पटना विवि का दूर शिक्षा विभाग पिछले पांच सालों से छात्रों के लिए बंद पड़ा है. नैक से ‘ए’प्लस ग्रेड नहीं मिलने के कारण डिस्टेंस एजुकेशन ब्यूरो ने विभाग के नामांकन लेने पर रोक लगा दी है. नामांकन पर रोक लगने का सीधा प्रभाव उच्च स्तरीय शिक्षा पर पड़ रहा है साथ ही दूरस्थ शिक्षा विभाग के संचालन पर भी इसका असर पड़ने लगा है. विभाग में कार्यरत कर्मचारियों और अन्य संसाधनों पर विभागीय खर्च आज भी जारी है.
लगातार पांच सेशन से नामांकन नहीं होने के कारण विभाग का वित्तीय कोष लगभग समाप्त हो चुका है. अनुमान है कि विभाग को करीब दो करोड़ रुपए केवल नामांकन से आते थे, लेकिन पांच सत्रों में नामांकन नहीं होने से लगभग 10 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ है. कभी पटना विवि को आर्थिक तौर पर मदद करने वाले इस संस्थान के पास, आज स्वयं के कर्मचारियों को वेतन देने के पैसे नहीं है.
विभाग का सलाना करीब दो करोड़ रूपए सैलरी पर खर्च हो रहा लेकिन आमदनी शून्य हो चुका है. दरअसल, डिस्टेंस एजुकेशन ब्यूरो ने लगातार तीन सत्रों साल 2021-22, 2022-23 और 2023-24 से नामांकन पर रोक लगा दिया है. इससे पहले 2017-18 और 2018-19 में भी नामांकन पर रोक लगी थी. हालांकि 2019-20 में नामांकन की अनुमति मिली थी. वहीं साल 2020 में इसे एक साल का एक्सटेंशन भी मिला था, लेकिन सेशन में देरी या सेशन रद्द हो जाने के डर से बहुत कम छात्रों ने नामांकन लिया. यही कारण रहा कि उस वर्ष आधी से ज्यादा सीटें खाली रह गयी थी.
क्यों नहीं मिल रहा ‘ए’ प्लस ग्रेड
बिहार सहित भारत की सातवीं सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी पटना विश्वविद्यालय जहां साल 1974 से डिस्टेंस मोड (DDE) में पढ़ाई कराई जा रही थी. लेकिन नैक ग्रेडिंग में पिछड़ने के कारण साल 2021 में नामांकन पर लगी रोक अबतक जारी है.
डीडीई में वापस नामांकन कबतक संभव है इस सवाल का जवाब देने से पटना विश्वविद्यालय के डीएसडब्लू अनिल कुमार बचते हैं और कहते हैं “नैक कि टीम अगले साल तक विश्वविद्यालय आ सकती हैं. ग्रेडिंग में आने वाली कमियों को दूर करने के लिए विश्वविद्यालय प्रयास कर रहा है.”
लेकिन क्या केवल प्रयास करने से विभाग कि परेशानियां दूर हो जाएगी, इसका जवाब कौन देगा. हमने डीडीई के निदेशक सलीम जावेद से भी संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन उनसे हमारी बात नहीं हो सकी है.
पटना विश्वविद्यालय (पटना) समेत, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (दरभंगा), जयप्रकाश नारायण यूनिवर्सिटी (छपरा), मगध डिस्टेंस एजुकेशन यूनिवर्सिटी (बोधगया) सहित कई विश्वविद्यालय को नामांकन लेने पर रोक लगी है. अभी बिहार में केवल नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी को डिस्टेंस कोर्स संचालित करने की मान्यता है. इस समय देशभर में 109 संस्थानों में डिस्टेंस एजुकेशन का संचालन किया जा रहा है.
अब यहां यह समझना होगा कि आखिर क्यों इन विश्वविद्यालयों या संस्थानों को यूजीसी से मान्यता नहीं मिल पा रही है. दरअसल, देश के बाकि संस्थानों की तरह बिहार के विश्वविद्यालयों ने अपने सिलेबस, स्टडी मटेरियल, इंफ्रास्ट्रक्चर, प्रोफेसर और को-ऑर्डिनेटर की कमी जैसी समस्याओं को ठीक नहीं किया. जिसके कारण नैक ग्रेडिंग में इन संस्थानों को ‘ए प्लस’ ग्रेड नहीं मिल सकी है.
