नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा और उसकी सहायक नदियों में बिना शोधित जल को गिराए जाने में कमी लाना है. जिसके लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और सीवेज नेटवर्क का निर्माण किया जाना आवश्यक है. एसटीपी का काम नदियों में सीधे गिरने वाले अपशिष्ट जल को शोधित कर नदियों में प्रवाहित करना हैं.
राष्ट्रीय गंगा स्वच्छ मिशन के तहत 6217.2 MLD जल को शोधित करने वाले एसटीपी बनांये जाने है, लेकिन जुलाई 2024 तक 3244 MLD जल शोधन की क्षमता वाले एसटीपी ही स्थापित किये जा सके हैं.
वही एसटीपी तक शहरों से निकलने वाला अपशिष्ट जल पहुंच सके इसके लिए नालों का इनसे जोड़ा जाना भी आवश्यक है. मिशन के तहत 5282 kms सीवेज नेटवर्क बनाया जाना है. लेकिन जुलाई 2024 तक 4529 kms नेटवर्क ही बनाए जा सके.
योजना के तहत बिहार में 757MLD की क्षमता वाले एसटीपी लगाए जाने हैं, लेकिन अबतक 304 MLD की क्षमता वाले एसटीपी ही लगाए जा सके हैं. बिहार उन पांच राज्यों में शामिल है जहां से गंगा बहती है. राज्य में गंगा और उसकी सहायक नदियां 27 जिलों से होकर गुजरती हैं.
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रक बोर्ड की रिपोर्ट 2023-24 के अनुसार राज्य में गंगा और उसकी 21 सहायक नदियों का पानी नहाने लायक भी नहीं है. कारण है नदी किनारे बसे शहरों से निकलने वाले प्रदूषित जल का लगातार नदियों में गिराया जाना.
पूरा लेख पढ़ें- कैसे होगी गंगा साफ़, दो सालों में भी नहीं बन सका दीघा और कंकड़बाग एसटीपी