रोजाना की तरह, अपना काम ख़त्म करने के बाद संगीता अपने पति के साथ घर लौट रही थी. तभी कैलाशपुरी रोड नंबर तीन के पास पहुंचने के बाद अंधेरे का फायदा उठाकर दो लड़कों ने पीछे से आकर उनका चेन काट लिया. जिस जगह उनके साथ छिनतई की घटना हुई, वहां स्ट्रीट लाइट की रौशनी काफी कम आ रही थी.
“साढ़े नौ बजे के आसपास दुकान से वापस आ रही थी. पीछे बाइक से दो लड़के आए और मेरे गले से चेन काटकर तेजी से आगे बढ़ गए. मैं समझ नहीं पाई मेरे साथ क्या हुआ और ना ही मैं उनलोगों का चेहरा देख पाई.” कंकड़बाग के हनुमान नगर की रहने वाली संगीता कुमारी के साथ यह घटना 15 दिन पहले हुई है.
संगीता आगे कहती हैं “मोहल्ले में जगह-जगह स्ट्रीट लाइट लगा हुआ है लेकिन उसकी रौशनी इतनी कम है कि केवल पोल के गोलाई के पास ही साफ़ दिखाई देता है. पोल से आगे बढ़ते ही अंधेरा हो जाता है. अधिकारी या तो पोल के बीच की दूरी कम करें या बल्ब का पॉवर बढ़ाया जाए.”
साल 2015 में भारत सरकार ने स्ट्रीट लाइटनिंग प्रोग्राम (एसएलएनपी) की शुरुआत की थी. इसके तहत पूरे देश में पारंपरिक स्ट्रीट लाइटों की जगह स्मार्ट और ऊर्जा-कुशल एलईडी स्ट्रीट लाइट लगाया जाना था. 30 जून 2024 तक, ईईएसएल ने देशभर में 1,31,10,745 एलईडी स्ट्रीट लाइटें लगाई थीं. वहीं योजना के तहत बिहार में 5,75,922 एलईडी स्ट्रीट लाइटें लगी थी. लेकिन आज स्थिति यह है कि योजना विफल होने के कगार पर हैं.
एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) द्वारा वर्ष 2021 में राजधानी पटना के 75 वार्डों में 85 हजार से अधिक स्ट्रीट लाइटें लगाई गई थी. लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में इनमें से 30 फीसदी से अधिक लाइटें खराब पड़ी है. वहीं कई मोहल्लों में लगी लाइटें पर्याप्त रौशनी नहीं दे रही है, जिसके कारण रात होते ही सड़के अंधेरे में डूब जा रही है.
निगम ने नहीं किया भुगतान
विद्युत मंत्रालय ने एसएलएनपी कार्यक्रम के लिए कोई बजट आवंटित नहीं किया है, क्योंकि यह कार्यक्रम ईईएसएल द्वारा स्व-वित्तपोषण मोड में कार्यान्वित किया जाता है. राज्यों को योजना संचालन के लिए स्वयं राशि खर्च करनी होती है.
राजधानी पटना में योजना के संचालन के लिए पटना नगर निगम और ईईएसएल के मध्य सात सालों का करार हुआ था. इस दौरान कंपनी को खराब लाइटों की मरम्मती और रखरखाव का काम करना था. लेकिन नगर निगम ने कंपनी द्वारा किए गए कार्य के बदले उसे भुगतान नहीं किया. इसके बाद कंपनी ने मेंटेनेंस का काम बंद कर दिया.
दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट के अनुसार, पटना नगर निगम के ऊपर एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड के 25 करोड़ रुपए से अधिक राशि का बकाया है. बकाया भुगतान के लिए कंपनी ने निगम को कई पत्र लिखे है, लेकिन इसके बाद भी निगम द्वारा भुगतान नहीं किया गया. इसके बाद कंपनी ने स्ट्रीट लाइट मेंटेनेंस का काम रोक दिया.
ईईएसएल के क्षेत्रीय प्रबंधक राकेश कुमार झा द्वारा मीडिया में दिए बयान के अनुसार, “निगम से बातचीत चल रही है बकाया राशि मिलने के बाद मेंटेनेंस का काम शुरू किया जाएगा.”
बकाया भुगतान में देर का कारण क्या है और यह कबतक किया जाएगा? इसपर जानकारी के लिए हमने पटना नगर निगम के कमिश्नर अनिमेश पराशर से संपर्क किया लेकिन उनसे हमारी बात नहीं हो सकी.
