Patna News: PMC द्वारा वेंडिंग जोन पर खर्च हुए करोड़ों रूपए हुए बेकार, फुटपाथी दुकानदारों को नहीं मिल रहा लाभ

पटना में 98 जगहों पर वेंडिंग जोन बनाने का प्रस्ताव दिया गया था. लेकिन विभिन्न विभागों से सहमति नहीं मिलने के कारण मात्र 35 जगहों पर वेंडिंग जोन बनाने की सहमति मिली थी.

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शहरी फुटपाथी दुकानदारों को वेंडिंग जोन

शहरी फुटपाथी दुकानदारों की वेंडिंग जोन

किसी भी शहर को स्मार्ट और व्यवस्थित बनाए जाने के कई कारक बताये जा सकते हैं लेकिन मुख्य तौर पर हम इसकी शुरुआत सड़क से कर सकते हैं. स्मार्ट और व्यवस्थित शहर बनाए जाने के लिए सबसे पहले उस शहर की सड़कों को जाम मुक्त बनाना होगा. वाहन सड़कों पर आराम से चले इसकी दो शर्त है-पहली तो अच्छी सड़क और दूसरी है- सड़क पर पर्याप्त जगह. नीतीश कुमार के कार्यकाल में बिहार की सड़के तो बेहतर हुई हैं लेकिन उन सड़कों पर निर्बाध चलना काफी मुश्किल हो गया है. 

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बढ़ती आबादी का रोजगार की तलाश में शहर की तरफ भागना अब एक सामान्य स्थिति बन गई है. शहर में अच्छे वेतन की नौकरी ना मिलने और पूंजी के अभाव में व्यक्ति फुटपाथ पर रोजगार के अवसर तलाशने लगता है. देश के कुल कामगारों की 90% आबादी असंगठित क्षेत्रों में काम कर रही है. ऐसे में जाहिर है करोड़ों लोग सड़कों पर सामान बेचकर अपना घर चला रहे हैं. लेकिन फुटपाथों पर लगने वाले यही दुकान शहरों में जाम की समस्या उत्पन्न करते हैं.

ऐसे में यह नगर निगम के जिम्मेदारी है कि वह फुटपाथी दुकानदारों को एक व्यवस्थित जगह उपलब्ध कराए. ताकि दुकानदारों के साथ-साथ, शहर भी जाम मुक्त हो सके. शहरी फुटपाथी दुकानदारों को वेंडिंग जोन उपलब्ध कराए जाने का प्रयास सालों से चल रहा है. लेकिन अबतक इस प्रयास का सफल परिणाम नजर नहीं आ रहा है. 

पटना के फुटपाथ पर दुकान

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पटना नगर निगम(PMC) ने राजधानी पटना में 98 जगहों पर वेंडिंग जोन बनाने का फैसला लिया था. लेकिन विभागी अड़चनों के कारण 32 स्थानों पर वेंडिंग जोन और वेंडिंग सेंटर बनाने की सहमती बनी थी. लेकिन निगम प्रशासन 32 में से मात्र 6 जगहों पर ही वेंडिंग जोन बना सका है.

2018 से अटका हुआ है कदमकुआं में बनने वाला वेंडिंग जोन

कदमकुआं में वेंडिंग जोन(Vending zone) बनाने का प्रस्ताव साल 2018 में लाया गया था. शहरी एवं आवास विभाग द्वारा चार करोड़ 11 लाख 31 हजार रुपए की प्रशासनिक स्वीकृति भी दी गई. निर्माण कार्य शुरू होने के बाद नगर विकास विभाग में इसपर रोक लगा दिया. निर्माण कार्य रोके जाने के बाद मामला कोर्ट में चला गया. साल 2022, में वार्ड 38 के वार्ड पार्षद आशीष कुमार सिन्हा द्वारा एक जनहित याचिका पटना हाईकोर्ट में दायर किया गया. पटना हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए नगर विकास विभाग और पटना नगर निगम(patna municipal corporation) से वेंडिग जोन का काम रोके जाने का कारण पूछा.

नगर निगम ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया कि निगम को दो करोड़ रुपये से अधिक का टेंडर जारी करने का अधिकार नहीं है. साथ ही इस तरह के निर्माण के लिए बुडको से सहमति लेनी आवश्यक है. कोर्ट ने इसपर हैरानी जताते हुए कहा था कि इन सरकारी विभागों ने निगम के टेंडर को कैसे रद्द कर दिया, जबकि नगर निगम संवैधानिक दर्जा प्राप्त स्वायत्त संस्था है. कोर्ट ने इस बात पर भी प्रश्न उठाया था कि नगर निगम को बुडको से सहमति लेने जरूरत की क्यों है.

कोर्ट के आदेश के बाद वेंडिंग जोन बनाने के लिए निगम ने नौ महीने का समय लिया था लेकिन समय सीमा बीते काफी समय हो गया है. हाल ही में पटना हाईकोर्ट ने कदमकुआं वेंडिंग जोन के निर्माण की प्रगति को लेकर पटना नगर निगम से जवाब तलब किया है. 2 मार्च को हुई सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति हरीश कुमार की खंडपीठ ने निगम से पूरक हलफनामा दायर कर स्थिति से अवगत कराने का निर्देश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होनी है.

इसके पहले निगम की ओर से कोर्ट को बताया गया कि  कदमकुआं वेंडिंग जोन का निर्माण तेजी से चल रहा है. निगम ने बताया था कि एक तल्ले का निर्माण हो चुका है वहीं दुसरे तल्ले पर निर्माण कार्य जारी है. 

