रांची में डेंगू-मलेरिया का खतरा, निगम के दावे नाकाफी

रांची में जनवरी से जून अंत तक 656 संदिग्धों के सैम्पल की जांच की गई जिसमें 28 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है. वहीं रांची के बाद डेंगू के सबसे ज्यादा केस पूर्वी सिंहभूम (9), गिरिडीह (8), गढ़वा, पलामू और हजारीबाग में चार और धनबाद में तीन मरीज पाए गये हैं.

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डेंगू वार्ड

मानसून की दस्तक ने पानी में पनपने वाले जीवाणुओं खासकर मच्छरों द्वारा होने वाली बीमारियों के खतरे को बढ़ा दिया है. लोगों द्वारा आसपास साफ़-सफाई नहीं रखने और स्वास्थ्य विभाग द्वारा उससे निपटने का उचित प्रबंधन नहीं करने के कारण लोग डेंगू, मलेरिया और चिकुनगुनिया जैसी वेक्टर जनित रोगों के शिकार हो रहे हैं.

स्वास्थ्य महकमा उस दिन सकते में आ गया जब रांची के रातू प्रखंड के फुटकलटोली पंचायत के पिर्रा में एक ही दिन में लगभग एक दर्जन घरों में डेंगू के मरीज पाए गये. आननफानन में स्वास्थ्य विभाग कांके की टीम पिर्रा पहुंची और मोहल्ले के दर्जनों घरों में बुखार से पीड़ित मरीजों का ब्लड सैम्पल इकठ्ठा किया जिसे जांच के लिए रांची स्थित राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (RIMS) भेजा गया.

रांची से समाजिक कार्यकर्ता  रेहान अंसारी बताते हैं कि “फुटकलटोली में एक ही परिवार के कई लोग डेंगू से पीड़ित पाए गये हैं. उन सभी का इलाज निजी अस्पताल में चल रहा है. सूचना मिलने पर स्वास्थ्य विभाग कि टीम आई थी लेकिन वो लोग मलेरिया का जांच सैम्पल इकठ्ठा कर रहे थे. उनका कहना था कि उनके पास डेंगू का जांच किट नहीं है. इसके लिए उन्हें सदर अस्पताल जाना होगा.”

हालांकि वेक्टर एंड बोर्न डिजीज के स्टेट प्रोग्राम ऑफिसर डॉ बीरेंद्र कुमार सिंह इन मामलों की पुष्टि नहीं करते हैं. उनका कहना है जबतक उनके ब्लड सैम्पल की जांच रांची रिम्स द्वारा स्तायापित नहीं किया जाता उन मरीजों को डेंगू संदिग्ध माना जाएगा. डॉ बीरेंद्र का कहना है कि निजी जांच घरों या अस्पतालों में NS1 किट होने वाले जांच को विभाग संदिग्ध मानाता है. यही कारण है कि सरकारी और निजी आंकड़ों में डेंगू मरीजों में अंतर होता है.

विभाग 12 जगहों जैसे- रांची रिम्स, डीएमसीएच, एमजीएम और हजारीबाग, पलामू, दुमका, चाईबासा, साहेबगंज स्थित सदर अस्पताल के डीपीएसएल में होने वाले जांच को कंफर्म मानाता है. क्योंकि यहां नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV), पुणे द्वारा भेजे गये किट से डेंगू की जांच की जाती है.

सरकारी आंकड़ों के अनुसार बीते तीन महीनों में डेंगू के सबसे ज्यादा केस राजधानी रांची में मिले हैं. रांची में जनवरी से जून अंत तक 656 संदिग्धों के सैम्पल की जांच की गई जिसमें 28 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है. वहीं रांची के बाद डेंगू के सबसे ज्यादा केस पूर्वी सिंहभूम (9), गिरिडीह (8), गढ़वा, पलामू और हजारीबाग में चार और धनबाद में तीन मरीज पाए गये हैं.

डेंगू के मरीज

डॉ बीरेंद्र बताते हैं “जुलाई माह में अबतक मात्र एक मरीज में डेंगू की पुष्टि हुई है, जबकि मलेरिया के 50 मरीज मिले हैं. वहीं जनवरी से जून माह तक डेंगू के 28 मरीज मिले थे.”

15 से शुरू हुआ डोर टू डोर सर्विलांस

डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियों के पैर पसारने के बाद स्वास्थ्य विभाग और रांची नगर निगम एक्टिव होने का दावा कर रहा है. रांची नगर निगम एक जुलाई से ही प्रत्येक अंचल और वार्ड में फॉगिंग और एंटीलार्वा का छिड़काव कर रहा है. निगम के अनुसार आठ टीमें दो शिफ्ट में 53 वार्डों में फॉगिंग और एंटीलार्वा का छिड़काव कर रही है. सुबह छह बजे से दस बजे तक लार्वासाइड्स जबकि शाम पांच से रात नौ बजे तक फॉगिंग किया जाता है.

