पटना विवि कर्मचारी हड़ताल: छात्रों की परीक्षा स्थगित, गेट पर ताला जड़ा

कर्मचारियों का कहना है कि अपमानजनक व्यवहार ना केवल चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों के साथ किया जाता है बल्कि शैक्षणिक कार्य में लगे शिक्षकों को भी इसका सामना करना पड़ता है. लेकिन नौकरी से निकाले जाने या वेतन रोके जाने के डर से कर्मचारी इसकी शिकायत नहीं करते हैं

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पटना यूनिवर्सिटी के विभागों में लगा ताला

पटना विश्वविद्यालय के गैर शिक्षण-कर्मचारी गुरूवार (5 दिसंबर) से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. जिसके कारण विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों और स्नातकोत्तर विभागों में शैक्षणिक और प्रशासनिक गतिविधियां प्रभावित हो रही है. हड़ताल के कारण स्नातक और स्नातकोत्तर तीसरे सेमेस्टर की परीक्षा देने आए छात्रों को बिना परीक्षा दिए ही वापस लौटना पड़ा.

कर्मचारी संघ के सदस्यों ने गुरूवार को ही विश्वविद्यालय के मुख्यालय और विभागों में ताला जड़ दिया था. लेकिन गुरूवार को विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस प्रशासन की मदद से लॉ कॉलेज परिसर का ताला तोड़कर फाइन आर्ट्स की परीक्षा का आयोजन किया था.

वहीं शुक्रवार, 6 दिसंबर से यूजी और पीजी सेल्फ फाइनेंस, मास्टर रेगुलर और वोकेशनल की परीक्षाएं शुरू होने वाली थी. छात्र परीक्षा सेंटर पर उपस्थित भी हो चुके थे. लेकिन कर्मचारियों की हड़ताल के कारण परीक्षा नहीं हो सकी और छात्र बिना परीक्षा दिए ही लौट गए. 

छात्रों को हो रही परेशानी, विश्वविद्यालय प्रशासन की कोई पहल नहीं 

इतिहास विषय से पीजी कर रही खुशी कुमारी अपनी पूरी तैयारी के साथ परीक्षा देने पहुंची थी. लेकिन परीक्षा सेंटर पहुंचने के बाद उन्हें पता चला कि कर्मचारियों की हड़ताल के कारण आज परीक्षा नहीं होगी. इस सूचना से परेशान खुशी कहती हैं कि आज “पढ़ाई करने वाले छात्रों को इससे काफी परेशानी है. आज मेरा हिस्ट्री का पेपर था, मैं इसकी तैयारी करके आई थी. अब जब पेपर नहीं होगा तो मेरी तैयारी भी गई और उस पर दिया समय भी. क्योंकि हिस्ट्री ऐसा सब्जेक्ट नहीं है जिसकी तैयारी आज कर लिए तो कल पढ़ना नहीं पड़ेगा. अभी 13 को मेरा बीपीएससी का भी पेपर है. ऐसे में स्टूडेंट की हालत धोबी के कुत्ते की तरह हो गयी है. कल का पढ़ा हुआ भी बर्बाद हुआ, बीपीएससी की तैयारी गयी और फिर अगले दिन इसी पेपर के उतनी ही तैयारी करनी पड़ेगी.” 

ख़ुशी की तरह ही सोशल वर्क विषय से स्नातकोत्तर कर रहे अक्षित कुमार भी आज परीक्षा नहीं होने के कारण परेशान थे. अक्षित पढ़ाई के साथ-साथ जॉब भी करते हैं. ऐसे में परीक्षा देने के लिए उन्होंने ऑफिस से छुट्टी ले रखी थी. लेकिन परीक्षा नहीं होने के कारण उनकी आज की छुट्टी बेकार चली गई.

अक्षित कहते हैं “मैं पीजी के साथ, जॉब भी कर रहा हूं. परीक्षाओं के समय मुझे ऑफिस से छुट्टी लेनी पड़ती है. ताकि तैयारी कर परीक्षा दे सकूं. हमें सामान्य छात्रों से ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. लेकिन आज परीक्षा नहीं हुई. यहां दोपहर 12 बजे से इंतजार करते हुए 3 बज गए हैं. देर शाम बताया गया कि आज परीक्षा नहीं होगी. कहा गया है कि सोमवार को होने वाला पेपर उसी दिन होगा.”

पटना यूनिवर्सिटी में छात्रों पर लाठीचार्ज

पटना विश्वविद्यालय में आज पीजी सेल्फ फाइनेंस कोर्स में मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म, एमसीए, एमएसडब्ल्यू, मास्टर इन वीमेन स्टडीज, मास्टर इन म्यूजिक, मास्टर ऑफ़ एनवायरमेंटल साइंस एंड मैनेजमेंट की परीक्षा थी. वहीं पीजी रेगुलर में कोर्स में ग्रुप ‘ए’ में साइंस स्ट्रीम और ग्रुप ‘बी’ में आर्ट्स और लैंग्वेज पेपर की परीक्षा होनी थी.

कर्मचारी क्यों कर रहे हैं हड़ताल?

हड़ताल कर रहे कर्मचारियों का आरोप है कि विश्वविद्यालय के अधिकारी उनके साथ सम्मानजनक व्यव्हार नहीं करते हैं. साथ ही उन्हें नौकरी के दौरान जो भी सुविधाएं मिलनी चाहिए उसका लाभ नहीं दिया जा रहा है. इसलिए पटना विवि  कर्मचारी संघ ने अपने 10 सूत्री मांग जिसमें मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी, कार्यकाल के दौरान प्रोन्नति, एडवांस सैलरी कॉमपेंसेशन स्कीम (एसीपी) और एमसीपी (Modified Assured Career Progression Scheme) के तहत वेतन का निर्धारण, बकाए एरियर का लाभ, कर्मचारियों के लिए आवास जैसी सुविधाएं दिए जाने की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं.

पटना विश्वविद्यालय में लगभग तीन सालों से अनुकंपा के आधार पर नियुक्तियां नहीं हुई हैं. नौकरी की मांग लिए मृतक कर्मचारियों के परिवारजन विवि में भटक रहे हैं. जिसके कारण परिवार आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहा हैं.

कर्मचारी संघ के महासचिव फरमान अब्बास कहते हैं “हमारे पास रोजाना रोते-बिखते बच्चे मदद के लिए आते हैं. उन्हें किसी तरह अनुकंपा पर नौकरी मिल जाए. लेकिन विश्वविद्यालय उन्हें तीन साल से होल्ड पर रखे हुए हैं. उन्हें रोज विश्वविद्यालय का चक्कर लगवा रहा है.”

पटना विश्वविद्यालय हॉस्टल के छात्र

कर्मचारी कहते हैं जिस एसीपी एरियर का भुगतान 10 साल पहले हो जाना चाहिए था वह अबतक नहीं किया गया है. वर्ष 2003 में हुए सिनेट बैठक में कर्मचारी संघ से पांच सदस्यों को सिनेट में शामिल करने और सिंडिकेट में एक प्रतिनिधि शामिल किए जाने पर मुहर लगी थी. लेकिन अबतक इस नियम का भी पालन नहीं किया गया है.

कमर्चारी संघ के उपाध्यक्ष सुजीत कुमार गुप्ता अपना रोष जाहिर करते हुए कहते हैं “वीसी कर्मचारियों की मांग पूरी नहीं करते हैं लेकिन अपने चढ़ने के लिए नई गाड़ी लेते हैं, नया चैम्बर बनवाते हैं. क्या इसके लिए वह अपने निजी खाते से पैसा देते हैं. हमलोगों की मांग है कि बिहार सरकार वीसी को पदमुक्त करें.”

कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुबोध कुमार कर्मचारियों के लिए आवास के मुद्दे को उठाते हुए कहते हैं पटना विवि आवासीय विवि है और यह 107 वर्ष का हो चूका है. लेकिन अबतक इसमें कही भी कर्मचारियों के लिए आवास नहीं है. कर्मचारियों को प्रोन्नति नहीं किया जा रहा है. शिक्षकों को अगर 10 वर्ष बाद भी प्रोन्नति मिलता है तो उन्हें बैक डेट से जोड़कर पैसा मिल जाता है लेकिन कर्मचारियों के साथ ऐसा नहीं है.”

कर्मचारियों के साथ अभद्र व्यवहार की भी शिकायत

हड़ताल पर गए कर्मचारी अपने साथ अभद्र व्यव्हार किए जाने की शिकायत भी कर रहे हैं. फरमान अब्बास इस संबंध में कहते हैं “जिस शिक्षा के मंदिर में छात्र अच्छा व्यवहार और संस्कार सीखने आते हैं, उसी संस्थान में उच्च पदों पर बैठे पदाधिकारीगण अपने नीचे कार्य कर रहे कर्मचारियों को सम्मान नहीं देते हैं. जबकि सामान्य प्रशासन विभाग, बिहार सरकार ने यह कहा है कि अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ आप शालीनता पूर्वक व्यवहार कीजिए. लेकिन यहां हमें कहा जाता आपलोग कैसे चले आये हैं, आपलोग काम नहीं करते हैं. आपने हराम की नौकरी ले रखी है. आज अपने लिए सम्मान मांगते हुए भी हमें तकलीफ हो रही है, क्योंकि यह कोई मांग नहीं बल्कि अधिकार है.”