यूजीसी ने ओपन और डिस्टेंस मोड में पढ़ाई करवाने के लिए अक्टूबर 2017 में नये नियम कानून बनाए है. इसे ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विनिमय 2017’ कहा जाता है. नये नियम के अनुसार विश्वविद्यालयों को नैक ‘ए ग्रेड’ के साथ ही 4 ग्रेड पॉइंट में कम से कम 3.26 अंक होने अनिवार्य थे. हालांकि ग्रेड पॉइंट की बाध्यता को साल 2020 में हटाकर केवल ग्रेड तक सिमित कर दिया गया है.
‘ए प्लस’ ग्रेडिंग के लिए है प्रयासरत
पटना विश्वविद्यालय को नैक से ‘बी प्लस’ ग्रेड मिला हुआ था जो अगस्त 2023 तक के लिए मान्य थी. मान्यता समाप्त होने के बाद एक बार फिर पटना विवि नैक से ‘ए प्लस’ ग्रेड लेने के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है. रिसर्च पेपर, प्लेसमेंट, सिलेबस, एकेडमिक ईयर का समय पर संचालन जैसे सुधार विवि ने किये हैं.
नैक ग्रेडिंग का निर्धारण विभिन्न आयामों को देखने के बाद किया जाता है. किसी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में छात्रों के संपूर्ण विकास के लिए कितना काम किया जा रहा है, इसी के आधार पर सीजीपीए दिया जाता है.
कॉलेज में पिछले पांच साल में प्लेसमेंट, सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेलकूद, एनएसएस समेत छात्रों के ओवरऑल परफॉर्मेंस को देखा जाता है. कॉलेज के शिक्षकों का रिसर्च वर्क, बड़े जर्नल में शोध का प्रकाशन, कितने शिक्षक यूजीसी सहित अन्य विभागों के छोटे-बड़े प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं, यह भी मानक के आधार होते हैं.
इसके अलावा कॉलेज में शिक्षक, कर्मचारियों और छात्रों की संख्या भी ग्रेड के मानक हैं. नैक द्वारा पटना यूनिवर्सिटी और कॉलेज की ग्रेडिंग एक हजार अंको पर की जाती है. ये एक हजार अंक सात अलग-अलग विभागों में बांटे गये हैं. इन विभागों के अंदर भी अलग-अलग श्रेणियां रखी गई हैं. इन विभागों में एक विभाग रिसर्च, इनोवेशन और एक्सटेंशन का है जिसके लिए 250 अंक निर्धारित हैं. इसी विभाग में अंक लाकर पटना यूनिवर्सिटी 2024 में ‘ए प्लस’ ग्रेड लाना चाहता है. नैक द्वारा कॉलेज फैकल्टी के आधार पर यूनिवर्सिटी को स्कोर दिया जाता है.
इसके लिए तीन श्रेणियां बनाई गयी है- परफॉर्मर, अंडर परफॉर्मर और नॉन परफॉर्मर परफॉर्मर की श्रेणी में आने के लिए 60 से ज्यादा अंक, अंडर परफॉर्मर के लिए 60 से कम और 40 से ज्यादा या बराबर अंक और 40 से कम अंक वाले पटना यूनिवर्सिटी को नॉन परफॉर्मर की श्रेणी में रखा जाता है. बिहार के दो यूनिवर्सिटी पटना यूनिवर्सिटी और बाबासाहब भीम राव अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी को इस लिस्ट में शामिल किया गया है. जिसमें 36 के स्कोर के साथ पटना यूनिवर्सिटी और 31 के स्कोर के साथ बाबासाहब भीम राव अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी, नॉन परफॉर्मर की श्रेणी में शामिल है.
अभी जनवरी महीने में भी यूजीसी ने पटना यूनिवर्सिटी को डिफाल्टर लिस्ट में डाला था. साथ ही NIRF रैंकिंग में भी विवि को कोई रैंक नहीं मिली थी. ऐसे में विवि प्रशासन और राज्य सरकार को इस ऐतिहासिक विरासत वाले विश्वविद्यालय की बदहाली को दूर करने के जरूरी कदम उठाने होंगे.