पक्की गली नाली योजना: क्या योजनाओं का सपना हकीकत बन पा रहा है?

2011 की जनगणना के अनुसार बिहार के शहरी क्षेत्रों में लगभग 20 लाख परिवार रहते थे. यह आंकड़ा 2020 तक बढ़कर 24 लाख से अधिक हो गया. इनमें से अधिकांश लोग संकरी और जर्जर गलियों में रहते हैं, जहां पक्की सड़कों और नालियों का अभाव है.

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नाजिश महताब
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पक्की गली नाली योजना: क्या योजनाओं का सपना हकीकत बन पा रहा है?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा वर्ष 2015 में शुरू की गई 'सात निश्चय भाग-1' योजना बिहार की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने की दिशा में एक महत्वाकांक्षी कदम थी. इस योजना के अंतर्गत शहरी क्षेत्रों में हर घर तक पक्की गली और नाली पहुंचाने के लिए 'मुख्यमंत्री शहरी नाली-गली पक्कीकरण निश्चय योजना' की शुरुआत की गई.

इसका उद्देश्य था कि बिहार के प्रत्येक शहरी परिवार को स्वच्छ, सुरक्षित और सुविधा संपन्न जीवन मिले.

योजना का उद्देश्य और कार्यप्रणाली

इस योजना का लक्ष्य है कि अगले पांच वर्षों में बिहार के सभी शहरी क्षेत्रों की उन गलियों और नालियों का पक्कीकरण किया जाए, जो अब तक उपेक्षित रही हैं. इसके तहत विशेष ध्यान उन क्षेत्रों पर दिया जा रहा है जहां जल जमाव की समस्या सबसे अधिक है. इन स्थानों पर ट्रंक चैनल बनाकर उसे आउटफॉल चैनल से जोड़ा जाएगा ताकि वर्षा जल का त्वरित निकास सुनिश्चित किया जा सके.

नगर निकाय इस योजना के क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेंसी होंगे, जो GIS मैपिंग के माध्यम से उन गलियों और नालियों की पहचान करेंगे जिन्हें पक्का किया जाना है.

शहरी आबादी और बढ़तीरूरतें

2011 की जनगणना के अनुसार बिहार के शहरी क्षेत्रों में लगभग 20 लाख परिवार रहते थे. यह आंकड़ा 2020 तक बढ़कर 24 लाख से अधिक हो गया. इनमें से अधिकांश लोग संकरी और जर्जर गलियों में रहते हैं, जहां पक्की सड़कों और नालियों का अभाव है.

बारिश होते ही गंदा पानी गलियों में भर जाता है और लोगों के घरों तक पहुंचने लगता है. ऐसे माहौल में रहना केवल असुविधाजनक है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बेहद खतरनाक है.

पक्की गली नाली योजना

बोधगया नगर परिषद की हकीकत

गया जिले के बोधगया नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या 18 में स्थित मगध कॉलोनी इस योजना की असलियत को उजागर करती है. यह कॉलोनी एनएच-83 और एनएच-42 से महज 500 मीटर की दूरी पर स्थित है, लेकिन यहां की गलियों और नालियों की हालत ऐसी है कि यह समझ पाना मुश्किल हो जाता है कि यह शहरी क्षेत्र है या ग्रामीण. इस मोहल्ले की गली नंबर एक से होकर सैकड़ों घरों तक जाने वाली सड़क पूरी तरह जर्जर है. नाली की व्यवस्था होने के कारण गंदा पानी खुले में बहता है, जो बरसात में घरों तक पहुंच जाता है.

विकास कुमार जो वहां के निवासी हैं वो बताते हैं कि "हमारे यहां गली की स्थिति इस कदर ख़राब है की किसी भी तरह की सुविधा हमें नहीं मिल पाती है. वहीं आए दिन दुर्घटना होती रहती है. ढाई साल पहले इसे नगर परिषद में शामिल किया गया लेकिन विकास के नाम पर पिछले ढाई सालों से कुछ भी नहीं हुआ है. हमने कई बार सरकार के सामने या अधिकारियों के सामने अपनी बात रखी है लेकिन आज तक समस्या का समाधान नहीं निकला."

ढाई साल पहले इस मोहल्ले को नगर परिषद में शामिल किया गया था, लेकिन अब तक यहां विकास के नाम पर बहुत कम कार्य हुआ है. दो साल पहले 200 मीटर तक पेवर ब्लॉक लगाए गए थे, जो अब जगह-जगह से उखड़ चुके हैं. बाकी क्षेत्र की गलियों की हालत बेहद खराब है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां की सड़कें और नालियां वर्षों से वैसी ही पड़ी हैं, जैसी पहले थीं.

जन समस्याएं और प्रशासनिक उदासीनता

यहां के लोगों ने कई बार प्रशासन से शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. 7 फरवरी 2025 को स्थानीय निवासियों ने जिलाधिकारी को आवेदन देकर सरकारी ज़मीन की नापी की मांग की थी ताकि वहां से नाली निकाली जा सके. लेकिन अभी तक सीओ स्तर से कोई पहल नहीं हुई है. मोहल्ले में सफाईकर्मी तक नज़र नहीं आते. जगह-जगह गंदगी फैली रहती है और लोगों को बिना संपर्क मार्ग के अपने घरों तक पहुंचना पड़ता है.

प्रवीण शर्मा बताते हैं कि "हमारे यहां नालियों की व्यवस्था इतनी ख़राब है की कभी कभी गंदा पानी ऊपर जाता है. नीतीश कुमार ने वादा किया था कि नाली और गलियों का पक्कीकरण करा दिया जाएगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. हम सरकार से ये मांग करते हैं की हमारी मांगों को जल्द से जल्द पूरा किया जाए."

हालात यह हैं कि इस वार्ड के अधिकांश घरों में जाने के लिए पक्की सड़क तो दूर, कच्चा रास्ता भी ठीक से नहीं है. कई सार्वजनिक स्थानों पर नाली निकालने की जगह थी, जिसे कथित रूप से बेच दिया गया. अब यहां के लोगों को डर है कि आने वाले समय में समस्या और भी गंभीर हो जाएगी.

बजट, निगरानी और एक योजना की असफ़लता

वित्तीय वर्ष 2016-17 में इस योजना के लिए 140 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया. पंचम राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में प्राप्त होने वाली राशि का न्यूनतम 20 प्रतिशत हिस्सा इस योजना के लिए आरक्षित किया गया है. योजना के सफ़ल कार्यान्वयन के लिए समय-समय पर मार्गदर्शिका में संशोधन भी किया जाएगा.

मुख्यमंत्री शहरी नाली-गली पक्कीकरण निश्चय योजना का उद्देश्य स्वच्छता और बेहतर जीवन था, लेकिन कई क्षेत्रों में यह योजना अब तक सिर्फ कागजों पर ही नजर आती है. मगध कॉलोनी जैसे क्षेत्रों की स्थिति देखकर यह समझा जा सकता है कि योजनाओं के संचालन में कितनी लापरवाही बरती जा रही है. अगर समय रहते इन समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया तो शहरी विकास का सपना अधूरा ही रह जाएगा.

शहरी विकास की योजना तब ही सफल मानी जाएगी जब उसका लाभ हर घर तक पहुंचेगा. सिर्फ घोषणा और बजट प्रावधान से नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर ईमानदारी से कार्य कर ही कोई योजना अपना उद्देश्य पूरा कर सकती है. मगध कॉलोनी की स्थिति एक चेतावनी है कि विकास के नारों के पीछे की सच्चाई को नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता.