शिक्षित युवा कम वेतन वाली नौकरियों को ठुकरा रहे हैं

केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के दावे से इतर देश में बेरोजगारी की समस्या भयावह है. अकुशल कामगारों के साथ ही उच्च शिक्षा प्राप्त युवा रोजगार के लिए भटक रहे हैं.

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कम वेतन वाली नौकरियां

कम वेतन वाली नौकरियां

केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के दावे से इतर देश में बेरोजगारी की समस्या भयावह है. अकुशल कामगारों के साथ ही उच्च शिक्षा प्राप्त युवा रोजगार के लिए भटक रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और मानव विकास संस्थान (आईएचडी) द्वारा जारी एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024 के अनुसार गुणवत्तापूर्ण रोजगार के अवसरों की कमी के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त युवा बेरोजगारी के शिकार हो रहे हैं.

रिपोर्ट के अनुसार देश के कुल बेरोजगारों में 83 फीसदी युवा है. उनमें भी माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा प्राप्त युवाओं की संख्या अधिक है. रिपोर्ट कहता है कि कई उच्च शिक्षा प्राप्त युवा वर्तमान में उपलब्ध असुरक्षित कम वेतन वाली नौकरी लेने को इच्छुक नहीं है और भविष्य में बेहतर रोजगार की तलाश में हैं.

पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्व 2023-24 कि रिपोर्ट के अनुसार बिना पढ़े-लिखे लोगों में 59.6 प्रतिशत रोजगार में है. वहीं पांचवी पास 68.5 फीसदी लोग रोजगार में है. आठवीं पास 60.7 फीसदी,10वीं पास 49.7 फीसदी और 12वीं पास 45.9 फीसदी लोग रोजगार में हैं. स्नातक पास लोगों में 57.5 फीसदी लोग ही काम कर रहे है.

इंडिया एम्प्लॉयमेंट रिपोर्ट 2024 के अनुसार युवाओं में जो पांचवी से कम पढ़े हैं उनमें बेरोजगारी दर सबसे कम 3.2 प्रतिशत है. ग्रेजुएट या ज्यादा पढ़े-लिखे लोगों में बेरोजगारी दर सर्वाधिक 28.7 फीसदी है.

केंद्र सरकार छोटी या कम पूंजी वाले लोगों को स्वरोजगार करने के लिए PMEGP, PMSVANidhi, PM Vishwakarma और Mudra Yojna जैसी कई योजनाएं चला रही है. बिहार सरकार भी रोजगार शुरू करने के लिए मुख्यमंत्री उद्यमी योजना और लघु उद्यमी योजना चला रही है. 

पूरा लेख पढ़ें- क्या नीतीश सरकार की 34 लाख नौकरियों से बिहार में बेरोजगारी दर कम होगी?

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