बिहार में शिक्षक भर्ती के लिए नई नियमावली लागू होने के बाद शिक्षकों की नियुक्ति बीपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा के माध्यम से हो रही है. बीपीएससी परीक्षा पास कर शिक्षक बनने वाले व्यक्ति को राजस्वकर्मी का दर्जा दिया जाता है. लेकिन बीपीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा में शामिल होने के लिए अभ्यर्थियों को पहले सीटीईटी (CTET), एसटीईटी (STET) या टीईटी (TET) इनमें से कोई एक परीक्षा पास होना आवश्यक है.
राज्य में दो चरणों में अबतक 2.17 लाख शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है जिसमें शारीरिक, संगीत, नृत्य और ललित कला के शिक्षक भी शामिल थे. इस नियुक्ति के बाद नाट्य विषय में डिप्लोमा, स्नातक और पीजी की डिग्री रखने वाले अभ्यर्थी शिक्षक नियुक्ति में शामिल किये जाने के लिए प्रदर्शन करने लगे हैं. अभ्यर्थियों का कहना है कि बीएसईबी ने इस दौरान दो बार सेकेंडरी टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (STET) का आयोजन कर चुकी है लेकिन इसमें ड्रामा विषय को नहीं जोड़ा गया.
संगीत, नृत्य और ललित कला शामिल
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित एसटीईटी परीक्षा में संगीत, नृत्य और ललित कला विषय के लिए परीक्षा आयोजित की गई. लेकिन नाट्य विषय को इसमें शामिल नहीं किया गया. रोजगार के लिए प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों की मांग है कि जब नई शिक्षा नीति में नाट्य विषय को शामिल किया गया है तो सरकार नाट्य शिक्षकों की नियुक्ति क्यों नहीं कर रही हैं.
गोपालगंज के रहने वाले मोहम्मद जफ़र आलम पिछले 20 सालों से पटना स्थित नाट्य संस्था निर्माण कला मंच के साथ जुड़कर नाट्य विद्या को जीवित रखे हुए हैं. जफ़र आलम ने ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी से थिएटर एक्टिंग में मास्टर और कला एकेडमी स्कूल ऑफ ड्रामा, गोवा से डिप्लोमा की डिग्री प्राप्त की है. नाट्य विषय को शामिल नहीं किये जाने पर जफ़र कहते हैं “हमारे देश में चार वेद हैं. उसी तरह पंचम वेद में आता है- नाट्य शास्त्र. इसको सबसे प्रथम में रखा गया है. भरत मुनि इसके जनक माने जाते हैं. हमारे देश में जितने भी क्लासिकल डांस फॉर्म हैं, जैसे भरतनाट्यम, कत्थक आदि इसी नाट्य शास्त्र का हिस्सा है. सरकार ने उन्हें तो शामिल कर लिया लेकिन जो इन सबका मूल है उसको दरकिनार कर दिया.”
नाट्य शास्त्र की डिग्री प्राप्त कलाकारों में बेरोजगारी पर बात करते हुए जफ़र कहते हैं “नई शिक्षा नीति में ड्रामेटिक आर्ट्स को सबसे ऊपर रखा गया है. लेकिन सरकार इसके लिए सक्रिय नहीं है. यही कारण है कि नए युवा इससे जुड़ने से कतराते हैं. जबकि सरकार अगर चाहे तो केवल पटना के ही प्रत्येक स्कूल में एक-एक ड्रामा टीचर रखना अनिवार्य कर सकती है. साथ ही सभी सरकारी स्कूल में एक ड्रामा टीचर की नियुक्ति कर सकती है, तो सबको रोजगार मिल सकता है.”
ड्रामा की डिग्री प्राप्त किये युवा रोजगार नहीं मिलने से परेशान हैं. ज्यादातर युवा 30 से 35 वर्ष कि उम्र में इस विद्या को छोड़कर दुसरे कामों में लग जाते हैं. और बाकि बचे लोग जो इससे जुड़े हैं वे प्राइवेट स्कूल में ड्रामा टीचर, सरकार द्वारा साल में एक-दो बार निकाले गये किसी प्रोजेक्ट में जुड़कर कुछ काम कर लेते हैं.
