राजधानी पटना के कई व्यस्तम इलाकों में स्मार्ट बस स्टॉप का निर्माण साल 2021 में किया गया था. यह निर्माण पटना स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट (Patna Smart City Project) के तहत शहर के एरिया बेस्ड डेवलपमेंट (एबीडी) क्षेत्र में पड़ने वाले स्थानों पर किया गया था. 2.5 करोड़ रुपए की लागत से विकसित किए गये इन बस स्टॉप्स पर रूट नंबर और बसों के आने-जाने की जानकारी उनके अनुमानित आगमन समय के साथ प्रदर्शित किये जाने की व्यवस्था की गयी थी.
साथ ही इन बस स्टॉप पर आरामदायक बैठने की जगह और बेहतर रौशनी की सुविधा के साथ-साथ कूड़ेदान, धूप और बारिश से बचाने के लिए शेड और विज्ञापनों के लिए स्मार्ट डिस्प्ले भी लगाए गए थे. वहीं भविष्य में इन बस स्टॉप पर वाई-फाई और क्लोज-सर्किट टेलीविजन कैमरे लगाये जाने की बात भी कही गयी थी.
लेकिन कुछ ही दिनों में ये बस स्टैंड रख-रखाव के अभाव में बेकार हो गये. स्थिति तो यह है कि सड़क पर खड़े व्यक्ति को यह भी पता नहीं है कि आखिर सामने ही बस स्टैंड भी है, जहां बस या ऑटो का इंतजार किया जा सकता है.
अवैध कब्जे और कचरे का अंबार
शहर में 10 स्थानों पर स्मार्ट बस स्टॉप स्टैंड बनाये गए हैं. ये बस स्टॉप जमाल रोड, चिरैयाटांड़ पुल (पीलर नंबर 47), जीपीओ गोलंबर, बिहार इंटरमीडिएट काउंसिल (गेट नंबर 1 और 2), तारामंडल, बीरचंद पटेल पथ, गार्डिनर हॉस्पिटल, हाईकोर्ट, बांस घाट और पीर अली पार्क के पास बनाया गया था. लेकिन आज इनमें से एक भी बस स्टॉप आज यात्रियों को खड़े होने लायक भी नहीं बचे हैं. यहां आज मवेशियों, अवाड़ा पशुओं, अवैध पार्किंग, अवैध दुकानदारों, बंजारों और शाम में नशाखोर व्यक्तियों ने अपना अड्डा बन लिया है. यहां ना तो बस रूकती है और ना ही यात्री यहां बस का इंतजार करते हैं.
पटना शहर के मुख्य मार्गों में से एक पटना जंक्शन शहर का सबसे व्यस्तम इलाका है. यहां रोजाना लाखों यात्री शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में जाने के लिए बस, ऑटो और ट्रेन पकड़ने के लिए आते है. इसी को ध्यान में रखते हुए पटना स्मार्ट सिटी मिशन के तहत पटना जंक्शन के मुख्य चौराहे पर बस स्टॉप स्टैंड बनाया गया था. ताकि यात्री बस यहां यात्रियों को सुरक्षित ढ़ंग से उतारे लेकिन यहां से गुजरने वाले यात्रियों को पता नहीं है कि यहां एक नहीं बल्कि दो बस स्टैंड मौजूद है.
इन दोनों बस स्टॉप पर सड़क पर ठेला लगाने वाले दुकानदारों ने कब्ज़ा जमाया हुआ है. मुख्य चौराहे पर बने बस स्टॉप पर नारियल पानी बेचने वाले दुकानदारों ने अपना सामान रखा हुआ है. रख-रखाव नहीं होने के कारण शेड के नीचे का फर्श और यात्रियों के बैठने के लिए लगा बेंच उखड़ चुका है. वहीं रही सही कसर शेड के पीछे बने सार्वजनिक शौचालय ने पूरा कर दिया है. यात्री शेड के पीछे बने शौचालय से आती बदबू से यहां बैठना तो दूर, खड़ा होना भी मुश्किल है.
