क्या बिहार के सरकारी स्कूल में कंप्यूटर शिक्षा कभी पहुंच पाएगी?

पटना जिले के 175 स्कूलों में अच्छी शिक्षा के लिए कुल 2,780 कंप्यूटर सेट लगाये जाने हैं. पहले चरण में 109 स्कूलों में लैब बनाये जाने हैं. लेकिन कंपनी की लेट लतीफ़ी के कारण अब तक 28 स्कूलों में ही लैब बन सकी है.

author-image
पल्लवी कुमारी
एडिट
New Update
क्या बिहार के सरकारी स्कूल में कंप्यूटर शिक्षा कभी पहुंच पाएगी?

सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाते शिक्षक

बिहार (Bihar) के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा मिल सकती है. इसके लिए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने जिलाधिकारियों और उप विकास आयुक्तों को चयनित स्कूलों में कंप्यूटर लैब स्थापित करने का निर्देश दिया है.

इसके तहत पहली बार माध्यमिक कक्षाओं के बच्चों को भी कंप्यूटर (computer education in Bihar school) की शिक्षा मिल सकती है. योजना के पहले चरण में राज्य के 4,707 स्कूलों में आईसीटी कंप्यूटर लैब बनाए जाने हैं. केंद्र सरकार द्वारा संचालित समग्र शिक्षा अभियान के तहत चयनित स्कूल के लैब का निर्माण किया जाएगा. जिसमें 10 कंप्यूटर सेट, प्रोजेक्टर एवं डिजिटल बोर्ड लगाए जाने है.

शिक्षा विभाग का कहना है कि इससे करीब 75 लाख छात्रों को लाभ मिलेगा. वर्तमान में राज्य में केवल उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा देने की व्यवस्था है.

विकास की धीमी रफ्तार, 15 दिन मिला अतिरिक्त समय

योजना के तहत पटना (Patna) जिले के 175 स्कूलों में कुल 2,780 कंप्यूटर सेट लगाये जाने हैं. इसके तहत माध्यमिक विद्यालयों में 20 और मध्य विद्यालयों में 10 कंप्यूटर वाले लैब की बनाये जाने हैं.

पहले चरण में 109 स्कूलों में लैब बनाये जाने हैं जिसके लिए 6 एजेंसियों को टेंडर दिया गया था. योजना के पहले चरण की शुरुआत सितंबर महीने में हुई थी जिसे अक्टूबर महीने में पूरा किया जाना है. लेकिन पटना समेत पूरे राज्य में आईसीटी कंप्यूटर लैब बनाने का काम बहुत धीरे चल रहा है. इसके कारण जिले के 109 स्कूलों में से मात्र 28 में ही लैब बन सकी है.

काम की धीमी प्रक्रिया के कारण शिक्षा विभाग ने एजेंसी को काम पूरा करने के लिए 15 दिन का अतिरिक्त समय दिया है. अगर इसके बाद भी एजेंसी काम पूरा नहीं कर पाती है तो दूसरी एजेंसी को टेंडर दिया जाएगा.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार विभाग द्वारा कम प्रॉफिट मिलने के कारण एजेंसी काम पूरा करने में देरी कर रही है. सरकार द्वारा एक कंप्यूटर सेट करने का किराया 825 रूपए तय किया गया है. वही एजेंसी को लैब बनाने के साथ ही कंप्यूटर ऑपरेटर और लैब की सुरक्षा के लिए रात्रि प्रहरी भी मुहैया कराना है.

publive-image

लैब निर्माण की धीमी प्रक्रिया पर पटना जिला शिक्षा पदाधिकारी अमित कुमार कहते हैं “एजेंसियां धीमी गति से आईसीटी कंप्यूटर लैब बना रही है. एजेंसी को जल्द सभी स्कूलों में कंप्यूटर लगाने का निर्देश दिया गया है.”

वहीं पटना जिला कार्यक्रम पदाधिकारी श्याम नंदन कुमार ने बताया कि “स्कूली बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा देने साथ ही पढ़ाई में इसका महत्व समझाने के लिए आईसीटी लैब तैयार कराई जा रही है. सभी एजेंसी को अक्टूबर के अंत तक लैब निर्माण का लक्ष्य दिया गया है.”

