स्वच्छ पटना: स्लम बस्ती के गलियों में नहीं पहुंच रहीं पटना नगर निगम की गाड़ियां

पटना नगर निगम द्वारा शहर में डोर-टू-डोर कचरा उठाव की सुविधा शुरू की गयी है. लेकिन शहर के बीच बसे स्लम बस्तियों में साफ़-सफ़ाई की व्यवस्था निगम नहीं कर सका है. यहां नगर निगम की गाड़ियां कचरा उठाव के नाम पर केवल खानापूर्ति करती है. 

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स्लम बस्ती के गलियों में नहीं पहुंच रहीं पटना नगर निगम की गाड़ियां

पटना की स्लम बस्ती के गलियों में फैला कचरा

65 वर्षीय असगरी खातून आर-ब्लॉक स्लम बस्ती में रहती हैं. असगरी खातून का घर इस बस्ती के तंग (संकरी) गलियों के काफी अंदर हैं. शहर के बाकी मोहल्लों के तरह यहां भी रोज सुबह नगर निगम की कचरा उठाव की गाड़ी सीटी बजाते हुए आती है. लेकिन आधा-अधूरा कचरा लेकर ही निकल जाते हैं. कुछ घरों का कचरा इस गाड़ी में जाता है, तो कुछ लोग सड़क पर ही कचरा फेंक कर निकल जाते हैं.

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मोहल्ले में रहने वाले लोग बताते हैं, यहां कचरा उठाव के लिए निगम की गाड़ी आती है जो मुख्य सड़क पर ही खड़ी रहती है. अंदर गलियों से निकल कर लोगों को सड़क पर जाकर कचरा देना पड़ता है. इस बीच कचरा गाड़ी चले जाने के कारण लोगों को मजबूरन सड़क पर ही कचरा फेंकना पड़ता है.

डोर-टू-डोर कचरा उठाने की योजना फ़ेल

डेमोक्रेटिक चरखा से अपनी समस्या बताते हुए असगरी खातून कहती हैं “मेरी उम्र हो गयी है. घुटने में दर्द रहता है. ऐसे में तेजी से निकलकर कचरा गाड़ी तक कचरा देना मेरे लिए आसान नहीं है. इसलिए घर के बाहर ही कचरा फेंकना पड़ता है. बदबू भी आता है लेकिन कुछ कर नहीं सकते."

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पटना नगर निगम द्वारा शहर में डोर-टू-डोर कचरा उठाव की सुविधा शुरू की गयी है. लेकिन शहर के बीच बड़ी-बड़ी नालियों के किनारे बसी इन स्लम बस्तियों में  साफ़-सफ़ाई की व्यवस्था निगम नहीं कर सका है. यहां नगर निगम की गाड़ियां कचरा उठाव के नाम पर केवल खानापूर्ति करती हैं. कचरा उठाव की गाड़ियां या तो मोहल्ले में जाती ही नहीं है या मुख्य सड़कों से ही चलीं जाती हैं.

नगर निगम गीले और सूखे कचरे के प्रबंधन की बात करता है. लेकिन कचरा उठाव के समय उसका वर्गीकरण नहीं किये जान के कारण कचरों का निष्पादन एक बड़ी समस्या बना हुआ है. निगम ने वर्ष 2021-22 में मटेरिअल रिकवरी सिस्टम के तहत 50 टन और 8 टन प्रतिदिन क्षमता के दो कचरा निष्पादन प्लांट लगाये थे, लेकिन वो प्रभावी नहीं रहे थे. नगर निगम ने 2022-23 के बजट में ठोस कचरा प्रबंधन के लिए 214.10 करोड़ का बजट प्रस्ताव भी बनाया गया था.

बस्ती के बाहर फैला कचरा

स्लम बस्ती के गलियों में महीनों से नहीं आ रही कचरे की गाड़ी

पटना नगर निगम क्षेत्र में 177 स्लम बस्तियां(patna slum area) है जिसमें लगभग दो लाख लोग रहते हैं. राजधानी पटना की राजनैतिक हलचल का केंद्र रहने वाला आर-ब्लॉक अपने पिछले दो बड़ी स्लम बस्तियों को छिपाए हुए है. राजनीतिक पार्टियों के कार्यालय के पीछे स्थित बस्ती कमला नेहरूनगर तो पटना हाई कोर्ट समेत कई मुख्य सरकारी कार्यालयों के पीछे स्थित बस्ती आर-ब्लॉक कहलाती है. कमला नेहरु नगर और आर-ब्लॉक में लगभग सात हजार वोटर रहते हैं.

