बिहार का अनोखा पुल

बिहार में पुलों के गिरने से परेशान विभाग ने बदनामी से बचने का उपाय ढूंढ लिया है. जहां दुनिया भर में नदी-नालों पर पुल बनाए जाते हैं, तो वही इधर अररिया में बीच खेत में पुल का निर्माण हुआ है.

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बिहार का अनोखा पुल

बिहार का अनोखा पुल

बिहार सीएम नीतीश कुमार अलग विकास का मॉडल अपना रहे हैं. राज्य में विकास के नाम पर आयदिन खुले आम अपराध हो रहे हैं, पेपर लीक हो रहे हैं, सड़के टूट रही हैं और पुल-पुलियों के बहने की घटनाएं तो जैसे आम हो रही है. यह नया विकास मॉडल देशभर में चर्चा का विषय बन जाता है. कई बार सोशल मीडिया पर इसी विकास मॉडल की चर्चा होते हुए “बिहार इज नॉट फॉर बिगनर्स” जैसे शब्द इस्तेमाल किए जाते हैं. यह शब्द बिहार में हर नए दिन के साथ सिद्ध हो रहे हैं. राज्य में एक और नया विकास मॉडल देखने मिला है, जिसने सबको अचंभित किया है. बिहार में पुलों के गिरने से परेशान विभाग ने बदनामी से बचने का उपाय ढूंढ लिया है. जहां दुनिया भर में नदी-नालों पर पुल बनाए जाते हैं, तो वही इधर अररिया में बीच खेत में पुल का निर्माण हुआ है. बीच खेत में बना यह पुल किसी आकर्षण से कम नहीं लग रहा है. इस पुल को देखने के लिए लोगों में भी काफी दिलचस्प हो रही है. अंदर की खबर है कि थोड़े ही दिनों में पुल को देखने के लिए टिकट काटने का भी सिलसिला शुरू हो जाएगा और आने वाले दिनों में बिहार सीएम इसे अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताते हुए पर्यटक स्थल भी घोषित कर देंगे.

इस पुल निर्माण को लेकर अभी तक किसी विभाग ने जिम्मेदारी नहीं ली है, ना ही पुल निर्माण के पास किसी तरह का बोर्ड लगाया गया है. अच्छा भी है भलाई के लिए कभी क्रेडिट लेना भी नहीं चाहिए. हालांकि सूचना मिली है कि इस पुल को ग्रामीण कार्य विभाग के द्वारा बनाया गया है, लेकिन जिन ग्रामीणों के लिए यह पुल बनाया गया उन्हें इसकी कोई जरूरत नहीं है. ग्रामीणों ने बताया कि खेत के बीच करीब 6 महीने पहले ही पुल का निर्माण हुआ है. उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि विभाग ने पुल को क्यों बनवाया है. स्थानीय लोगों के मुताबिक पुल के पास कोई नदी-नाला भी नहीं है. साथ ही पुल को जोड़ने वाला एप्रोच रोड भी नहीं बनाया गया है.

गौरतलब है कि बिहार में कई जगहों पर आज भी बच्चे नांव से स्कूल जाते हैं. कई गांवों को जोड़ने के लिए आज भी पुल निर्माण नहीं हो पाया है. बीते दो महीनों से बिहार में धड़ाधड़ा एक के बाद एक कई पुलों ने जल समाधि ली है. राज्य में अब तक दर्जन भर से ज्यादा पुल बह चुके हैं. पानी के दबाव को ना झेलने के कारण सड़के भी बह गई है. कई गांव का संपर्क दूसरे गांव, जिला मुख्यालयों और बाजारों से से टूट गया है, जिससे लाखों की आबादी राज्यभर में प्रभावित हुई है. मगर इन इलाकों में पुल बनाने की बजाय विभाग बिना किसी वजह के कहीं भी पुल बना रहा है. शायद आने वाले दिनों में जब यह पुल भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ेगा तब खबरों में किसी पुल के नदी में बहने की चर्चा नहीं होगी. नीतीश सरकार का यह विकास मॉडल कुछ दिनों में देशव्यापी लागू हो सकता है. जिससे देशभर में पुल सुरक्षित खेतों के बीच में बनेंगे, इससे ना तो उसपर आवगमन होगा, ना ही पानी का दबाव होगा, ना ही मौसम की मार झेलेगा और ना ही भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ने का आरोप लगेगा.

इसने विकास मॉडल से यह भी सिद्ध हो गया है कि बिहार में बाहर है नीतीशे कुमार है.

Unique bridge of Bihar Bihar bridge collapsed