सामान्य वर्ग से आने वाले आर्थिक रूप से पिछड़े हुए छात्रों और अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण दिए जाने के लिए साल 2019 में केंद्र सरकार ने EWS कोटा (EWS Reservation) लागू किया था. भारतीय संविधान के तहत अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों को शिक्षा संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 50 फीसदी आरक्षण प्राप्त है.
103वें संविधान संशोधन के तहत इसके अतिरिक्त दस प्रतिशत आरक्षण सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्गों को दिया गया है. सामान्य वर्गों के लिए 10 फीसदी का यह आरक्षण कोटा लागू हुए इस साल पांच वर्ष हो गये हैं. लेकिन आज अलग-अलग राज्य सरकारों ने इसे पूरी तरह नौकरियों और नामांकन प्रक्रियाओं में लागू नहीं किया है.
बिहार में अभी शिक्षक भर्ती का दौर चल रहा है. राज्य में बीते आठ-दस महीनों में शिक्षक भर्ती परीक्षा और शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन किया गया है. बीते साल लम्बे अन्तराल के बाद राज्य में शिक्षक पात्रता परीक्षा (Bihar STET Exam) का आयोजन किया गया था. अगस्त 2023 में आई इस पात्रता परीक्षा का आयोजन दो पालियों में 4 और 15 सितंबर को किया गया, जिसमें 3,76,877 अभ्यर्थी शामिल हुए.
लेकिन लम्बे समय से माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा का इन्तजार कर रहे अभ्यर्थियों का आरोप है कि राज्य सरकार ने इस परीक्षा में आरक्षण संबंधी नियमों का उलंघन किया है. अभ्यर्थियों का आरोप है कि परीक्षा में EWS कोटे के परीक्षार्थियों को ना तो उम्र सीमा, ना परीक्षा शुल्क और ना ही परीक्षा कटऑफ में छूट दिया गया है. जबकि अन्य आरक्षित वर्गों को इसका पूरा लाभ दिया जाता है.
EWS नियमों का पालन नहीं होने से आहत अभ्यर्थियों ने पटना हाईकोर्ट में अपील दायर किया है. जिसमें संवैधानिक नियमों के अनुसार आरक्षण दिए जाने का मामला रखा गया है.
हाईकोर्ट पहुंचा आरक्षण का मामला
माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा में आरक्षण नहीं दिए जाने को लेकर अभ्यर्थी अब कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं. 15 दिसंबर 2023 को अभ्यर्थियों ने पटना हाईकोर्ट में अपील दायर किया जिसे 9 जनवरी को कोर्ट में एडमिट कर लिया गया है. 15 मार्च को हुई पहली सुनवाई में कोर्ट ने बिहार सरकार से जवाब मांगा है कि आखिर EWS कोटि के अभ्यर्थियों से भेदभाव क्यों हो रहा है. इस मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होनी है.
इस मामले के याचिकाकर्ताओं में से एक अश्विनी ओझा कहते हैं “2023 में जब STET का फॉर्म निकला गया तो इसमें कहीं भी EWS कोटे का जिक्र नहीं किया गया. हमने याचिका दायर करने से पहले बिहार सरकार और शिक्षा विभाग में आवेदन दिया और इसमें सुधार करने का आग्रह किया. हम शिक्षा मंत्री और अपर मुख्य सचिव से भी मिले लेकिन हमें कोई राहत नहीं मिला. तब हमने हाईकोर्ट का सहारा लिया है. माननीय कोर्ट ने हमारे मुद्दे को गंभीरता से लिया है और आगे EWS अभ्यर्थियों को न्याय मिलने की उम्मीद है.”
अश्विनी अन्य राज्यों में मिले EWS कोटे के अभ्यर्थियों को मिले आरक्षण के मुद्दे को उठाते हुए कहते हैं “देश में 16 से 17 राज्य ऐसे हैं जहां EWS छात्रों को अन्य कोटियों को मिलने वाले आरक्षण की तरह उम्र और परीक्षा कटऑफ में छूट दिया जा रहा है. मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में EWS अभ्यर्थियों को परीक्षा कटऑफ में 5% छूट दिया जा रहा है तो बिहार में क्यों नहीं?”