बाढ़ जिले के पंडारक गांव की रहने वाली आरती कुमारी अपने गांव की पहली लड़की हैं जिन्होंने ड्रामेटिक्स आर्ट्स में अपना करियर चुना है. आरती ने ड्रामेटिक्स आर्ट्स में पीजी तक की शिक्षा प्राप्त की है. अपनी परेशानियों को साझा करते हुए आरती कहती हैं
“मेरे पिताजी भी थिएटर से जुड़े थे इसलिए घर में तो इस चीज को लेकर कभी दबाव नहीं था. रूचि थी इसलिए मैंने सोचा क्यों ना इसी विषय में डिग्री भी ले लूं. लेकिन पिताजी के देहांत के बाद अब घर चलाने के लिए मुझे रोजगार की आवश्यकता है. अब आस-पड़ोस के लोग ताना कसते हैं कि अगर कुछ और किया होता तो नौकरी मिल गई होती.”
ड्रामा विषय के अलावा आरती ने म्यूजिक विषय में भी डिग्री ले रखा है. आरती कहती हैं “मेरे जैसे बहुत कलाकार हैं जो ड्रामा के अलावा संगीत या नृत्य की भी डिग्री ले रखे हैं. भले वह गाना ना जानते हों. लेकिन म्यूजिक टीचर के लिए वैकेंसी आने पर उन्होंने फॉर्म भर दिया. उनकी नौकरी भी लग गयी. लेकिन अपनी रूचि और एक्सपर्टीज से अलग वे छात्रों को क्या सिखायेंगे. लेकिन इसमें दोष सरकार का है ना कि उन छात्रों का.”
आरती का कहना है "रील्स बनाने वाली आज की युवा पीढ़ी मंच पर डायलॉग बोलने में शर्माती है.उन्हें हिचक महसूस होता है. लेकिन अगर ड्रामा विषय में नौकरी मिलेगी तो युवा इस फील्ड से जुड़ेंगे."
बीएड कॉलेज में नहीं है परफॉर्मिंग आर्ट्स के शिक्षक
राज्य में केवल ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी में नाट्य विषय में मास्टर की पढ़ाई करवाई जाती है. जबकि स्कूल के अलावा शिक्षक प्रशिक्षण कोर्स, बीएड में संगीत, ड्रामा, नृत्य और ललित कला एक विषय के तौर पर शामिल हैं. कॉलेज में इन विषयों को गंभीरता से नहीं लिया जाता है. ना तो इसकी पढ़ाई करवाई जाती है और ना ही इसके लिए प्रोफेसर की नियुक्ति की जाती है.
जबकि राष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालयों में अस्सिस्टेंट प्रोफेसर और पीएचडी के लिए होने वाली यूजीसी नेट परीक्षा में भी नाट्य विषय को शामिल किया गया है.
ड्रामा विषय से नेट की परीक्षा पास किये छात्रों के लिए राज्य में क्या अवसर हैं? इसपर जफ़र कहते हैं “बिहार में केवल ललित नारायण यूनिवर्सिटी में ड्रामा की पढ़ाई होती है. जबकि राज्य के बाहर सभी अच्छे विश्वविद्यालयों में इसकी पढ़ाई होती है. ऐसे में नेट परीक्षा पास किया अभ्यर्थी पांच से दस साल वैकेंसी का इंतजार करते रह जाता है.”
नेट परीक्षा में शामिल हो चुकी आरती कुमारी का कहना है कि “राष्ट्रीय स्तर कि परीक्षा में प्रतियोगिता ज्यादा रहती है. इसलिए राज्य सरकार को चाहिए की वह घर में रोजागर देने से शुरुआत करे.”
जफ़र बीएड कॉलेज में नाट्य शिक्षकों की आवश्यकता पर कहते हैं “बीएड में परफॉर्मिंग आर्ट्स विषय अनिवार्य है. इसमें एक शिक्षक रखना जरुरी है. लेकिन अभी होता यह है कि सामान्य विषय के शिक्षक को इसकी जिम्मेदारी दे दी जाती है. बहुत हुआ तो किसी डांस टीचर को कुछ पैसे देकर बुला लिया जाता है और एक-दो परफॉरमेंस कराकर खानापूर्ति कर लिया जाता है. अगर सभी बीएड कॉलेज में एक-एक शिक्षक की नियुक्ति हो तो सभी को रोजगार मिल सकता है.”