यात्री शेड के नीचे बैठे कुछ यात्रियों ने बताया कि वे लोग मज़बूरी में यहां बैठे हैं. कुछ लोग यहां अपने परिचित या फिर अपने रूट के बस का इंतजार कर रहे थे. परसा बाजार के रहने वाले एक छात्र ने बताया कि “मैं यहां कोचिंग में एडमिशन लेने के लिए आया हूं. मेरे साथ मेरा दोस्त भी आया है. उसे चांदनी मार्केट से इलेक्ट्रिक का कुछ सामान खरीदना है, इसलिए मैं यहां बैठने आ गया. लेकिन पीछे फैली गंदगी से बैठना मुश्किल हो रहा है. लेकिन बाहर धूप है इसी मजबूरी में यहां बैठ गया हूं.”
आखिर इन शेड की इस बदहाली की जिम्मेदारी किसकी है? शेड के रखरखाव की जिम्मेवारी किसकी है? इसके लिए हमने पटना स्मार्ट सिटी की पीआरओ प्रिया सौरव से संपर्क किया. प्रिया सौरव का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. क्योंकि इस मामले को देखने वाले कर्मचारी अभी छुट्टी पर हैं.
जीपीओ गोलंबर पर बना शेड हुआ गायब
जीपीओ गोलंबर से पटना लगभग सभी क्षेत्र जैसे- बोरिंग रोड, कुर्जी मोड़, आसियाना, अनीसाबाद, बेली रोड, दानापुर, फुलवारी शरीफ और पटना एम्स के लिए बस सेवाएं चलती हैं. ऐसे में यहां बस स्टॉप बनाया जाना यात्रियों की सुविधा के लिहाज से बहुत जरुरी है. 2021 में ही यहां यात्री शेड का उद्घाटन हुआ था लेकिन आज के समय में इसकी हालत काफी बदतर है.
यहां बस स्टॉप के नाम पर केवल शेड बचा है. जहां सड़क किनारे रहने वाले बेघर लोगों ने अपना कब्जा जमाया हुआ है. यात्री शेड के सामने अघोषित सिटी बस स्टैंड बन गया है, जहां कतार में खड़े बस तो नजर आते हैं लेकिन यात्री शेड नहीं के अन्दर यात्री नहीं. यात्री शेड के बगल में ही फोटो कॉपी की दुकान चलाने वाले दूकानदार बताते हैं “केवल यही नहीं बल्कि आप इसी क्षेत्र के किसी भी यात्री शेड पर चले जाए वहां आपको अतिक्रमण नजर आ जाएगा. ऐसा कोई भी यात्री शेड नहीं बचा है जहां यात्री खड़ा हो सके.”
कुछ स्थानों जैसे हाईकोर्ट, बिहार इंटरमीडिएट काउंसिल और विद्युत भवन के पास स्थित बस स्टॉप की स्थिति कुछ बेहतर है. लेकिन यहां निर्धारित समय पर ना तो बस और ना ही ऑटो रुकते हैं. आखिर बस या ऑटो यहां क्यों नहीं रुकते, इसपर पटना स्मार्ट सिटी की पीआरओ प्रिया सौरव कहती हैं “बस स्टॉप स्टैंड पर निगम या सरकारी बस रुके इसके लिए हमने परिवहन विभाग को दो बार पत्र लिखा है. यह परिवहन विभाग की जिम्मेदारी थी कि वह बसों का रुकना यहां सुनिश्चित करे. लेकिन लेटर लिखने के बाद भी विभाग ने इसपर ध्यान नहीं दिया.”
वहीं मेयर सीता साहू बस स्टॉप की बदहाली का जिम्मेवार वेंडर और आम जनता को बताती हैं. हालांकि जनता पर किसी तरह के दोषारोपण से पहले विभाग को अपनी जिम्मेवारी ईमानदारी से निभानी चाहिए.