अतिथि शिक्षक बर्खास्त, बिहार की शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त होने की कगार पर

अतिथि शिक्षकों की समस्या समाप्त होते नज़र नहीं आ रही है. जहां एक तरफ़ सरकारों के बीच घमासान चल रहा है, वहीं दूसरे तरफ़ ऐसे कई सारे अतिथि शिक्षक हैं, जिन्हें अभी तक उनका वेतन नहीं मिला है. अतिथि शिक्षकों को अप्रैल 2024 में पद से हटा दिया गया है.

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नाजिश महताब
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प्रदर्शन करते टीचर्स

बिहार: अतिथि शिक्षक बर्खास्त

अरवल जिला के अतिथि शिक्षक मृत्युंजय की ज्वाइनिंग 2018 में हुई थी. अप्रैल 2024 में मृत्युंजय को अतिथि शिक्षक(Guest teachers) के तौर पर निकाल दिया गया. लेकिन वेतन पिछले 9 महीने से बाकी है. ये कहानी सिर्फ मृत्युंजय की नहीं बल्कि 4 हज़ार से से भी अधिक शिक्षकों की है. इन सभी शिक्षकों की स्थिति का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इनके पास घर चलाने के पैसे भी नहीं है.

सरकार ने अधिसूचना जारी करते हुए कहा था कि स्कूल में शिक्षक बहाली(teacher reinstatement) होने के बाद ही अतिथि शिक्षकों को निकाला जाएगा. लेकिन जगदीश्वर किशोर उच्च विद्यालय में अभी तक बहाली भी नहीं हुई है. ये स्कूल अरवल जिला के प्रखंड कलेर के ग्राम कमता में मौजूद है. मृत्युंजय गणित के शिक्षक हैं.

मृत्युंजय डेमोक्रेटिक चरखा से बात करते हुई बताते हैं कि “9 महीने से हमें वेतन नहीं मिला है. अब बताइए कि हम घर कैसे चलाएंगे? एक तरफ़ तो सरकार ने हमसे हमारा रोज़गार छीन लिया. हम भी तो सरकार के सभी मानकों पर खरे उतर कर ही शिक्षक बने थें. 9 महीने से वेतन न मिलने के कारण मानसिक उत्पीड़न हो चुका है. घर परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. सरकार के तरफ़ से आश्वासन मिला था कि आप लोगों की नौकरी नहीं जाएगी लेकिन हमारी नौकरी तो चली गई.”

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4257 शिक्षकों की नौकरी गयी

शिक्षा विभाग ने उच्च माध्यमिक स्कूलों में कार्यरत 4257 शिक्षकों को नौकरी से हटाने का फैसला लिया है. अतिथि शिक्षक पिछले 6 वर्षों से राज्य के विभिन्न उच्च माध्यमिक स्कूलों में सेवा दे रहे थें. शिक्षा विभाग के फ़ैसले से अतिथि शिक्षक बेरोज़गार(guest teacher unemployed) हो गए हैं. अब उन्हें नए सिरे से नौकरी की तलाश में दर-दर की ठोकरें खानी होंगी.

6 साल पहले शिक्षा विभाग ने स्कूलों में निर्धारित पारिश्रमिक पर अतिथि शिक्षकों की सेवा लेने का फैसला लिया था. कक्षा 9वीं-10वीं के लिए 37,847 और कक्षा 11वीं-12वीं के लिए 56,891 उच्च माध्यमिक स्कूलों में कुल 94,738 शिक्षकों की नियुक्ति कर योगदान करा दिया गया है. शिक्षा विभाग की दलील है कि इसलिए अब अतिथि शिक्षकों की ज़रूरत नहीं है.

साल 2018 में स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी को दूर करने के लिए अतिथि शिक्षकों को रखा गया था. जिलावार स्कूलों की लिस्ट जारी गई थी और जिन स्कूलों में जिस विषय के शिक्षक नहीं थें, वहां अतिथि शिक्षक को रखा गया था. 

बिहार गजेट

शाहनवाज़ गया के एक स्कूल में अतिथि शिक्षक हैं. वो अपने बच्चों के स्कूल की फ़ीस नहीं भर पा रहे हैं क्योंकि पिछले दो महीने से सरकार ने उनका वेतन नहीं दिया है. अब उन्हें अतिथि शिक्षक के तौर पर भी निकाल दिया गया है. शाहनवाज बताते हैं कि “अतिथि शिक्षकों को इस तरह हटा देना शिक्षकों की बेइज्जती है. सरकार को चाहिए की हमें भी परमानेंट करे. पिछले 2 महीने से मेरा भी वेतन बाकी है. सरकार से कई बार हमने विनती की है. लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. हमारे घर पर बच्चे हैं, हम उन्हें भी पढ़ना चाहते हैं पर पैसों की तंगी से परेशान हैं.”

