रामायण फेम अरुण गोविल ने क्यों कहा संविधान में बदलाव कि बात, BJP ने मेरठ से बनाया है उम्मीदवार

मेरठ से प्रत्यशी बनाये जाने के बाद अरुण गोविल ने दो अप्रैल को अपना नामंकन दाखिल किया है. नामांकन दाखिल करने के बाद से ही मेरठ में अरुण गोविल का विरोध हो रहा है.

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पल्लवी कुमारी
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रामायण फेम अरुण गोविल

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लोकसभा चुनाव 2024 (Loksabha Chunav) के लिए यूपी के मेरठ से बीजेपी ने रामायण फेम एक्टर अरुण गोविल को अपना उम्मीदवार बनाया है. मेरठ (Meerut) से प्रत्यशी बनाये जाने के बाद अरुण गोविल ने दो अप्रैल को अपना नामंकन दाखिल किया है. नामांकन दाखिल करने के बाद से ही मेरठ में अरुण गोविल (Arun Govil) का विरोध हो रहा है. पहले तो स्थानीय बनाम बाहरी को लेकर विरोध हुआ और अब उनके मीडिया में संविधान को लेकर दिए बयान को लेकर बाजार गर्म हो गया है. 

दरअसल, सोशल मीडिया एक्स पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें अरुण गोविल कह रहे हैं "संविधान जब हमारा बना था तो उसमें परिस्थितियों के अनुसार, धीरे-धीरे चेंज हुए. चेंज करना प्रगति की निशानी है. उसमें कोई खराब बात नहीं है. उस वक्त की परिस्थितियां कुछ और थीं. आज की कुछ और हैं. संविधान एक व्यक्ति की मर्जी से तो चेंज होगा नहीं होगा. सर्व सम्मति चाहिए होगी. अगर ऐसा कुछ होगा तो किया जाएगा."

वहीं जब उनसे पूछा गया कि क्या 400 पार का नारा इसलिए दिया गया है क्योंकि सरकार का ऐसा कुछ बड़ा करने की इच्छा है? इसपर अरुण गोविल ने कहा, "मुझे ये महसूस होता है... क्योंकि मोदी जी ऐसे ही कोई बात नहीं कहते हैं, उसके पीछे कोई ना कोई अर्थ जरूर होता है."

अखिलेश यादव ने दी प्रतिक्रिया

अरुण गोविल के इसी बयान पर लोग अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. समाजवादी पार्टी के नेता और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा है- जो लोग संविधान में प्रगतिशील संशोधन करने और मूलभूत बदलाव करने के बीच का अंतर नहीं समझते उन्हें टिकट देकर भाजपा ने भारी भूल की है, लेकिन फिर भी इससे ज़्यादा फ़र्क़ नहीं पड़ेगा क्योंकि जनता ने हर भाजपा प्रत्याशी को हराने का फ़ैसला पहले ही कर लिया है.

आखिलेश ने आरोप लगाया कि भाजपा संविधान को पलटकर ग़रीबों, वचितों, शोषितों, किसानों, युवाओं और महिलाओं के हक़-अधिकार व आरक्षण मारकर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचा रही है. इलेक्टोरल बांड मामले में भाजपा को घेरते हुए अखिलेश ने लिखा- पूंजीपति जो चुनावी-चंदे के नाम पर अपने बेशुमार फ़ायदे का हिस्सा भाजपाइयों को दे देते हैं. सही मायनों में ये जनता से वसूली का तरीक़ा है क्योंकि कोई भी पूंजीपति अपनी जेब से नहीं देता है, वो तो जनता से ही वसूलकर भाजपाइयों के दल और उनका व्यक्तिगत खज़ाना भरता है.

अरुण गोविल से पहले यूपी फैजाबाद लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद और उम्मीदवार लल्लू सिंह ने भी संविधान में बदलाव की बात कही थी. उन्होंने कहा था “केंद्र में सरकार 272 सीटों पर ही बन जाती है लेकिन 272 की सरकार संविधान में संशोधन नहीं कर सकती है. संविधान बदलने या संशोधन करने के लिए दो तिहाई सीटों की जरुरत होती है. संविधान में संशोधन करना होगा क्योंकि बहुत सारे काम करने हैं.”

लल्लू सिंह के इस बयान पर भी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी पर हमला बोला था. अखिलेश ने कहा था- बीजेपी पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों को मिले आरक्षण को खत्म कर देना चाहती है. चुनाव आयोग को ऐसे बयानों को संज्ञान में लेना चाहिए. संविधान को बदलने की बात करने से बड़ा लोकतांत्रिक उल्लंघन क्या हो सकता है.

मेरठ से समाजवादी पार्टी ने मेरठ से अतुल प्रधान और बसपा ने देवव्रत त्यागी को अपना उम्मीदवार बनाया है. यूपी के 80 लोकसभा सीट पर सात चरणों में चुनाव होंगे. मेरठ में दुसरे चरण में 26 अप्रैल को चुनाव होने हैं.

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