पटना यूनिवर्सिटी में कितने सुरक्षित हैं छात्र?

पटना यूनिवर्सिटी, जिसे कभी देश की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में गिना जाता था, आज बदहाल और असुरक्षित होती जा रही है। यह वही विश्वविद्यालय है, जिसने पूरे देश को राजनीतिक आंदोलनों से लेकर अकादमिक उत्कृष्टता तक का इतिहास दिया है.

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Waheed Azam
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PATNA UNIVERSITY

 

पटना यूनिवर्सिटी, जिसे कभी देश की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में गिना जाता था, आज बदहाल और असुरक्षित होती जा रही है. यह वही विश्वविद्यालय है, जिसने न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश को राजनीतिक आंदोलनों से लेकर अकादमिक उत्कृष्टता तक का इतिहास दिया है। जेपी आंदोलन से लेकर प्रशासनिक सेवाओं में सैकड़ों होनहार अफसरों को जन्म देने वाली यह संस्था अब विवाद, हिंसा और अव्यवस्था की पहचान बनती जा रही है.

बीएन कॉलेज परिसर में धमाका

13 मई 2025 को पटना यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाले बिहार नेशनल कॉलेज (बीएन कॉलेज) में दो छात्र गुटों के बीच हिंसक झड़प के दौरान देसी बम फेंके गए। धमाके से पूरा कॉलेज परिसर दहल उठा। यह हमला उस समय हुआ जब परीक्षाएं चल रही थीं.
इस घटना में रोहतास जिले के बिलोनी निवासी 21 वर्षीय सुजीत कुमार पांडेय गंभीर रूप से घायल हो गए। बम ठीक उनके सिर के पास आकर फटा, जिससे उनके सिर और शरीर पर गंभीर चोटें आईं। उन्हें तुरंत पीएमसीएच ले जाया गया, जहां उनकी हालत लगातार बिगड़ती गई. डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखा, लेकिन 15 मई को उनकी मृत्यु हो गई.
सुजीत अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। इलाज के लिए उनके किसान पिता ने रिश्तेदारों से कर्ज लिया, लेकिन अब उन्हें सिर्फ बेटे की यादें और सिस्टम से मिले खोखले वादे ही शेष हैं। हमने सुजीत के परिवार से बात करने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

पहली बार नहीं हुई ऐसी घटना

पटना यूनिवर्सिटी में यह पहली हिंसक घटना नहीं है. पूर्व में भी ऐसे कई मामलों ने विश्वविद्यालय की सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल खड़े किए हैं:

  • मार्च 2025: छात्रसंघ चुनाव से पहले बम विस्फोट.
  • अप्रैल 2025: पटना के सैदपुर छात्रावास में नवादा जिले के छात्र चंदन कुमार की गोली मारकर हत्या.
  • 2024: पटना लॉ कॉलेज में छात्र हर्ष राज की पीट-पीटकर हत्या.
    इसके अलावा भी पटना यूनिवर्सिटी कई बार मार पीट की घटनाएं हुई है और हर बार वहां के छात्रों ने बड़े स्तर पर आंदोलन किया था.  हर्ष राज हत्याकांड  के बाद के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने हॉस्टल बंद करने और सुरक्षा बढ़ाने का आश्वासन दिया था. लेकिन न कैमरे लगे, न सुरक्षा गार्ड्स की संख्या बढ़ी और न ही कोई ठोस नीति बनी.

छात्रों की आवाज़

जब इस घटना पर हमसे बात करते हुए पटना यूनिवर्सिटी छात्र प्रतिनिधि शाश्वत शेखर ने कहा, "इस घटना के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन और पुलिस सीधे जिम्मेदार हैं। एक महीने में दो हत्याएं हो चुकी हैं, फिर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। छात्रों ने बार-बार सीसीटीवी की मांग की, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ."

आगे उन्होंने  बताया की  "यह सीधी लापरवाही है. हर्ष हत्याकांड के बाद भी सुरक्षा के वादे किए गए थे, लेकिन उन पर अमल नहीं हुआ. विश्वविद्यालय प्रशासन सिर्फ अपने पद और सुविधाओं में लगा है. न सुरक्षा गार्ड पर्याप्त हैं, न प्रशिक्षित। छात्रों की सुरक्षा को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है. हम मांग करते हैं कि राजभवन हस्तक्षेप करे, दोषियों पर FIR हो और बीएन कॉलेज के प्राचार्य सहित जिम्मेदार पदाधिकारियों को बर्खास्त किया जाए. बीएन कॉलेज और अन्य कॉलेजों में लंबे समय से असामाजिक तत्व सक्रिय हैं, जिन पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं होती। इस घटना के लिए जिम्मेदार कॉलेज प्रशासन को हटाया जाए और विश्वविद्यालय के हर हॉस्टल से अवैध रूप से रह रहे बाहरी छात्रों को तत्काल निकाला जाए.”

छात्रों ने किया हड़ताल का ऐलान

घटना के विरोध में पटना यूनिवर्सिटी के छात्रों ने आज प्रदर्शन और हड़ताल का आयोजन किया, जिसमें सैकड़ों छात्र शामिल हुए। उन्होंने यह मांग की कि विश्वविद्यालय के कुलपति (VC) और बीएन कॉलेज के प्राचार्य को पद से हटाया जाए, साथ ही छात्रावासों में रह रहे अवैध छात्रों की पहचान कर उन्हें तुरंत बाहर किया जाए. साथ ही विश्वविद्यालय में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाए.

पटना विश्वविद्यालय में कितने सुरक्षित हैं छात्र?
हड़ताल पर बैठे छात्र

 

पुलिस के हाथ अब तक खाली

घटना के बाद पटना पुलिस ने बीएन कॉलेज के प्राचार्य के बयान के आधार पर हत्या की नीयत से एफआईआर दर्ज की. इसके बाद छात्रावासों में कई रातों तक छापेमारी की गई, लेकिन पुलिस को अब तक कोई ठोस सुराग नहीं मिला है। इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.

क्या कहा विश्वविद्यालय प्रशासन ने?

हमने इस घटना पर पटना विश्वविद्यालय के प्रशासन से प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की, लेकिन आर्टिकल के प्रकाशित होने तक कोई जवाब नहीं मिला.

बीएन कॉलेज की यह घटना सिर्फ एक बम धमाका नहीं थी, बल्कि यह एक चेतावनी है — एक ऐसे सिस्टम के लिए जो धीरे-धीरे अपने पतन की ओर बढ़ रहा है. अगर अब भी जिम्मेदार लोग नहीं जागे, तो आने वाली पीढ़ियों को न विश्वविद्यालय मिलेगा, न सुरक्षित शिक्षा का माहौल.
सुजीत की मौत सिर्फ एक आंकड़ा न बन जाए, इसके लिए ज़रूरी है कि विश्वविद्यालय प्रशासन, सरकार और पुलिस अपनी भूमिका ईमानदारी से निभाएं.

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