बिहार में ईवी क्रांति: चार्जिंग स्टेशनों की कमी विकास में बाधा?

पटना सहित राज्य के विभिन्न जिलों में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग तेजी से बढ़ रही है। लेकिन राज्य में एनएच और एसएच पर चार्जिंग स्टेशनों की कमी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। बिनाचार्जिंग स्टेशनों के ईवी उपयोगकर्ता लंबी दूरी की यात्रा करने में असमर्थ हैं।

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नाजिश महताब
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बिहार, जो तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है, में पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को बढ़ावा देने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। हाल के वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में तेजी आई है। 2024 में राज्य में लगभग 96,000 इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री हुई, जबकि 2023 में यह संख्या करीब 88,000 रही। यह दर्शाता है कि राज्य के लोग अब ईवी को अपनाने के लिए तैयार हैं। लेकिन इस बदलाव के साथ एक गंभीर समस्या भी उभर रही हैचार्जिंग स्टेशनों की कमी।

चार्जिंग स्टेशनों की कमी: एक बड़ी बाधा

पटना सहित राज्य के विभिन्न जिलों में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग तेजी से बढ़ रही है। लेकिन राज्य में एनएच (राष्ट्रीय राजमार्ग) और एसएच (राज्य राजमार्ग) पर चार्जिंग स्टेशनों की कमी लोगों के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है। बिना पर्याप्त चार्जिंग स्टेशनों के, ईवी उपयोगकर्ता लंबी दूरी की यात्रा करने में असमर्थ महसूस करते हैं। इस वजह से लोग इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने से पहले सोचने पर मजबूर हो जाते हैं।

बिहार में 2023 के अंत तक केवल 124 चार्जिंग स्टेशन थे। यह आंकड़ा झारखंड (135), पश्चिम बंगाल (318), और उत्तर प्रदेश (583) जैसे पड़ोसी राज्यों की तुलना में काफ़ी कम है। बिहार में चार्जिंग स्टेशनों की कमी केवल राज्य में ईवी के उपयोग को सीमित कर रही है, बल्कि ईवी को बढ़ावा देने के सरकारी प्रयासों को भी कमजोर कर रही है।

पटना के रहने वाले रज़ा, जिनके पास इलेक्ट्रिक बाइक है, ने कहा, इलेक्ट्रिक गाड़ियाँ आने से बिहार में पॉल्यूशन कम जरूर हुआ है, लेकिन चार्जिंग स्टेशन कम होने की वजह से हमें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर रास्ते में चार्ज ख़त्म हो जाए तो हमें गाड़ी को धक्का मारकर घर लाना पड़ता है। सरकार को चाहिए कि चार्जिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ाए।

सरकारी योजना: कागज़ों से हकीकत तक का सफर

बिहार सरकार ने ईवी को बढ़ावा देने के लिए 2023 में 'इलेक्ट्रिक वाहन नीति, 2023' लागू की। इस नीति के तहत 2030 तक राज्य में 30% इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही, 2028 तक राज्य के कुल पंजीकृत वाहनों में 15% हिस्सेदारी इलेक्ट्रिक वाहनों की होगी।

राज्य सरकार ने ईवी चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना के लिए एक साल में 1000 स्टेशनों के निर्माण का लक्ष्य रखा है। इनमें से 300 चार्जिंग स्टेशनों का निर्माण प्राथमिकता के आधार पर किया जाना है। सरकार ने यह भी घोषणा की है कि राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर नियमित अंतराल पर चार्जिंग स्टेशन लगाए जाएंगे, ताकि ईवी उपयोगकर्ता लंबी दूरी तय कर सकें। इसके अतिरिक्त, शहर के प्रमुख स्थलों, पेट्रोल पंपों, बस स्टैंडों और स्कूल-कॉलेजों में भी चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे।

लेकिन यह सारी योजना अभी कागजों पर ही सीमित है। पिछले एक साल में चार्जिंग स्टेशनों के निर्माण में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है। लोग आज भी लंबी यात्रा पर जाने से पहले चार्जिंग की समस्या को लेकर चिंतित रहते हैं।

