मच्छरों के प्रकोप से होने वाली बीमारियों में डेंगू सबसे ज्यादा जानलेवा होती है. अगर समय पर लक्षणों को पहचान कर इसका इलाज शुरू नहीं किया जाए तो मरीज कि मौत भी हो जाती है. इस बीमारी से बचाव का एकमात्र उपाय है कि अपने आसपास साफ़-सफाई रखा जाए और अपने आसपास पानी जमा ना होने दिया जाए. अगर किसी कारणवश कहीं पानी जमा है तो तत्काल उसकी सफाई की जाए या उसमें लार्वासाइड्स का छिड़काव किया जाए.
पटना नगर निगम इस वर्ष दावा कर रहा है कि वह डेंगू के रोकथाम के लिए तत्पर है. नगर आयुक्त अनिमेष कुमार पाराशर का कहना है कि प्रत्येक वार्ड में एंटीलार्वा के छिड़काव की शुरुआत की जा चुकी है तथा इसकी निगरानी के लिए टीम का भी गठन किया गया है ताकि लापरवाही ना हो.
दरअसल, पिछले वर्ष जुलाई से नवंबर महीने तक राज्य में डेंगू के 20,220 मामले मिले थे जिनमें 10 हजार से अधिक मरीज पटना से शामिल थे. इनमें भी निगम क्षेत्र में आने वाले पाटलिपुत्र अंचल में डेंगू मरीजों की संख्या अधिक रही थी. इसके बाद बांकीपुर, नूतन राजधानी अंचल, अजीमाबाद, कंकड़बाग और पटना सिटी अंचल से मरीजों की संख्या अधिक रही थी.
इस वर्ष राज्य में जनवरी से अबतक 194 मरीज मिल चुके हैं जिनमें पटना से 43 मरीज हैं. शुक्रवार 19 जुलाई को राज्य में सात मरीज डेंगू पॉजिटिव पाए गये हैं जिनमें तीन पटना के हैं.
मलेरिया विभाग ने सभी अंचलों के 16 मोहल्लों- बाजार समिति, पाटलिपुत्र, कंकड़बाग कदमकुआं, राजेंद्र नगर, दीघा-आशियाना रोड, पटेल नगर, राजीव नगर, दीघा, बांसकोठी, गुलजारबाग, इंद्रपुरी, कुम्हरार, एग्जीबिशन रोड, जक्कनपुर और भागवतनगर को अति संवेदनशील क्षेत्र घोषित कर रखा है. यानि इन क्षेत्रों में डेंगू का प्रकोप ज्यादा देखने को मिल सकता है. ऐसे में निगम की जिम्मेदारी है कि वह इन क्षेत्रों में लार्वासाइड्स का छिड़काव समय से नियमित तौर पर करे.
सवा लाख घरों तक पहुंचने का दावा
चार जुलाई से शुरू हुए एंटीलार्वल छिड़काव अभियान में निगम सावा लाख घरों तक पहुंचने का दावा कर रहा है. इस अभियान के लिए 500 टीम बनाई गई है जो सुबह-शाम दो शिफ्ट में छिडकाव कर रही है. लेकिन इसके बाद भी कई मोहल्लों में अबतक लार्वासाइड्स का छिड़काव नहीं हुआ है.
कंकड़बाग अंचल के वार्ड नंबर-44 के रोड नंबर तीन गली में बीते दस दिनों से पानी भरा है. यह पानी बारिश का नहीं बल्कि सप्लाई वाटर पाइपलाइन टूट जाने कारण जमा हुई है. पानी जमा हो जाने से ना केवल आने जाने में परेशानी उत्पन्न हुई है बल्कि स्थिर पानी में डेंगू मच्छर पनपने का भी डर बना हुआ है. वहीं मोहल्ले में अबतक लार्वासाइड्स का भी छिड़काव नहीं हुआ है.
रोड नंबर तीन में रहने वाली बीना सिंह पानी जमने की समस्या पर कहती हैं “पता नहीं कैसे मरम्मत किया जाता है. सप्लाई वाला पाइपलाइन हर एक-दो महीने में टूट जाता है. पहले पाइप टूटने पर गली में पानी नहीं जमता था. क्योंकि पानी मुख्य सड़क से बहकर सड़क किनारे मिट्टी में चला जाता था. लेकिन मई महीने के अंत में मुख्य सड़क की ऊंचाई मोहल्ले के अंदर आने वाली सड़कों से उपर कर दिया गया जिससे गली में पानी जम गया है.”
बीना बताती हैं, ना तो अबतक वाटर पाइपलाइन को ठीक किया गया है और ना ही जमे हुए पानी में लार्वासाइड्स का छिड़काव किया गया है.
पटना नगर निगम का कंकड़बाग अंचल ना सिर्फ पटना की बल्कि एशिया की भी सबसे बड़ी कॉलोनी हैं. कंकड़बाग अंचल में 11 वार्ड- 29, 30, 31, 32, 33, 34, 35, 44, 46, 45 और वार्ड नंबर 55 आते हैं. ऊपर से यह अंचल डेंगू के लिए अति संवेदनशील क्षेत्रों में भी आता है. ऐसे में इसतरह की लापरवाही जानलेवा मच्छरों को पनपने का मौका देती हैं.