पहले से लगा कंप्यूटर कबाड़ बन चुका है

एजेंसी को हाईस्कूल में 20 और मिडिल स्कूल में 10 कंप्यूटर लगाने हैं. राज्य के 4707 सरकारी स्कूल में प्रथम चरण में कंप्यूटर लैब बनाये जाने हैं. आइसीटी लैब तैयार होने के बाद प्रत्येक स्कूल में हर दिन कंप्यूटर की क्लास होगी.

हालांकि बिहार सरकार ने इससे पहले भी सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर लगाये थे, लेकिन मेंटेनेंस नहीं होने के कारण ज्यादातर स्कूलों में लगे कंप्यूटर कबाड़ बन चुके हैं. मुख्य सचिव के के पाठक के निरीक्षण के दौरान अनुपयोगी सामानों से स्कूल के कमरे भरे पड़े थे और बच्चों के  बैठने के लिए कमरे नहीं थे. जिसके बाद अपर मुख्य सचिव ने स्कूल में कबाड़ हो चुके सामानों को बेचने का निर्देश दिया था.

बिहार शिक्षा परियोजना ने कंप्यूटर लैब, किताब, शिक्षकों की सैलरी जैसी विभिन्न आवश्यकताओं के लिए 14,250 करोड़ रूपए की मांग, समग्र शिक्षा अभियान के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड से की थी. लेकिन बोर्ड ने अप्रैल महीने में हुए बैठक में इसके लिए 8100 करोड़ रूपए मंजूर किये गये थे.

बिहार सरकार ने 2253 प्लस टू स्कूल में कंप्यूटर लैब बनाने के लिए बजट मांग था जिसके लिए बोर्ड ने मंजूरी दी थी. वहीं पहली बार 1981 मध्य स्कूलों में स्मार्ट लैब बनाने के लिए भी बजट मंजूरी दी गयी है. शिक्षकों की सैलरी के लिए 3000 हजार करोड़ से ज्यादा राशि मंजूर की गई है.

वहीं कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों को किताब उपलब्ध कराने के लिए 500 करोड़, स्कूली बच्चों के पोषाहार के लिए 1000 हज़ार करोड़ से अधिक और स्कूल को ग्रांट देने के लिए 413 करोड़ मंजूर किये गये हैं.

मिड डे मील के दौरान पटना के सरकारी स्कूल के बच्चे

बिहार के मात्र 8.6% सरकारी स्कूल में हैं कंप्यूटर की उपलब्धता

आर्थिक रूप से सक्षम परिवारों के लिए अपने बच्चों को कंप्यूटर और लैपटॉप से दूर रखना आज के समय में सबसे बड़ा चैलेंज है. क्योंकि इन बच्चों के पास कंप्यूटर और इंटरनेट की पहुंच स्कूल से लेकर घर तक आसानी से हैं.

लेकिन इसके उलट वैसे परिवार जिनके लिए कंप्यूटर खरीदना या बच्चे को इसका उपयोग सीखाना बहुत बड़ी चीज है. क्योंकि वैसे परिवार में रह रहे बच्चों के पास ना तो घर में कंप्यूटर है और ना ही सरकारी स्कूल में.

इंटरनेट क्रांति के बाद दुनिया जहां 5जी का इस्तेमाल कर रही है, वहीं स्कूल जहां बच्चे इंटरनेट का सही उपयोग सीख सकते हैं, वहां कंप्यूटर ही मौजूद नहीं है.

देश के आधे से ज्यादा स्कूलों में आज भी कंप्यूटर नहीं है. यू-डायस 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार देश के 47.5% स्कूलों में ही कंप्यूटर मौजूद है. वहीं सरकारी स्कूल में ये आंकड़े घटकर 37.7% हो जाता हैं.

राज्यों में देखने पर गुजरात, हरियाणा, छत्तीसगढ़, केरल और पंजाब की स्थिति देश से अच्छी है. इन राज्यों के 90% स्कूलों में कंप्यूटर की पहुंच है.

बिहार के 18.9% सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर की पहुंच हैं जिसमें सरकार द्वारा संचालित मात्र 6,811 (9%) स्कूलों में कंप्यूटर की सुविधा है. यू-डायस ने अपने रिपोर्ट में ‘फंक्शनल’(काम कर रहे) कंप्यूटर का अलग से डाटा बनाया है. इस डाटा के अनुसार बिहार के 6,472 (8.6%) स्कूलों के कंप्यूटर ही ‘फंक्शनल स्टेज’ में हैं.

ऐसे में बिहार सरकार को कंप्यूटर शिक्षा के दिशा में जरूरी कदम उठाने होंगे.

Bihar NEWS patna computer education in bihar school patna school