रांची नगर निगम में असिस्टेंट हेल्थ ऑफिसर किरण कुमारी बताती हैं “नगर निगम के अन्दर आने वाले सभी वार्डों में हम 2 जुलाई से ही लार्वासाइड्स और फॉगिंग करवा रहे हैं. 15 जुलाई के बाद हमारी टीम और बड़ी हो गई हैं. अबतक रांची नगर निगम क्षेत्र से एक भी डेंगू मरीज की पुष्टि नहीं हुई है.”

रांची नगर निगम

वहीं स्वास्थ्य विभाग भी वैसे स्थानों पर अलग से फॉगिंग और एंटीलार्वा का छिड़काव करवाने की बात कह रहा है, जहां से डेंगू के मरीजों की पुष्टि हुई है. डॉ बीरेंद्र बताते हैं “हमलोग दिसम्बर तक एंटीलार्वल एक्टिविटी चलाते हैं. इस दौरान अगर एक भी घर से डेंगू की पुष्टि होने पर हम उस इलाके में एंटीलार्वा और फॉगिंग करवाते हैं, यह नगर निगम से अलग हमारे विभाग द्वारा किया जाता है. इसके अलावा कम्युनिटी लेवल पर भी वालेंटीयर घर-घर घूमकर लोगों को एक दिन ड्राई डे (बर्तनों या टूटे-फूटे सामान में पानी ना रखे) रखने के लिए कहते हैं.”

बस्तियों में सफाई

हालांकि नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग के दावों से अलग बस्तियों में रह रहे लोगों को इस तरह की किसी भी सुविधा का लाभ नहीं मिलता है. गंदे पानी, खुले नाले और कचरे के बीच रहने वाले लोग मच्छरों द्वारा होने वाली बीमारियों से परेशान रहते हैं.

स्लम बस्तियों में रहने वाले बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए काम करने वाली समाज-सेविका मालका तबस्सुम अलीनगर और इस्लामनगर बस्ती की परिस्थिति बताती है. दोनों बस्तियों में तीन सौ से ज्यादा घर है जो प्लास्टिक और बोरियों से बने हैं. बस्तियों में नाली के पानी और कचरे का सही निपटान नहीं होने के कारण यहां लोग डेंगू मलेरिया से ज्यादा प्रभावित होते हैं.

इन बस्तियों में निगम द्वारा डस्टबिन की व्यवस्था की गयी है लेकिन उसकी संख्या नाकाफी है, साथ ही उसकी सफाई भी समय पर नहीं की जाती है.

डेंगू से बचाव के लिये छिडकाव

मालका कहती हैं “सरकार ने बस्ती उजार दिया जिसके बाद लोग किसी तरह दोनों बस्तियों में रह रहे हैं. यहां ना तो ड्रेनेज सिस्टम है और ना ही कचरा प्रबंधन की व्यवस्था है. ज्यादातर झोपड़ियों के अंदर से नाली का पानी बहता है. और नाली की सफाई नहीं होने से उसका गन्दा पानी झोपड़ी के अन्दर और बाहर जमा रहता है.”

शहर में डेंगू, मलेरिया के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग और रांची के डिप्टी मेयर ने आदेश दिया है कि स्लम इलाकों में पानी निकास की समुचित व्यवस्था की जाए. नालियों की सफाई की जाए ताकि नालियों का पानी बाहर निकल सके.

लेकिन निगम द्वारा होने वाली सफाई पर मालका कहती हैं “रांची नगर निगम डेंगू, मलेरिया से निपटने के लिए नालियों में सिर्फ ब्लीच का छिड़काव कर रहा है. बहुत हुआ तो नालियों की सफाई कर देती है. लेकिन इससे ज्यादा इन बस्तियों में कुछ नहीं किया जाता है.”

कचरा प्रबंधन पर मालका कहती है “जो लोग बस्ती के काफी भीतर रहते हैं उनको बाहर आकर कचरा फेंकने में परेशानी होती है. लोग सुविधा के लिए अपने आसपास खाली जगह में कचरा फेंक देते हैं. जो बहकर नाली में चला जाता है. बस्ती में सड़क भी टूटे फूटे है. उसेक गड्ढों में भी पानी भरा रहता है. ऐसे में डेंगू मलेरिया के मामले तो बढ़ेंगे ही.”

यही कारण रहता है कि राज्य में हर साल डेंगू मलेरिया के मामले बढ़ते जा रहे हैं. साल 2022 में डेंगू के 290 केस मिले थे जो वर्ष 2023 में बढ़कर 2578 हो गए थे. वहीं मलेरिया के केस साल 2022 में 4180 थे जो वर्ष  2023 में बढ़कर 5097 हो गये. इस साल भी जनवरी से अबतक डेंगू के 76 और मलेरिया के 600 मरीज मिल चुके हैं.  

डॉ बीरेंद्र का कहना है कि शहर के वैसे इलाके जहां से डेंगू मलेरिया के मामले ज्यादा आते हैं उन क्षेत्रो के प्रत्येक घर में डेंगू की जांच की जाएगी. साथ ही नगर निगम के साथ मिलकर फॉगिंग भी की जाएगी. लेकिन जमीनी स्तर पर दोनों विभाग के दावों के क्या परिणाम आते है यह आने वाले दिनों में पता लगेगा.

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