वार्ड नंबर 21 में आने वाले आर ब्लॉक स्लम बस्ती में लगभग 250 घर हैं. यहां की पतली और संकरी गलियों में बसे घरों के आसपास काफ़ी गंदगी फैली रहती है जिससे बीमारी फैलने का खतरा बना रहता है. आर ब्लॉक में रहने वाली सुहाना परवीन के सात वर्षीय बेटे के पैर में गंदे पानी के कारण इन्फेक्शन हो गया है. इनका कहना है की लोग कचरा सड़क पर फेंक देते है. कचरा उड़ कर नालियों में चला जाता है जिससे नालियां जाम हो जाती हैं. नाली का पानी गलियों में जमा होने के कारण लोगों को आने-जाने में काफ़ी दिक्कत होती है. 

सुहाना परवीन बताती हैं “मेरे बेटे के पैर और हाथ में घमौरी जैसा दाना हो गया था. उसे जब डॉक्टर के पास लेकर गई तब डॉक्टर ने बताया कि गंदे पानी से इन्फेक्शन हो गया है. उन्होंने उसे गंदे पानी से दूर रखने को कहा है. एक ही रास्ता होने के कारण मजबूरी में मुझे उसी रास्ते से उसे स्कूल भेजना पड़ता है.”

बस्तियों में कचरे की वजह से कई बीमारियां फैल रही हैं

कई बीमारियों का घर बन रहा आर-ब्लॉक

आर ब्लॉक के लोग कचरे के ढ़ेर और उसकी बदबू के बीच रहने को मजबूर हैं. नगर निगम और वार्ड पार्षद यहां कचरा प्रबंधन करने में विफ़ल साबित हो रहा हैं. कचरा प्रबंधन की विफलता के कारण लोग सड़कों पर इधर-उधर कचरा फेंकने को मजबूर हैं.

कचरे का प्रबंधन नहीं होने के कारण लोग उसमें आग लगा देते हैं. इससे उत्पन्न हुआ खतरनाक धुंआ और बदबू लोगों को बीमार बना रहा है. 18 वर्षीय सोनम कुमारी को सांस फूलने की बीमारी हो गयी है. मोहल्ले में रोज़ाना जलने वाले कचरे के धुएं से सोनम को एलर्जी हो गयी है. डेमोक्रेटिक चरखा से सोनम बताती है “मुझे ये बिमारी पहले नहीं थी. मोहल्ले में कचरे वाली गाड़ी समय पर ना आने की वजह से लोग घर के बाहर कचरा जलाने लगे है. उस धुएं की वजह से मुझे ढ़ाई महीने पहले काफी दिक्कत होने लगी. तब मैं डॉक्टर के पास गई. डॉक्टर ने बताया मुझे दमा हो गया है और मुझे धुएं से दूर रहना है.”

कैसे कर सकते हैं शिकायत?

वार्ड नंबर 21 की वार्ड पार्षद श्वेता रंजन कचरा गाड़ी ना पहुंचने की बात से इंकार करती हैं. श्वेता रंजन कहती हैं “मुझे इस तरह की कोई शिकायत अभी तक नहीं मिली है. मेरी जानकारी में प्रत्येक सेक्टर में तीन बार कचरा उठाव की गाड़ी पहुंच रही है. हमारे वार्ड में पांच सेक्टर है. हर सेक्टर में एक डोर-टू-डोर कचरा उठाव गाड़ी और दो हाथ वाली ठेला गाड़ी यानि 10 ठेला गाड़ी है. अगर आर ब्लॉक में कचरा की ठेला गाड़ी नहीं पहुंच रही है तो मैं आज ही सुपरवाइजर पता करवाकर इसे ठीक करवाती हूं.”

वहीं कचरा उठाव नहीं होने पर नगर निगम के टोल फ्री नंबर पर शिकायत की जा सकती है. नगर निगम की पीआरओ स्वेता भास्कर कहती हैं “अगर किसी भी मोहल्ले में कचरा उठाव की गाड़ी नहीं आ रही है तो वे नगर निगम के टोल फ्री नंबर 155304 पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं. शिकायत के 24 घंटे के अंदर समस्या को दूर किया जाता है. रहीं स्लम में कचरा उठाव गाड़ी के ना पहुंचने की बात तो ऐसा नहीं है. निगम सभी 75 वार्ड को 19 जोन में सफ़ाई करवाती है.”

हालांकि शिकायत करने के बाद उस पर कार्यवाई होगी या नहीं इसकी जानकारी तो शिकायत करने के बाद ही मिल सकती है.

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