सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश कुमार को जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक करने का आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है की जाति सर्वेक्षण के डाटा को सार्वजनिक किया जाए. जाति सर्वेक्षण का डाटा जनता के लिए उपलब्ध नहीं कराया गया है, जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट चिंतित है.

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सुप्रीम कोर्ट का बिहार सरकार को आदेश

सुप्रीम कोर्ट का बिहार सरकार को आदेश

बिहार में दो अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर  जाति सर्वे की रिपोर्ट को जारी किया गया था. इस रिपोर्ट के बाद राज्य में भारी बवाल मचा था. कई जाति ने सर्वे के आकड़ों में अपनी संख्या के ऊपर सवाल खड़ा किए थे.

बिहार सरकार अपने जाति सर्वे के आंकड़े पर बिल्कुल अडिग रही थी. खुद सीएम नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने कई मौकों पर सर्वे को बिल्कुल साइंटिफिक बताया था. बिहार की तर्ज पर ही कांग्रेस ने भी अपने चुनाव प्रचार में कहा था कि अगर कांग्रेस पार्टी चुनाव में जीत जाती है तो राज्यों में जाति आधारित गणना कराएगी. जाति सर्वे का यह मामला हाईकोर्ट से ले कर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है, जिस पर कोर्ट ने बिहार सरकार को नया आदेश जारी किया है. 

सुप्रीम कोर्ट का आदेश 

मंगलवार को शीर्ष कोर्ट ने बिहार सरकार को जाति आधारित सर्वे के मामले में आदेश जारी करते हुए कहा है कि सर्वे का पूरा विवरण सार्वजनिक किया जाए.  सुप्रीम कोर्ट में जाति सर्वे के रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग को लेकर याचिका दायर की गई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बिहार सरकार को यह आदेश दिया गया है. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है की जाति सर्वेक्षण के डाटा को सार्वजनिक किया जाए. कोर्ट ने कहा कि बिहार में हुए जाति सर्वेक्षण का डाटा जनता के लिए उपलब्ध नहीं कराया गया है. जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट चिंतित है, अगर कोई व्यक्ति सर्वेक्षण के किसी भी विशेष निष्कर्ष को चुनौती देना चाहता है तो उसके पास सर्वेक्षण का डाटा मौजूद होना चाहिए.

अगली सुनवाई 5 फरवरी को

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और जस्टिस दीपक दीपांकर दत्ता की पीठ ने इसकी सुनवाई की. पीठ ने इस मामले पर याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत देने से भी मना कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी अंतरिम राहत को इनकार किया था. कोर्ट ने कहा था कि अब अंतिम आदेश का क्या मतलब है. हाईकोर्ट का आदेश राज्य सरकार के पक्ष में है और आंकड़े भी पब्लिक डोमेन में है अब सिर्फ दो-तीन पहलू ही विचार के लिए बचे हैं. इस मामले की अगली सुनवाई 5 फरवरी को होगी. 

बिहार में हुए जाति गणना के खिलाफ राज्य के कई गैर सरकारी संगठनों के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. 

राज्य में आरक्षण की सीमा को जाति सर्वे के बाद बढ़ाकर 50 से 75 फ़ीसदी कर दिया गया है. जिसपर कोर्ट में भी चर्चा हुई. दरअसल इस मामले को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. कोर्ट में फिलहाल यहां मामला लंबित है, लेकिन राज्य सरकार इस आरक्षण को राज्य में लागू कर चुकी है. 

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