एसटीईटी में पांच विषय समूह
शिक्षक भर्ती परीक्षा में शामिल होने के लिए देश में दो तरह की परीक्षाएं होती हैं. जिसमें एक केंद्र द्वारा आयोजित होती है जबकि दूसरा राज्य सरकारें अपने यहां आयोजित करवाती हैं.
केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET) का आयोजन केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानि सीबीएससी साल में दो बार करता है. इसमें पहला पेपर पहली से पांचवी कक्षा के लिए जबकि दूसरा पेपर छठी से आठवीं कक्षा के लिए लिया जाता हैं.
वहीं बिहार विद्यालय परीक्षा समिति माध्यमिक कक्षा यानि 9वीं से 10वीं कक्षा के लिए पेपर-1 और उच्च माध्यमिक कक्षा यानि 11वीं से 12वीं के लिए पेपर-2 का आयोजन करती है. राज्य में लंबे समय से शिक्षकों के लिए होने वाली यह पात्रता परीक्षा बंद थी.
राज्य में चार सालों बाद STET परीक्षा का आयोजन किया गया. इससे पहले STET के लिए 2019 में नोटिफिकेशन निकाला गया था. जिसकी परीक्षा जनवरी 2020 में ऑफलाइन ली गयी थी. लेकिन कुछ सेंटर पर फ़र्ज़ीवाड़े की वजह से परीक्षा रद्द करनी पड़ी. जिसके बाद वापस सितंबर 2020 में ऑनलाइन परीक्षा ली गयी थी.
पिछले वर्ष पहले चरण की शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में 9वीं से 12वीं तक की कक्षाओं के लिए कम आवेदन आने के बाद बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने (BSEB) ने सेकेंडरी टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (STET) के लिए आवेदन निकाला.
अगस्त 2023 में निकाले गये आवेदन में 4,28,387 अभ्यर्थी शामिल हुए थे. वहीं इसके तीन महीने बाद दुबारा 14 दिसंबर से एसटीईटी का आवेदन शुरू किया गया जो एक मार्च 2024 तक चला, जिसके लिए कुल 5,96,391 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था.
STET के दोनों पेपर के लिए पांच विषय समूह (Subject Group) बनाकर परीक्षाएं होती हैं, जिसमें माध्यमिक पेपर 1 के सामान्य विषय समूह में 12 विषय जबकि उच्च माध्यमिक के सामान्य विषय समूह में 25 विषय शामिल रहते हैं.
यहां एसटीईटी पेपर एक और दो, दोनों में संगीत विषय को शामिल किया गया है जबकि पेपर एक में संगीत विषय के साथ ही नृत्य, शारीरिक शिक्षा और ललित कला का विषय शामिल किया गया है.
इस भर्ती प्रक्रिया में पेपर 1 के लिए आवेदन करने के लिए अभ्यर्थियों को स्नातक के साथ बीएड पास होना ज़रूरी है. वहीं पेपर 2 के लिए बीएड के साथ स्नातकोत्तर (Post Graduate) होना आवश्यक है. वहीं पेपर-2 में शामिल कंप्यूटर, वाणिज्य, कृषि और संगीत विषय के लिए केवल संबंधित विषय में स्नातक और परा-स्नातक होना आवश्यक है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की महागठबंधन सरकार में राज्य में अबतक 2.17 लाख लोगों को शिक्षक पद पर नियुक्ति हो चुकी है. शिक्षक नियुक्ति के पहले चरण में एक लाख 20 हजार 336 जबकि दुसरे चरण में 96,823 युवाओं को नियुक्ति पत्र दिया गया था. वहीं तीसरे चरण की नियुक्ति प्रक्रिया जारी है. लेकिन इसमें भी ड्रामा टीचर शामिल नहीं हो सके.
वहीं चौथे चरण में भी उनका शामिल होना संभव नहीं है क्योंकि एसटीईटी की परीक्षा हो चुकी है. ऐसे में अगर सरकार बदलाव लाकर ड्रामा विषय को एसटीईटी में शामिल कर लेती है तो भी उन्हें पांचवे चरण का इंतजार करना होगा.