क्या बिहार के सरकारी स्कूल ऑनलाइन अटेंडेंस के लिए तैयार हैं?

शिक्षकों को e-ShikshaKosh मोबाइल ऐप अपने स्मार्टफोन में डाउनलोड करना है. रोजना स्कूल समय से 15 मीनट पहले और 500 मीटर की रेंज में इस एप पर शिक्षक और प्रधानाध्यापक अपनी उपस्थिति दर्ज कर सकते हैं.

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ऑनलाइन अटेंडेंस के

बिहार का शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था सुधारने में प्रयासरत बना हुआ है. के.के. पाठक के शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाये जाने के बाद हर रोज किसी न किसी सरकारी स्कूल में उनके औचक निरीक्षण करने की खबरें आती रहती थी. वहीं स्कूल में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाए जाने के लिए कड़े कदम उठाना, तीज-त्यौहार पर छुट्टियां कम करना, शिक्षकों के समय पर स्कूल में उपस्थित सुनिश्चित करना, स्कूल के समय में परिवर्तन करने जैसे कई आदेश भी दिए गये. कई बार विरोध तो कई बार इसे सराहा भी गया.

के.के. पाठक के दूसरे विभाग में तबादले के बाद अब शिक्षा विभाग के नए अपर मुख्य सचिव एस. सिद्धार्थ भी स्कूल में अनुशासन और उपस्थिति बनाये रखने के लिए प्रतिबद्ध नजर आ रहे हैं. बीते 11 जून को अपर मुख्य सचिव ने सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिखकर स्कूल में शिक्षकों के ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने का आदेश दिया है. यह आदेश 25 जून से 25 सितम्बर तक ट्रायल के तौर पर लागू रहेगा. इस दौरान इसके संचालन में आने वाली परेशानियों और शिकायतों को दूर कर दूसरे चरण में इसके माध्यम से बच्चों की उपस्थिति दर्ज किया जाना भी शुरू कर दिया जाएगा.

तकनीकी खामी और नेटवर्क बना परेशानी

बिहार शिक्षा परियोजना ने शिक्षकों की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने के लिए e-ShikshaKosh मोबाइल ऐप बनवाया है. शिक्षकों को यह ऐप अपने स्मार्टफोन में डाउनलोड करना है और अपने शिक्षक आईडी नंबर के माध्यम से इसमें लॉगइन करना है. रोजना स्कूल समय से 15 मीनट पहले और 500 मीटर की रेंज में इस एप पर शिक्षक और प्रधानाध्यापक अपनी उपस्थिति दर्ज कर सकते हैं.

 ऑनलाइन उपस्थिति

 

25 जून से प्रक्रिया शुरू होने के बाद ही शिक्षकों ने ऐप के उपयोग में आने वाली परेशानियों को लेकर शिकायत करना शुरू कर दिया. ऐप में मौजूद खामियां और क्षेत्र में मौजूद खराब नेटवर्क भी इसके इस्तेमाल में समस्या उत्पन्न कर रहा है.

दरअसल, उपस्थिति दर्ज करने के लिए स्कूल क्षेत्र में नेटवर्क और शिक्षकों के पास स्मार्टफोन होना आवश्यक है. लेकिन विभाग द्वारा कई ट्रेनिंग सत्र चलाए जाने के बाद भी आज भी कई बुजुर्ग शिक्षकों के पास स्मार्टफोन नहीं है. हालांकि इसे समय के साथ दूर किया जा सकता है लेकिन नेटवर्क संबंधी समस्या उत्पन्न होने से समस्या विकट हो जाती है.

किशनगंज के भाटटोली में स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय के शिक्षकों को इस नियम से काफी परेशानी हैं. किशनगंज बिहार का वह क्षेत्र है जहां बारिश बहुत होती हैं. बरसात के दिनों में घंटों बिजली कट जाती हैं वहीं कई बार कई दिनों तक बिजली कटी रह जाती हैं. ऐसे इलाकों में इलेक्ट्रॉनिक सामानों खासकर मोबाइल का उपयोग करना मुश्किल हो जाता है. क्योंकि चार्ज करने की सुविधा नहीं होती और नेटवर्क भी नहीं रहता है.

स्कूल के बच्चे

दरभंगा जिले के रहने वाले 30 वर्षीय राहुल कुमार झा, किशनगंज जिले के उत्क्रमित मध्य विद्यालय भाटटोली में शिक्षक पद पर नियुक्त हैं. बीते 25 जून से लागू हुए इस नियम पर कहते हैं “बरसात का मौसम चल रहा है. हमारे क्षेत्र में बहुत बारिश होती है. लाइट कटता है तो दो-दो दिन तक नहीं आता है. फोन के लिए पॉवर बैंक रखे हैं, लेकिन उसकी भी एक क्षमता है. ऐसे में डर बना रहता है कि फोन डिस्चार्ज हो गया तो अटेंडेंस नहीं बना पाएंगे.”

राहुल ऐप में मौजूद खामियों और उम्रदराज शिक्षकों द्वारा ऐप के उपयोग में आने वाली कठिनाई पर कहते हैं “वैसे शिक्षक जो स्मार्टफ़ोन चलाते हैं और उसके फंक्शन को समझते हैं. वे तो किसी तरह काम चला रहे हैं. लेकिन बाकि शिक्षकों को बहुत दिक्कत हो रही है. वे हमसे बार-बार मदद मांगते हैं.”