कर्मचारियों का कहना है कि इस तरह अपमानजनक व्यवहार ना केवल चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों के साथ किया जाता है बल्कि शैक्षणिक कार्य में लगे शिक्षकों को भी झेलना पड़ता है. लेकिन नौकरी से निकाले जाने या वेतन रोके जाने के डर से कर्मचारी इसकी शिकायत नहीं करते हैं.

इस तरह कि घटनाओं से आहत सुबोध कुमार भावुक होते हुए कहते हैं "कुलपति के देखा-देखी दूसरे पदाधिकारी भी दुर्व्यवहार करते हैं. हॉस्टल सुप्रिटेडेंट का व्यवहार तो और गंदा है. वे कर्मचारियों से अपने घर पर काम कराते हैं. नहीं, करने पर टॉर्चर करते हैं."

अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से पहले हड़ताली कर्मचारियों ने बुधवार (4 दिसंबर) रात को ही पीयू कार्यालय और विवि से संबद्ध सभी संस्थानों के गेट पर ताले बंद कर दिए थे, जिसके कारण अगले दिन किसी भी कॉलेज या विश्वविद्यालय विभाग में कक्षाएं संचालित नहीं हुई थी. आंदोलनकारी कर्मचारियों ने विश्वविद्यालय कार्यालय के सामने प्रदर्शन भी किया. इस दौरान उन्होंने विवि प्रशासन और वीसी के खिलाफ नारे भी लगाए.

पटना यूनिवर्सिटी के हॉस्टल

पांच सदस्यीय कमिटी से वार्ता विफल

कर्मचारी संघ का कहना है कि वे लोग अपनी मांगों को लेकर साल 2022 से प्रदर्शन कर रहे हैं. हड़ताल के बाद हुई बैठकों में समझौते होते हैं. कहा जाता है कि मांगों पर विचार किया जायेगा लेकिन फिर यह फाइलों में बंद हो जाता है.

फरमान अब्बास कहते हैं “हमने आपनी मांगों को लेकर लगभग 60 से ज्यादा चिट्ठीयां लिखी हैं. लेकिन उसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई. फ़ाइलें बस नाम के लिए आगे बढ़ा दी गयी. हमने पिछले महीने भी दो दिनों का हड़ताल किया था ताकि इसपर कुछ संज्ञान लिया जाए. विवि का सबसे बड़ा फंक्शन कान्वोवोकेशन होता है हमने उस समय भी कोई व्यवधान नहीं डाला. लेकिन वीसी वार्ता को तैयार नहीं हुए.”

संघ का आरोप है कि वीसी कर्मचारियों से बात नहीं कर रहे हैं. 4 दिसंबर की शाम संघ को एक चिट्ठी दी गयी जिसमें पांच लोगों की कमिटी के समक्ष अपनी बात रखने को कहा गया. पांच सदस्यीय कमिटी में मगध महिला कॉलेज की प्राचार्य नमिता कुमार, पटना ट्रेनिंग कॉलेज के प्रचार्य प्रो. मो. वासे जफर , लीगल सेल के इंचार्ज बीरेंद्र कुमार गुप्ता, कन्वेनर खगेंद्र कुमार शामिल है.

कमिटी के सदस्यों के साथ कर्मचारी संघ की दो बार बैठक हो चुकी है लेकिन अबतक किसी बात पर सहमती नहीं बनी है. कर्मचारी संघ वीसी के सीधी बात करने की मांग कर रहा है.

संघ के अध्यक्ष अब्बास कहते हैं “बीते 3 दिसंबर को राजभवन कार्यालय से डीन और प्रॉक्टर पर कार्रवाई किए जाने को लेकर चिठ्ठी आई है. लेकिन चार दिन बीतने के बाद भी उसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जब राजभवन से आए लेटर का कुलपति के पास कोई महत्व नहीं है तो वह हमारी बात कैसे सुनेंगे.”

विश्वविद्यालयप्रशासन और कर्मचारियों के बीच संवाद के अभाव में अब विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियां बाधित हो चुकी हैं. बीते दिनों भी छात्रसंघ चुनाव कराए जाने की मांग पर वीसी और छात्रों के मध्य संवाद नहीं होने से  मामला लाठीचार्ज तक पहुंच गया था. ऐसे में विवि प्रशासन को यह विचार करना होगा कि क्या किसी भी मुद्दे पर संवाद नहीं करने से उस मुद्दे का हल निकाला जा सकता है.

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