बिहार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार राज्य की बेरोजगारी दर देश के औसत से ज्यादा

12 फरवरी को विधानसभा में पेश किए गये आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2023-24 बताता है कि राज्य में बेरोजगारी की स्थिति देश के औसत से अधिक है. इस रिपोर्ट के अनुसार राज्य में बेरोजगारी दर 4.3% है जो राष्ट्रीय औसत 3.4% से 0.9% से अधिक है.

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पल्लवी कुमारी
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सरकारी नौकरी की तैयारी

बिहार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट: राज्य में बेरोजगारी की स्थिति

30 वर्षीय रामकृष्ण पटना के आरएमएस कॉलोनी में रहते हैं. साल 2015 में स्नातक पास करने के बाद रामकृष्ण सरकारी नौकरी की तैयारी में लग गए थे. लगातार नौ सालों से सरकारी नौकरी की तैयारी में लगे रहने के बाद भी आजतक उन्हें नौकरी नहीं मिल सकी है.

सरकारी नौकरी की चाह में रामकृष्ण ने आजतक प्राइवेट नौकरी के लिए प्रयास नहीं किया. किसान परिवार से आने वाले रामकृष्ण के लिए पढ़ाई के दौरान परिवार और अपना खर्च निकालने के लिए ट्यूशन पढ़ाना पड़ता हैं. एक दिन में आठ से दस ट्यूशन पढ़ाने के बाद रामकृष्ण मुश्किल से महीने का 15 से 20 हजार रूपया कमा पाते हैं.

रामकृष्ण बताते हैं “12वीं के बाद से ही सरकारी नौकरी की तैयारी में लग गया था. एयरफोर्स का एग्जाम निकल भी गया था लेकिन फिजिकल के बाद मेरा चयन नहीं हो सका. तब से लगातार पता नहीं कितनी परीक्षा दी होंगी लेकिन किसी ना किसी कारण चयन नहीं हो सका. तब मैंने बीएड करने का फैसला किया. 2019 में बीएड के साथ मैंने अच्छे नंबरों से CTET भी पास कर लिया. उम्मीद थी कि इसके बाद नौकरी लग जाएगी. लेकिन पिछले साल सरकार ने इसमें भी बदलाव कर दिया. दोनों चरण की परीक्षा में एक-दो नंबर से रह गया. मेरी जानकारी के कितने ही छात्र जो अच्छे नॉलेज वाले हैं उनकी नौकरी भी नहीं हो सकी.”

job exam

रामकृष्ण के विकलांग पिता और छोटे भाई को केवल रामकृष्ण से उम्मीदें हैं कि एक दिन उनकी नौकरी लग जाएगी और परिवार की आर्थिक स्थिति सुधर जाएगी.

सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले युवा खासकर शिक्षक बनने की चाह रखने वाले छात्रों के लिए पिछला तीन-चार महीना बहुत ही अच्छा रहा है. नवंबर में पहले चरण की एक लाख से अधिक नियुक्तियां, वहीं जनवरी महीने में 90 हजार तक की नियुक्तियां की गई हैं. अभी तीसरे चरण की नियुक्ति के लिए परीक्षा का आयोजन होने वाला है. इस बीच बिहार पुलिस में भी हजारों पदों पर नियुक्तियां आईं है. लेकिन चुनावी साल नजदीक होने के समय लाखों नियुक्तियां जारी करने से क्या राज्य में रोजगार की स्थिति बदल सकती है.

राज्य की बेरोजगारी दर देश से ज्यादा

12 फरवरी को विधानसभा में पेश किया गया आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2023-24 बताता है कि राज्य में बेरोजगारी की स्थिति देश के औसत से अधिक है. इस रिपोर्ट के अनुसार राज्य में बेरोजगारी दर 4.3% है जो राष्ट्रीय औसत 3.4% से 0.9% से अधिक है. हालांकि केरल (8.4%), हरियाणा(6.4%) और पंजाब (6.7%) जैसे राज्यों के मुकाबले बिहार की स्थिति काफी बेहतर है.

jobless youth

देशभर में पलायन करने वाले मजदूरों वाला राज्य कहलाने वाले बिहार में इस रिपोर्ट में मनरेगा के तहत रोजगार पाने वाले मजदूरों के लिए अच्छी खबर है. रिपोर्ट में बताया गया है कि सालभर में मनरेगा के तहत रोजगार पाने वाले परिवारों की संख्या 48 लाख से बढ़कर 50 लाख हो गई है. वहीं मनरेगा में सालाना रोजगार सृजन दिवस में बढ़ोतरी हुई है. रोजगार सृजन की अवधि 18 करोड़ 11 लाख मानव दिवस से बढ़कर अब 23 करोड़ 65 लाख मानव दिवस हो गई है.

वहीं बात अगर राज्य के औसत आय कि की जाये तो राज्य में प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2022-23 में स्थिर (आधार वर्ष 2011-12) मूल्य पर प्रति व्यक्ति आय 9% की वृद्धि के साथ 35,119 रूपए बताई गयी है जो राष्ट्रीय औसत 1,72,000 रूपए से काफी कम है.