ईवी को बढ़ावा देने के अन्य प्रयास

  1. ईवी कॉन्क्लेव: राज्य परिवहन विभाग ने पिछले साल पटना में ईवी कॉन्क्लेव का आयोजन किया, ताकि इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति लोगों को जागरूक किया जा सके।
  2. -बस योजना: पीएम -बस योजना के तहत पटना, गया, दरभंगा, भागलपुर, पूर्णिया और मुजफ्फरपुर जैसे जिलों में 400 इलेक्ट्रिक बसों के परिचालन का लक्ष्य रखा गया है। सरकार ने इन बसों के लिए चार्जिंग स्टेशन तैयार करने की योजना बनाई है।
  3. वित्तीय प्रोत्साहन: इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार सब्सिडी और टैक्स में छूट दे रही है। इसके साथ ही पुराने वाहनों की स्क्रैपिंग और चार्जिंग स्टेशन के निर्माण के लिए अनुदान दिया जा रहा है।

पटना के रहने वाले फहद, जो पेशे से फील्ड वर्कर हैं, ने कहा, मैंने सोचा कि इलेक्ट्रिक गाड़ी लूं जिससे पर्यावरण के साथ-साथ पैसा भी बचे। लेकिन यह गाड़ी मेरे लिए मुसीबत तब बनी जब रास्ते में इसका चार्ज खत्म हो गया। गूगल मैप पर चार्जिंग स्टेशन नज़दीक दिखाया गया, लेकिन वहां कोई चार्जिंग स्टेशन नहीं था। सरकार को ईवी को बढ़ावा देने के साथ चार्जिंग स्टेशन की संख्या बढ़ाने पर भी ध्यान देना चाहिए।

पर्यावरण और आर्थिक लाभ

बिहार में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के पीछे एक बड़ा कारण वायु प्रदूषण को कम करना है। राज्य के कई प्रमुख शहर, विशेषकर पटना, देश के सबसे प्रदूषित शहरों में गिने जाते हैं। ईवी के उपयोग से जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी और कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। साथ ही, चार्जिंग स्टेशनों का निर्माण केवल ईवी उपयोगकर्ताओं के लिए सहूलियत बढ़ाएगा, बल्कि यह राज्य में रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा। इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग और इससे संबंधित बुनियादी ढांचे का विकास आर्थिक प्रगति में सहायक होगा।

राष्ट्रीय स्तर पर स्थिति

देशभर में इलेक्ट्रिक वाहनों और चार्जिंग स्टेशनों की स्थिति धीरे-धीरे सुधार हो रही है। ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी के आंकड़ों के अनुसार, भारत में इस समय 16,271 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन हैं। इनमें से अधिकांश चार्जिंग स्टेशन कर्नाटक (5059), महाराष्ट्र (3079), और दिल्ली (1886) जैसे राज्यों में हैं। इन राज्यों ने ईवी नीति को प्रभावी ढंग से लागू किया है और इसका लाभ दिख रहा है।

बिहार में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती संख्या यह दर्शाती है कि राज्य के लोग पर्यावरण-अनुकूल परिवहन को अपनाने के लिए तैयार हैं। लेकिन चार्जिंग स्टेशनों की कमी एक बड़ी बाधा है, जिसे दूर किए बिना इस क्षेत्र में प्रगति संभव नहीं है।

सरकार के पास एक सुविचारित योजना है, लेकिन इसे समय पर और प्रभावी ढंग से लागू करना सबसे बड़ी चुनौती है। यदि चार्जिंग स्टेशनों का निर्माण तेजी से किया जाता है और इलेक्ट्रिक वाहन नीति को सही तरीके से लागू किया जाता है, तो बिहार केवल प्रदूषण कम करने में योगदान देगा, बल्कि आर्थिक और पर्यावरणीय विकास के नए आयाम भी खोलेगा।

 

charging station electric vehicle Number of charging stations