हालांकि कंपनी का कहना है कि इस दौरान वीवीआईपी इलाकों के मुहल्लों से शिकायतें आने के बाद उसे दूर किया जा रहा है. इसके लिए कंपनी ने कुछ कर्मी रखे हुए हैं. इसके अलावे कंपनी नें स्ट्रीट लाइट ख़राब होने पर शिकायत दर्ज कराए जाने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया हैं. लेकिन इन नंबरों पर शिकायत दर्ज करने पर भी कार्रवाई नहीं हो रही है.
नतीजतन, शहर के कई मोहल्ले रात में आने-जाने के लिए असुरक्षित हो गए हैं. अंधेरे का फायदा उठाकर अपराधी चोरी, मोबइल, पर्स छिनतई जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. बीते दिनों सोने के चेन काटे जाने के मामलें में भी बढ़ोतरी हुई है. पिछले छह महीनों में शहर में मोबाईल छिनतई की 200 से अधिक घटनाएं, ग्रिल काटकर चोरी की 100 से अधिक घटनाएं और सड़क पर लूटपाट के 50 से अधिक मामले दर्ज हुए हैं.
यारपुर ओवरब्रीज के पास सुरेश शर्मा बढ़ई का काम करते हैं. यही पर इनकी छोटी सी दुकान भी हैं. स्ट्रीट लाइट नहीं होने के कारण इनके काम पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर सुरेश शर्मा बताते हैं “यहां कहीं भी स्ट्रीट लाइट नहीं लगा है. ठंढ का मौसम आ गया है. पांच बजे के बाद ही अंधेरा होने लगता है. छह बजे ही सड़क पर काफी अंधेरा हो जाता है. किसी अनहोनी के डर से आठ बजे के बाद ही दुकान बंद करना पड़ता है. कभी-कभी तो उससे पहले भी. अगर इधर रौशनी रहती तो ग्राहक भी आते और हमलोग भी एक घंटे एक्स्ट्रा काम कर पाते.”
यारपुर ओवेरब्रिज के एक तरफ स्ट्रीट लाइट लगाई गई है जबकि दूसरी तरफ घना अंधेरा छाया रहता है. इससे पैदल चलने वाले लोगों के साथ ही दोपहिया वाहन चालकों के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा बना रहता है. यारपुर इलाके के वार्ड नंबर 19 के रहने वाले पिंटू मांझी नगर निगम में सफाई कर्मी है. पिंटू मांझी बचपन से इसी इलाके में रह रहे हैं. लेकिन उनका कहना है कि “आजतक यहां सड़क पर लाइट नहीं लगाया गया है. इसके कारण कई बार रात में यहां पर पैदल चल रहे लोगों को धक्का लगा है.”
यारपुर बस्ती से गुजरने वाली सड़क पर लाइट नहीं है. राजनीतिक पार्टियों के चहल पहल से गुलजार रहने वाले वीरचंद पटेल पथ, शहर के व्यस्तम फ्लाईओवर जीपीओ गोलंबर से चिरैयाटांड़ पुल पर कई जगह पर स्ट्रीट लाइट खराब पड़ी हैं.
मेंटेनेंस के लिए 10 वार्ड पर एक टीम
ईईएसएल के अधिकारियों के अनुसार पहले प्रत्येक वार्ड पर एक मेंटेनेंस टीम काम कर रही थी. लेकिन भुगतान नहीं किए जाने के बाद कंपनी ने टीम में कटौती कर दी है. अब 10 वार्ड पर एक टीम काम कर रही है. यही कारण है कि मेंटेनेंस में परेशानी आ रही है. जिसके कारण, शहर के कई इलाके शाम ढ़लते ही अंधेरे में डूब जा रहे हैं.
इस समस्या को देखते हुए नगर विकास एवं आवास विभाग ने शहरी क्षेत्रों में स्ट्रीट लाइट लगाने की जिम्मेदारी पूरी तरह स्थानीय निकायों को दे दी है. नगर निकायों को विस्तारित शहरी क्षेत्र में नए स्ट्रीट लाइट लगाने के साथ ही पुराने स्ट्रीट लाइट के रखरखाव की जिम्मेदारी भी उठानी है. नगर विकास विभाग ने नगर निगम आयुक्त, नगर परिषद व नगर पंचायतों के कार्यपालक पदाधिकारीयों को इस संबंध में पत्र भेजा है.
केंद्रीय एजेंसी ईईएसएल का बकाया भुगतान करने के बाद नगर निकायों को नए शिरे से स्ट्रीट लाइट लगाने और उसके मेंटेनेंस की जिम्मेदारी उठानी होगी.