पिछले महीने संसद सत्र के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी राज्यसभा में EWS आरक्षण में उम्र और आय संबंधी छूट का मुद्दा उठाया था. दिग्विजय सिंह ने भाषण के दौरान कहा राजस्थान, गुजरात, तेलंगाना, जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र, हरियाणा और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों ने EWS कोटे से आने वाले अभ्यर्थियों की उम्र सीमा में पांच साल का छूट दिया है. सिंह ने गुजरात और राजस्थान का उदाहरण देते हुए बताया कि यहां EWS कोटि में आने के लिए आय संबंधी बाधा को भी हटा दिया है.
राज्यसभा में अपने बयान के दौरान, दिग्विजय सिंह ने बताया था कि यूपीएससी की एक सीट के लिए
1950 एससी उम्मीदवार, 1335 अनुसूचित जनजाति उम्मीदवार, लेकिन केवल 569 EWS उम्मीदवार आ रहे थे. EWS आरक्षण की शर्तों के कारण इंजीनियरिंग सेवाओं, विदेश सेवाओं सहित सभी यूपीएससी सेवाओं में समान प्रवृति देखी जा रही है.
STET में नहीं मिला EWS को अलग आरक्षण
राज्य में माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (STET) के लिए अगस्त महीने में आवेदन निकाला गया था. सितम्बर महीने में परीक्षा का आयोजन होने के बाद अक्टूबर में रिजल्ट प्रकाशित कर दिया गया. लेकिन EWS कोटे से आने वाले अभ्यर्थियों का आरोप है कि कटऑफ में छूट नहीं मिलने के कारण बहुत सारे सामान्य वर्ग से आने वाले पिछड़े छात्र विफल हो गये.
दरअसल, परीक्षा फॉर्म भरने के लिए जारी विज्ञप्ति में अलग-अलग श्रेणियों के लिए कटऑफ प्रतिशत जारी किया गया था. जैसे- सामान्य वर्ग के लिए 50%, पिछड़ा वर्ग के 45.5%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 42.5%, अनुसूचित जाति/जनजाति, महिला और दिव्यांग के लिए 40% कटऑफ रखा गया है. लेकिन यहां EWS अभ्यर्थियों के लिए अलग से कटऑफ नहीं जारी किया गया.
वहीं उम्र सीमा में भी सामान्य वर्ग के पुरुष को 37 वर्ष, सामान्य वर्ग की महिला को 40 वर्ष, पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग की महिला/पुरुष को 40 वर्ष और अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के पुरुष और महिलाओं की उम्र सीमा 42 वर्ष रखी गई है. यहां भी EWS कोटि से आने वाले छात्रों के लिए अलग से उम्र सीमा का प्रावधान नहीं किया गया है.
उम्र सीमा और कटऑफ लिस्ट में कही भी आर्थिक तौर पर पिछड़ा वर्ग (EWS) का जिक्र नहीं किया गया. वहीं परीक्षा शुल्क में केवल अनुसूचित जाति/जनजाति और दिव्यांग छात्रों को ही छूट दिया गया. इस वर्ग के छात्रों को एक पेपर के लिए 760 रूपए जबकि दोनों पेपर के लिए 1140 रूपए लिए गये हैं. जबकि सामान्य वर्ग, EWS, पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के पुरुष और महिला उम्मीदवारों को आवेदन शुल्क के तौर पर पेपर वन या फिर पेपर 2 के लिए 960 रुपए जबकि दोनों पेपर के लिए 1140 रुपए लिए गये हैं.
माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (STET2024) का आयोजन आने वाले कुछ महीनों में हो सकता है. ऐसे में आने वाले दिनों में EWS कोटि के छात्रों का परीक्षाओं में आरक्षण को लेकर आने वाला फैसला अभ्यर्थियों को राहत दे सकता है.