वहीं रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अगर पिछले वर्ष की तुलना में 13.9% की वृद्धि होती है तो आने वाले दिनों में लोगों की औसत आय में वृद्धि हो सकती है. अनुमानित वृद्धि दर के हिसाब से लोगों की औसत आय बढ़कर 59,637 रुपए होने का अनुमान लगाया गया है.

67.1% आबादी आर्थिक तौर पर निर्भर 

आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट बताती है कि राज्य की लगभग 67% आबादी आर्थिक तौर पर दूसरों पर निर्भर है. दरअसल 0 से 14 वर्ष तक बच्चे और 65 वर्ष से ज्यादा उम्र के बुजुर्गों का, 15 से 64 वर्ष के कामकाजी व्यक्ति पर आर्थिक निर्भरता के अनुपात को व्यक्ति निर्भरता अनुपात (ratio) कहते हैं. किसी भी देश या राज्य में रहने वाली कितनी प्रतिशत आबादी आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर है इसका अनुमान भी इस अनुपात से लगाया जा सकता है.

सावधिक श्रम शक्ति सर्वेक्षण 2022-23 के आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण बिहार की 68.8% आबादी आर्थिक रूप से सक्रिय कमाऊ आबादी पर निर्भर थी. वहीं शहरी बिहार में 49.3% आबादी आर्थिक तौर पर दूसरों पर निर्भर है.

वहीं बात जब श्रमिक जनसंख्या अनुपात की आती है तो यहां भी बिहार अन्य राज्यों के मुकाबले काफी पीछे चला जाता है. श्रमिक जनसंख्या अनुपात को कुल आबादी में नियोजित व्यक्तियों के हिस्से के रूप में परिभाषित किया जाता है.

किसी भी राज्य की आर्थिक सबलता का बहुत बड़ा कारण रोजगारपरक व्यक्ति होते है. श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR) के अनुसार बिहार में श्रमिक जनसंख्या यानि कामकाजी आबादी मात्र 48.7% है जो राष्ट्रीय औसत 59.5% से 10.8% कम है. कामकाजी महिलाओं और पुरुषों के बीच यह अंतर और ज्यादा बड़ा हो जाता है.

राज्य में पुरुषों का श्रमिक जनसंख्या अनुपात 73.7% जबकि महिलाओं का श्रमिक जनसंख्या अनुपात मात्र 23.5% था. यहां एक बड़ा अंतर यह देखने को मिल रहा है कि शहरी महिलाओं कि तुलना में ग्रामीण महिलाएं काम काज में ज्यादा संलग्न है. महिलाओं के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात शहरी बिहार में 12.4% था जबकि ग्रामीण बिहार में यह आंकड़ा 24.5% था.

बिहार में 62.1% पुरुष श्रमिक स्वनियोजित

बिहार में 62.1% पुरुष श्रमिक स्वनियोजित थे और यह अनुपात पूरे भारत में पुरुष श्रमिकों के 53.5% के अनुपात से काफी अधिक है. बिहार में स्वनियोजित श्रेणी में 54% पुरुष श्रमिक नियोक्ता है. वहीं नियमित मजदूरी में लगे पुरुष श्रमिकों का अनुपात 9.1% था, जो पूरे भारत के स्तर पर 23.8% है. दूसरी तरफ 28.8% पुरुष श्रमिक अनियमित श्रमिक के तौर पर काम कर रहे हैं. 

पुरुष श्रमिकों के अनुपात

महिला श्रमिकों के मामले में केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों को छोड़कर देश के सभी राज्यों में अधिकांश महिला श्रमिक स्वनियोजित हैं. स्वनियोजित श्रेणी के अंदर महिलाओं का काफी बड़ा हिस्सा घरेलू उद्योगों में सहायक के तौर पर था.

बिहार में आर्थिक गतिविधियों में संलग्न 70.8% महिला श्रमिकों में 31.6% घरेलू उद्यमों की उत्पादन गतिविधियों में सहायक के तौर पर काम कर रही थी. साथ ही बिहार में महिलाओं का 21.7% हिस्सा अनियमित रोजगार के क्षेत्रों में संलग्न था जबकि पूरे भारत में यह आंकड़ा 17.01% का है. 

रोजगार के प्राथमिक क्षेत्र जैसे- खेती, वानिकी, पशुपालन, मछलीपालन एवं खनन के कार्यों में पुरुष (41.1%) और महिला (76.5%) दोनों ही समूहों द्वारा रोजगार पाने का प्रतिशत ज्यादा रहा है. वहीं आय का तृतीयक क्षेत्र जिसमें सरकारी नौकरी, व्यापार, स्थायी संपदा, जैसे क्षेत्रों में रोजगार पाने वाले पुरुष (29.9%) और महिलाओं (16%) का प्रतिशत काफी कम है. ऐसे में सरकारी नौकरी और उन्नत व्यापार के माध्यम से अपने जीवन को बेहतर बनाने की चाह रखने वाले युवाओं को निराशा हो सकती है.

Bihar Economic Survey report bihar unemployment rate proportion of male workers