शाहनवाज काफ़ी परेशान हैं. उनका रोज़गार चला गया है जिसके कारण वो अपने बच्चों का सही से पालन पोषण नहीं कर पर रहे हैं. शाहनवाज बताते हैं कि कई बार उन्हें और उनके बच्चों को भूखे पेट सो जाना पड़ता है.

पंकज कुमार सुमन एक अतिथि शिक्षक हैं. वो हमसे बात करने के दौरान बताते हैं कि “9 महीनों का वेतन बाकी है, वहीं दूसरी तरफ़ हमारा रोज़गार हमसे छीन लिया गया है. हमारा घर चलाना मुश्किल हो गया है, सामाजिक उत्पीड़न हमें झेलना पड़ता है लेकिन हमारी कोई नहीं सुनता. सरकार बस आश्वासन पर आश्वासन देती है लेकिन काम नहीं करती.”

जगदीश्वर किशोर उच्च विद्यालय में शिक्षक की नहीं हुई है बहाली

जगदीश्वर किशोर उच्च विद्यालय, अरवल में अभी शिक्षकों की बहाली नहीं हुई है. लेकिन वहां के अतिथि शिक्षकों को हटा दिया गया है. जगदीश्वर किशोर उच्च विद्यालय में अभी पढ़ाई की स्थिति क्या होगी, ये समझने के लिए हमने वहां के छात्र से बात की. हालांकि हम छात्रों के पहचान को उजागर नहीं कर सकते.

11वीं कक्षा में पढ़ने वाले एक छात्र हमारी टीम से बात करते हुए कहते हैं “सरकारी स्कूल में वैसे तो पढ़ाई होती नहीं और जो होने लगी थी उस पर भी रोक लग गई. हमारे यहां जो अतिथि शिक्षक थे वो काफ़ी अच्छा पढ़ाते थें. जब हमें पता चला कि वो जा रहें हैं तो हमें काफ़ी बुरा लगा. लेकिन अभी तक नए शिक्षक की नियुक्ति हुई नहीं हैं. हमारी पढ़ाई छूट रही है. मैं 11वीं का छात्र हूं और पढ़ाई न होने के कारण हमारा पढ़ाई काफ़ी छूट रहा गई और हम पीछे हो रहें हैं.” 

क्या बिहार की शिक्षा गर्त में जायेगी?

अतिथि शिक्षकों ने कई बार प्रदर्शन किया, विधानसभा मार्च भी किया. लेकिन उनके समस्या का समाधान होते नज़र नहीं आया. प्रशासन ने इन पर लाठी चार्ज भी किया. लेकिन इन्हें अभी भी रोज़गार से दूर रखा गया है. हालांकि बिहार की शिक्षा व्यवस्था(Bihar education system) पर हमेशा सवाल उठता रहा है. ना ढंग के सरकारी स्कूल, शिक्षकों को भारी कमी और अब शिक्षकों का वेतन.

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बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर भी काफ़ी ख़राब है और ये बात किसी से छिपी नहीं है. बिहार की शिक्षा स्तिथि को देखते हुए गांधी के विचार याद आते हैं. गांधीजी ने पाठ्यक्रम के एक भाग के रूप में व्यावसायिक प्रशिक्षण का प्रस्ताव रखा.

उनका मानना था कि रचनात्मक सोच दिमाग को उत्तेजित करेगी, इसलिए इसे प्राथमिक से लेकर वरिष्ठ स्तर तक के पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए. गांधी सहयोग, सहिष्णुता, जन भावना और जिम्मेदारी की भावना को महत्व देते थे, जो केवल अनुशासित शिक्षा ही प्रदान कर सकती है. ये गुण व्यक्ति और शिक्षा के सामाजिक उद्देश्य के बीच सामंजस्यपूर्ण संतुलन बना सकते हैं. उनका मानना था कि शिक्षा व्यक्ति के दिमाग को रचनात्मक, स्वतंत्र और आलोचनात्मक रूप से सोचने के लिए प्रेरित करती है. गांधी के अनुसार शिक्षा किसी भी बिंदु पर समाप्त नहीं होती बल्कि यह एक सतत प्रक्रिया है. उनका दृढ़ विश्वास था कि शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट से समाज से सच्चाई, दृढ़ता और सहिष्णुता का अभाव हो जाएगा.

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