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शराबबंदी से सरकार को हर साल अरबों रुपये का राजस्व नुकसान हो रहा है.पर यदि यह निर्णय समाज सुधार के लिए लिया गया है, तो क्या इस धन से पुनर्वास, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर की जा सकती हैं? क्या शराबबंदी केवल 'कागज़ी कड़ाई' बनकर रह गई है?
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