राहुल कहते हैं इसमें उन शिक्षकों कि नहीं बल्कि ऐप में मौजूद खामियों की गलती है. शिक्षक बताते हैं कि स्कूल परिसर में उपस्थित रहने के बाद भी ऐप में लोकेशन और दूरी सही नहीं दिखता है. शिक्षकों का कहना है कि उन्हें बताया गया था कि बिना नेटवर्क के भी ऐप पर डाटा अपलोड किया जा सकता है. लेकिन नेटवर्क नहीं रहने पर ऐप रेस्पोंड नहीं करता है. हमेशा नेटवर्क एरर या टाइम आउट जैसे मैसेज दिखाने लगता है. अगर खुल गया तो डाटा रिकॉर्ड कर लेता है लेकिन डाटा सिंक और अपलोड नहीं हो पाता है.

राहुल कहते हैं “स्कूल कैंपस में रहने के बाद भी दूरी कभी 500 मीटर, कभी 600 मीटर तो कभी 1700 मीटर दूर दिखाता है. जिसके बाद दूबारा मैप पर जाना पड़ता है. वहां से स्कूल का लोकेशन सेट करके दूबारा ई–शिक्षकोष ऐप पर वापस आइए. इन सबमें बहुत समय लगता है. जिसके कारण सुबह भी समय से एक घंटा पहले स्कूल पहुंचिए और छुट्टी के समय भी देर से लौटिए.”

स्मार्टफोन चलाने में समस्या

नेटवर्क के अलावा ऐप से उपस्थिति दर्ज करने में उन शिक्षकों भी परेशानी आ रही है जिन्हें स्मार्टफोन चलाने का अभ्यास नहीं है.

पटना जिले के डुमरा गांव की रहने वाली अनीता कुमारी का चयन वर्ष 2007 में लखीसराय जिले के माध्यमिक विद्यालय, जैतपुर में शिक्षिका के पद पर हुआ था. अपने 14 साल के कार्यकाल में अनीता ने अबतक स्मार्टफोन का उपयोग नहीं किया था.अभी कुछ महीनों पहले, स्कूल के ही किसी ट्रेनिंग सत्र में शामिल होने के बाद उन्होंने स्मार्टफोन लिया है. हालांकि अब भी वह केवल फोनकॉल के अलावा इसका ज्यादा इस्तेमाल नहीं जानती हैं.

स्मार्टफोन इस्तेमाल करने में ज्यादा सक्षम नहीं होने के संबंध में कहती हैं “बीपीएससी के माध्यम से आने वाले शिक्षक युवा हैं. स्मार्टफोन चलाने वाले जमाने में ही उनका जन्म हुआ है. लेकिन हमलोग जैसे शिक्षक जिनके पास कीपैड वाला फोन भी बहुत बाद में आया, उनको ये सब अचानक करने में परेशानी तो होगी ही है.”

अनीता बताती हैं उनके क्षेत्र में नेटवर्क की समस्या नहीं है लेकिन ऐप में लॉगइन करने में परेशानी आती है जिसके लिए वह अपने साथी युवा शिक्षकों से मदद लेती हैं. वहीं इसके लिए कोशिश करती हैं कि समय से आधे घंटे पहले स्कूल पहुंच जाएं.

शिकायत के बाद भी नहीं हो रहा सुधार

e-ShikshaKosh app के माध्यम से ऑनलाइन अटेंडेंस बनाने की प्रक्रिया लागू होने के बाद से शिक्षकों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. शिक्षक कभी नेटवर्क, तो कभी ऐप में मौजूद खामियों के कारण उपस्थिति दर्ज करने में विफल हो जा रहे हैं. हालांकि शुरूआती तीन महीनों में ऑनलाइन उपस्थिति के साथ-साथ रजिस्टर में भी उपस्थिति दर्ज करनी है.

शिक्षकों का कहना है बार-बार शिकायत करने के बाद भी ऐप में सुधार नहीं हो रहा है. युवा शिक्षक किसी तरह समस्या का समाधान निकाल रहे हैं लेकिन अन्य शिक्षकों को समस्या बनी रहती है. शिक्षकों का विभाग से सवाल है कि आखिर यह समस्या कबतक बनी रहेगी? जब सरकार ऑनलाइन माध्यम से उपस्थिति दर्ज कर उसकी निगरानी करना चाहती है तो पहले उस तरह की व्यवस्था स्कूल में उपलब्ध करानी चाहिए.

शिक्षा विभाग का आदेश

राहुल झा कहते हैं “हम अटेंडेंस का विरोध नहीं कर रहे हैं. सरकार सभी स्कूल में बायोमेट्रिक मशीन लगाए और निगरानी करे. स्कूल में जिस रजिस्टर में उपस्थिति दर्ज की जाती है वह सरकार द्वारा दी जाती थी. तो अब सरकार हमारे निजी मोबाइल और उसके डाटा का इस्तेमाल अटेंडेंस के लिए क्यों कर रही है.”

वहीं बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने शिक्षकों के शिकायतों के समाधान किए जाने की बात कही है. 1 जुलाई को बिहार शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को लिखे पत्र में कहा गया कि “इसके निदान के लिए 27 एवं 29 जून को राज्य स्तर से DEO, DPO(SSA), DPO( Establishment), DPM, (ICT), Programmer, MIS I/c एवम् सभी प्रखंड के BEO एवम् BPM को VC के माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया है.”

बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने वैसे शिक्षकों के खिलाफ भी कठोर कदम  उठाने की चेतावनी दी है जो जानबूझकर मोबाइल सेटिंग में छेड़छाड़ कर कैमरा, लोकेशन एवं अन्य फंक्शन को डिसेबल कर दे रहे हैं एवं वीडियो बनाकर ऐप का दुष्प्रचार कर रहे हैं. साथ ही कुछ शिक्षकों द्वारा लौंगिट्यूड एवं लैटीट्यूड बदलकर घर बैठे ही उपस्थिति दर्ज की जा रही है.

आयोग ने ऐसे शिक्षकों को चिन्हित कर आवश्यक कार्रवाई किए जाने की बात कही है.

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