बांकीपुर अंचल के वार्ड नंबर 40 के सब्जीबाग दरियापुर रोड की रहने वाली फातिमा खातून बताती हैं कि बीते 15 दिनों में ना तो उनके मोहल्ले में फॉगिंग हुई है और ना ही लार्वासाइड्स का छिड़काव कराया गया है. हालांकि उनका कहना है कि मोहल्ले में नियमित तौर पर साफ़-सफाई करवाई जाती है. सफाई कर्मियों की हड़ताल रहने पर भी वार्ड काउंसलर द्वारा निजी सफाई कर्मी रखकर कचरे का उठाव कराया जाता है.
नगर निगम ने मोहल्ले में फॉगिंग या लार्वासाइड्स का छिड़काव नहीं होने की स्थिति में शिकायत दर्ज करने की सुविधा दी है. पटना नगर निगम की पीआरओ स्वेता भास्कर कहती हैं “ऐसे तो हमारी टीम रोस्टर वाइज सभी वार्ड में एंटीलार्वा का छिड़काव कर रही हैं. साथ ही 25 विशेष टीम शहर के मुख्य सरकारी अस्पताल- पीएमसीएच, एनएमसीएच, आईजीआईएमएस, गर्दनीबाग अस्पताल, न्यू गार्डिनर जैसे अस्पतालों के आसपास निगरानी करेंगी. छिड़काव में लगी टीम को सुबह-शाम जियो टैग तस्वीर भी जमा करनी है. लापरवाही ना हो इसके लिए लोगों से लॉगबुक भी भरवाया जा रहा है. लेकिन इसके बाद भी छिड़काव नहीं होने पर या विशेष परिस्तिथि में लोग 155304 पर शिकायत कर सकते हैं.”
क्या एक बार छिड़काव से होगा रोकथाम
पटना नगर निगम के अंदर छह अंचल और 75 वार्ड हैं जो 10,887.84 हेक्टेयर में फैला हुआ है. निगम के अनुसार इन 75 वार्ड में 37,41,652 लोग (आंकड़े 2011 की जनसँख्या के अनुसार हैं) रहते हैं. इतने बड़े क्षेत्र और उसमें रहने वाले लोगों की सेहत और स्वच्छता की जिम्मेदारी पटना नगर निगम के जिम्मे हैं. मानसून सीजन में निगम की जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि इस समय जल जमाव से होने वाली समस्या और बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है. मच्छरों के रोकथाम के लिए नियमित फॉगिंग और लार्वासाइड्स के छिड़काव साथ ही निगम को जल निकासी, नाला उड़ाही और कचरा उठाव का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए.
पीआरओ स्वेता भास्कर का कहना है कि "निगम का लक्ष्य है कि प्रत्येक वार्ड के प्रत्येक मोहल्ले में कम से कम दो बार लार्वासाइड्स का छिड़काव हो. हर वार्ड में एक दिन में 50 घरों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है."
लेकिन जिस गति से निगम कार्य कर रहा है उससे लगता नहीं है कि मानसून सीजन में लार्वासाइड्स का छिड़काव एक से ज्यादा बार किया जा सकेगा. जबकि एक बार छिड़काव के बाद लार्वासाइड्स का असर एक हफ्ते तक ही रहता है.
जिला संक्रमाक रोग पदाधिकारी डॉ. सुभाषचंद्र प्रसाद ने बताया कि प्रभावित इलाके की सूची निगम को सौंपी जा रही है. सूची के अनुसार निगम को फॉगिंग कराने के निर्देश भी दिए गए हैं. फॉगिंग और एंटी लार्वासाइड्स के छिड़काव के असर पर डॉ. सुभाषचंद्र प्रसाद कहते हैं “डेंगू का लार्वा साफ़ और स्थिर पानी में ही पनपता है. ज्यादातर डेंगू के मामले पोस्ट मानसून और मानसून के समय ही मिलते हैं. अगर सावधानी और साफ़-सफाई रखा जाए तो इससे बचा जा सकता है. साथ ही अगर हफ्ते में एक बार अच्छे से लार्वासाइड्स का छिड़काव संभावित जगह में किया जाए तो मच्छर नहीं पनपेगा.”
इसका मतलब यह है कि लार्वासाइड्स का असर एक हफ्ते तक रहता है. एक हफ्ते बाद अगर फिर से आपके आसपास पानी जमा है तो उसकी सफाई जरुरी है. यह मानकर बैठ जाना कि हमारे मोहल्ले या घर में लार्वासाइड्स का छिड़काव हो गया, हम सुरक्षित हैं, तो यह भूल है. इसके साथ ही निगम को भी ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि जिन क्षेत्रों में पानी जमा है वहां प्राथमिकता के साथ छिड़काव हो. साथ ही सभी मोहल्लों में पुरे मानसून सीजन में नियमित तौर पर मच्छरों के रोकथाम के लिए उपाय किये जाएं.