बिना वैकल्पिक व्यवस्था के फूटपाथी दुकानदार को हटाना कितना सही?

पटना की ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए जिला प्रशासन और निगम प्रशासन फूटपाथ पर दुकान लगाने वाले दुकानदारों को हटा रही है. जिसका फूटपाथी दूकानदार विरोध कर रहे है. दुकानदारों का कहना है कि अगर वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होगी तो आंदोलन बड़ा हो सकता है.

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बिना वैकल्पिक व्यवस्था के फुटपाथ दुकानदारों को हटाना कितना सही?

भाकपा-माले विधायक महबूब आलम के साथ फूटपाथ दुकानदार

मंजू देवी का परिवार कई पीढ़ियों से सब्जी बेचने का कारोबार कर रहा है. यही इनके रोज़ी-रोटी का एकमात्र साधन है. फूटपाथी दुकानदारों के एक दिवसीय धरने में शामिल होने आई मंजू देवी डेमोक्रेटिक चरखा से बताती हैं “मेरे मां-बाप सालों से राजेंद्रनगर में सब्जी बेचते आए हैं. उनके बाद हमलोग सब्जी बेच रहे हैं. हमलोग किसी तरह ग्रुप से पूंजी जुटाकर दुकान लगाते हैं. लेकिन हर दुसरे दिन निगम का हल्ला गाड़ी आकर, दुकान उजाड़ देता है, फाइन लगा देता है. जब दुकान ही नहीं लगेगा तो पैसा कहा से आएगा.”

मंजू देवी कहती है “सरकार कहती हैं हम गरीबों का भला चाहते हैं. लेकिन जब रोज़ी-रोटी ही नहीं रहेगा तो क्या कमाएंगे क्या खायेंगे? हमारा बेटा-बेटी कहां से पढ़ेगा.”

माले ने दुकानदारों के साथ निकाला विरोध मार्च

सोमवार को माले विधायकों के साथ फूटपाथी दुकानदारों ने पटना जंक्शन से मौर्यालोक तक विरोध मार्च निकाला था. दुकानदारों का कहना है कि अगर निगम उनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था नहीं करेगा तो उनका आंदोलन और बड़ा हो सकता है.

विरोध प्रदर्शन में शामिल होने आये जहांगीर आलम खान जीपीओ गोलंबर के पास पुराने कपड़ों का कारोबार करते हैं. लेकिन उनका कहना है कि पिछले पांच-छह सालों से दुकानदारों को रोड पर दुकान लगाने पर परेशान किया जा रहा है. जहांगीर कहते हैं “जीपीओ पर 50 साल से दुकान लगा रहे हैं. लेकिन इधर पांच-छह साल से निगम की गाडी कभी भी आकर हटाने लगती है जबकि हमारा वेंडर कार्ड बना हुआ है. उसी कार्ड के आधार पर हमे पीएम स्वनिधि के तहत लोन भी मिला है. लोन के पैसे से जो माल लाकर हम दुकान लगाते हैं उसे निगम जब्त करके ले जाती है.”

भाकपा माले और दुकानदार
भाकपा माले और दुकानदार

‘स्ट्रीट वेंडिंग एक्ट’ का हो रहा उल्लंघन- महबूब आलम

केंद्र सरकार के दीनदयाल अंत्योदय योजना के ‘राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन’ के तहत शहरी गरीबों को रोजगार के लिए बेहतर माहौल देने की योजना है. सड़क किनारे दुकान लगाकर अपनी आजीविका चलाने वाले दुकानदारों को एक व्यवस्थित जगह यानी वेंडिंग ज़ोन देना इसी योजना के तहत आता है.

वेंडिंग जोन ऐसा क्षेत्र है जहां फुटपाथी दुकानदार अस्थाई रूप से अपना रोज़गार कुछ शर्तों के साथ कर सकते है. वेंडिंग ज़ोन में दुकान लगाने के लिए दुकानदारों को वेंडिंग लाईसेन्स दिया जाता है.

बिहार सरकार भी बिहार अर्बन लाइवलीहुड मिशन (BULM) के तहत सपोर्ट टू अर्बन स्ट्रीट वेंडर्स (SUSV) प्रोग्राम चलाती है. जिसके तहत स्ट्रीट वेंडर, महिलाओं, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को रोज़गार सक्षम बनाने के लिए मदद दिया जाना है. साथ ही इसके तहत स्ट्रीट वेंडरों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना, छोटे उद्योगों के विकास के लिए ऋण उपलब्ध कराना शामिल है.

माले विधायक महबूब आलम कहते हैं “फूटपाथी दुकानदारों के संरक्षण के लिए केंद्र ने ‘प्रोटेक्शन ऑफ लाइवलीहुड एंड रेगुलेशन ऑफ स्ट्रीट वेंडिंग एक्ट 2014 लाया था. बिहार सरकार ने भी फूटपाथी दुकानदारों के संरक्षण के लिए 2017 में इस तरह का एक्ट लाया था. लेकिन नगर निगम इन अधिनियमों का उलंघन करते हुए आपराधिक गतिविधि अपनाकर दुकानदारों को उजाड़ने का प्रयास कर रहा है.”

