो इसकी जानकारी समय-समय पर कॉलेज के सभी विभागों में दी जानी चाहिए या फिर नामांकन के समय ही छात्रों को इस बात की जानकारी दे दी जानी चाहिए. 

पटना विश्वविद्यालय के छात्र लाइब्रेरी में अपने विभाग की आईडी कार्ड साथ ले जाकर 130 रुपए का शुल्क देकर रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं. रजिस्ट्रेशन के बाद उनको एक लॉगिन आईडी और पासवर्ड दे दिया जाता है जिसका उपयोग छात्र घर बैठे भी कर सकते हैं.

pu library

एमजेएमसी के ही छात्र विशाल कुमार बताते हैं कि उन्हें सेंट्रल लाइब्रेरी में मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी अभी तीन दिनों पहले ही मिली है. विशाल बताते हैं कि “मैं तीन दिन पहले यूनिवर्सिटी किसी काम से गया था वहां से ही मैं सेंट्रल लाइब्रेरी चला गया. वहां जाने के बाद मुझे पता चला कि लाइब्रेरी सभी विभाग के बच्चों के लिए खुली है. यहां केवल अपना एडमिशन रिसिप्ट या फिर कॉलेज आईकार्ड लेकर आने पर 130 रुपए का चालान लेकर लाइब्रेरी कार्ड बना दिया जाता है.”

लाइब्रेरी में प्रवेश के लिए बनाए गए नियम के अनुसार छात्र लाइब्रेरी में लैपटॉप, खुद की बुक या फिर नोटस लेकर एंट्री नहीं कर सकते हैं. विशाल कहते हैं “यह नियम गलत है. अगर कोई छात्र अपना लैपटॉप या खुद का नोटस अंदर ले जाकर पढ़ना चाहता है तो उसे रोका नहीं जाना चाहिए. क्योंकि अधिकतर छात्र कॉलेज में क्लास खत्म होने के बाद ही लाइब्रेरी जाता हैं, ऐसे में उसके पास खुद की बुक या लैपटॉप होगी ही.” 

सात हजार किताबें हुईं थी खराब

सेंट्रल लाइब्रेरी में मौजूद सुविधाओं का छात्रों तक नहीं पहुंच पाना यह कोई पहली घटना नहीं है. इससे पहले भी लाइब्रेरी में मौजूद हजारों किताबों को यूं ही सड़ाकर फेंक दिया गया था लेकिन छात्रों को पढ़ने के लिए इशू नहीं किया गया. 

जनवरी 2015 में बीबीसी हिंदी में प्रकाशित एक लेख में बताया गया था कि कैसे यूनिवर्सिटी के सेंट्रल लाइब्रेरी में करीब सात हजार नई किताबें 25 सालों तक इशू नहीं की गई. इस दौरान ये किताबें शौचालय के नजदीक पड़ी रहीं. इतने साल शौचालय के नजदीक, नमी में पड़े रहने के कारण किताबों में दीमक लग गए और किताबें खराब हो गयीं. 

लाइब्रेरी के अधिकारियों के अनुसार 1985 से 1990 के दौरान खरीदी गई इन किताबों को चोरी हो जाने के डर से इशू नहीं किया गया था. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ना केवल उन सात हजार नए किताबों को सड़ने के लिए छोड़ा गया, बल्कि साल 2004 से 2013 तक भी कोई किताब छात्रों को इशू नहीं की गई थी.

ऐसे में मौजूदा समय में सेंट्रल लाइब्रेरी में मौजूद सुविधाओं की जानकारी छात्रों तक पहुंचाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को जरूरी कदम उठाने होंगे, ताकि समय रहते संसाधनों पर हो रहे विभागीय खर्च का उचित उपयोग किया जा सके.

patna university Central Library cafeteria library