कदमकुआं स्थित वेंडिंग जोन में फल, सब्जी समेत मांस-मछली की 200 दुकानें होंगी जिसके लिए निगम ने चार करोड़ रुपये का बजट रखा है. वहीं शहर के अलग-अलग भाग में बनाये जा रहे वेंडिंग जोन के लिए निगम द्वरा वर्ष  2024-25 के बजट में 26 करोड़ का बजट रखा गया है. 

अधिकतर वेंडिंग जोन पर अवैध कब्जा

पटना में 98 जगहों पर वेंडिंग जोन बनाने का प्रस्ताव दिया गया था. लेकिन विभिन्न विभागों से सहमति नहीं मिलने के कारण मात्र 35 जगहों पर वेंडिंग जोन बनाने की सहमति मिली थी. लेकिन निगम प्रशासन 35 में से भी मात्र 16 जगहों पर वेंडिंग जोन बना सका. शहर के विभिन्न स्थानों पर बने वेंडिंग जोन पर अवैध लोगों का कब्जा है. कहीं गाड़ियां पार्क हो रही है, कही जानवर बांधे जा रहे हैं तो कहीं कचरा फेंका जा रहा है. कदमकुआं स्थित वेंडिंग जोन का निर्माण अभी जारी है, वहीं वार्ड 15, वार्ड 27 और वार्ड 48 में पहले से निर्मित वेंडिंग जोन बदहाल स्थिति में पड़ा है.

गर्दनीबाग के वार्ड नंबर 15 स्थित वेंडिंग जोन के कुछ हिस्सों में दुकानदार दुकान लगाते हैं जबकि बाकि हिस्से में गाड़ियां पार्क हो रही हैं. अंटाघाट स्थित वार्ड 27 में बने वेंडिंग जोन का उद्घाटन साल 2021 में हुआ था. लेकिन दो सालों के अंदर ही, यहां बने शौचालय और फ्लोर खराब हो गये. यहां भी दुकानदारों से ज्यादा अवैध गाड़ियों ने अपना कब्जा जमाया हुआ है. वहीं प्रेमचंद रंगशाला के नजदीक सैदपुर में बने वेंडिंग जोन में भी मवेशियों को बांधा जा रहा है. आसपास फुटपाथ पर रहने वाले लोग इसका इस्तेमाल कपड़े सुखाने में भी कर रहे हैं.

वेंडिंग जोंन की बदहाली पर असंगठित क्षेत्र कामगार संगठन, बिहार के सदस्य विजयकांत कहते हैं "जितने भी वेंडिग जोन बने हैं वह मॉनिटरिंग के अभाव में बदहाल हो गये हैं. दुकानदारों से ज्यादा वहां अवैध लोग रह रहे हैं. हमारे दुकानदार मजबूरी में सड़क पर दुकान लगाते हैं. उनके दुकान को कभी निगम की हल्ला गाड़ी तो कभी पुलिस की बुल्डोजर उखाड़ कर फेंक देती हैं. कर्ज लेकर शुरू किया गया व्यापार कुछ ही मिनट में खत्म हो जाता है, जबकि उनके पास उस क्षेत्र का वेंडिंग कार्ड रहता है." 

राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत बनाया जाना है वेंडिंग जोन

केंद्र सरकार के दीनदयाल अंत्योदय योजना के ‘राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन’ के तहत शहरी गरीबों को रोजगार के लिए बेहतर माहौल देने की योजना है. सड़क किनारे दुकान लगाकर अपनी आजीविका चलाने वाले दुकानदारों को एक व्यवस्थित जगह यानी वेंडिंग जोन देना इसी योजना के तहत आता है. वेंडिंग जोन ऐसा क्षेत्र है जहां फुटपाथी दुकानदार अस्थाई रूप से अपना रोजगार कुछ शर्तों के साथ कर सकते है.

वेंडिंग जोन में दुकान लगाने के लिए दुकानदारों को वेंडिंग लाईसेन्स दिया जाता है. बिहार सरकार भी बिहार अर्बन लाइवलीहुड मिशन (BULM) के तहत सपोर्ट टू अर्बन स्ट्रीट वेंडर्स (SUSV) प्रोग्राम चलाती है. जिसके तहत स्ट्रीट वेंडर, महिलाओं, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को रोजगार सक्षम बनाने के लिए मदद दिया जाता है. साथ ही इसके तहत स्ट्रीट वेंडरों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना, छोटे उद्योगों के विकास के लिए ऋण उपलब्ध कराना शामिल है.

निगम द्वारा मिली जानकारी के अनुसार पटना में लगभग 23 हजार फूटपाथी दुकानदारों को वेंडिंग कार्ड दिया गया है. हालांकि फुटपाथी दुकानदारों की संख्या इससे ज्यादा हो सकती है जिन्हें रोजगार करने के लिए बेहतर अवसर की आवश्यकता है. विजयकांत वेंडरों की संख्या पर सवाल उठाते  हुए कहते हैं “निगम कहती है हमने 23 हजार फुटपाथी दुकानदार को कार्ड दिया है लेकिन पटना में एक लाख से ज्यादा फुटपाथी दुकानदार होंगे. निगम नए सिरे से सर्वे कर दुकानदारों को चिन्हित करे. वहीं वेंडिंग कमिटी का निर्माण लोकतांत्रिक ढ़ंग से किया जाए. जिससे दुकानदारों के हित में फैसला लिया जा सके."

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