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के नाम पर हो रहा है रहा शोषण

केंद्र सरकार द्वारा लागू स्मार्ट सिटी मिशन के तहत चयनित शहरों को पांच सालों के अंदर सार्वजनिक और निजी भागीदारी के लिए सुलभ बनाया जाना है. स्मार्ट सिटी के योजना के तहत शहर में कनेक्टिविटी को सुलभ बनाये जाने का भी दावा किया गया है. साथ ही चयनित शहरों में फूटपाथ को पैदल चलने वाले लोगों के लिए सुगम बनाया जाना भी शामिल है. लेकिन योजना के आठ सालों बाद भी शहर में इस तरह की मूलभूत सुविधा का निर्माण नहीं हुआ है.

पटना सिटी मिशन मैनेजर से मिली जानकारी के अनुसार पटना में लगभग 23 हजार फूटपाथी दुकानदार हैं जिन्हें वेंडिंग कार्ड दिया गया है.

फूटपाथी दुकानदारों का कहना है कि स्मार्ट सिटी के नाम पर उन्हें उनके जीवन जीने के अधिकार से वंचित किया जा रहा है. बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के हटाये जाने पर वह  कहा जाएंगे.

फूटपाथी दुकानदार का रोजगार खत्म होने की कगार पर है
फूटपाथी दुकानदार का रोजगार खत्म होने की कगार पर है

कुमार दिव्यम पटना में एक्टिविस्ट हैं. दिव्यम फुटपाथ के दुकानदारों के साथ काम करते हैं. डेमोक्रेटिक चरखा से बात करते हुए दिव्यम कहते हैं “पटना में अतिक्रमण हटाने के नाम पर फूटपाथी दुकानदारों को तंग किया जा रहा है. कभी शहर के सौंदर्यीकरण के नाम पर, कभी स्मार्ट सिटी, तो कभी पटना मेट्रो के नाम पर लोगों के पेट पर लात मारा जा रहा है. हमारा कहना है शहर का सौंदर्यीकरण हो लेकिन जिस दुकान के सहारे घर चलता है उसी को उजाड़ दिया जाएगा तो हमलोग कहा जाएंगे. पहले रोजगार के लिए व्यवस्था किया जाए.”

35 आवंटित स्थानों में से 16 जगहों पर बनी वेंडिंग जोन- सिटी मिशन मैनेजर

पटना में 98 जगहों पर वेंडिंग जोन बनाने का प्रस्ताव दिया गया था. लेकिन विभिन्न विभागों से सहमति नहीं मिलने के कारण मात्र 35 जगहों पर वेंडिंग जोन बनाने की सहमति मिली थी. लेकिन निगम प्रशासन 35 में से मात्र 16 जगहों पर अब तक वेंडिंग जोन बना सका है.

पटना नगर निगम के सिटी मिशन मैनेजर आरिफ हुसैन बताते हैं “35 जगहों पर वेंडिंग जोन बनाने का आवंटन मिला था जिसमे से 16-17 जगहों पर वेंडिंग जोन बनकर तैयार हुआ है. हम लोग प्रयास कर रहे हैं. कुछ बड़े जगहों पर वेंडिंग जोन बनाने के लिए जगह प्रस्तावित है. स्टेशन रोड पर दुकान लगाने वाले दुकानदारों के लिए भी हमलोग प्रयास कर रहे हैं."

बिना वैकल्पिक व्यवस्था के हटाये जाने के दुकानदारों के आरोप से सिटी मिशन मैनेजर इंकार करते हैं. आरिफ़ कहते हैं “कानून में प्रावधान है कि वेंडरों को रीलोकेट (हटाने से पहले) करने से पहले वैकल्पिक व्यवस्था किया जाए. हमारे पास जो बेहतर व्यवस्था है जहां संभावनायें हैं उस जगह को डेवलप करके हम वेंडरों को दे रहे हैं. अभी दो-तीन और जगह हमलोग विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं. स्टेशन स्थित मल्टीलेवल कार पार्किंग को भी विकसित किया जा रहा है.”

आरिफ़ कहते हैं वेंडिंग कार्ड होने का मतलब यह नहीं है कि आप ब्लैक टॉप पर आकर दुकान लगा दें. दुकानदारों को वेंडिंग कार्ड देते वक्त हम समझाते हैं कि क्या करना है, क्या नहीं?

वेंडिंग जोन बनाने के बाद भी दुकानदार उस जगह पर क्यों नहीं जाना चाहते? इस सवाल से किनारा करते हुए सिटी मिशन मैनेजर कहते हैं “बाद में बात करते हैं.”

जिला प्रशासन और नगर निगम को वेंडरों की सुविधा के लिए जल्द ही वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगा.

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