झारखण्ड और बिहार में डायन कुप्रथा आज भी प्रचलित है. खासकर गांव के इलाके और उसके आस पास में ये कुप्रथा सदियों से जीवित है. माना जाता है कि जब मौसम बदलता है, ज्यादा बीमार होते हैं, साथ ही मौत का भी आंकड़ा बढ़ जाता है, तब डायन के नाम पर ज्यादा हिंसा के मामले उभर कर सामने आने लगते हैं.
देश के कुछ राज्य जो अभी विकास से थोड़े दूर हैं इन राज्यों में डायन, जादू-टोना करने वाली, चुड़ैल इन सब बातों पर महिलाओं के साथ हिंसा का मामला काफ़ी देखा जाता रहा है. कई बार ऐसे मामलों में गांव के ओझा शामिल होते हैं जो अंधविश्वास और काला जादू जैसी बातों को गांव के लोगों के बीच में फैलाते हैं.
अलीगंज,जमुई के असलम बताते हैं कि उनके घर के पास में एक चाची है, वो बड़ी बिंदी और लंबे बाल रखती है उसके साथ ही वो बहुत पूजा- पाठ करती है जिसकी वजह से गांव के कई लोग उन्हें डायन की नज़र से देखते हैं. चाची को लोग अपने घर के बच्चों से भी दूर रखते हैं. उन्हें और उनके परिवार के लोगों को गांव के किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं किया जाता है.
बिहार के लखीसराय से डेमोक्रेटिक चरखा के पत्रकार सोनू बताते हैं कि उनके गांव में पिछले दो सालों में डायन के नाम पर करीब 50 से अधिक महिलाओं के साथ हिंसा के मामले सामने आ चुके हैं. अकसर गांव में लोग शिक्षित नहीं होते और एक दूसरे की प्रगति से जलते हैं. सोनू के गांव में पैतालीस वर्षीय आशा कार्यकर्ता को डायन की नज़र से देखा जाता है. सोनू आगे बताते हैं कि इन सब मामलों में करवाई पुलिस बहुत कम ही करती है. ज्यादातर ऐसे मामले पंच और मुखिया से निपटाने का सुझाव दिया जाता रहा है.
राष्ट्रीय अपराध अनुसंधान (एनसीआरबी) की 2016 से 2021 की रिपोर्ट के अनुसार इन पांच सालों में झारखंड की 94 औरतों की हत्या डायन और जादू टोने करने वाली महिलाओं के नाम पर कर दी गई है, जो देश में बाकि दूसरे राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा है. एनसीआरबी के 2017 रिपोर्ट के उलट झारखंड पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि एक साल में इन घटनाओं में महिलाओं के हत्या की संख्या 41 थी.
डायन के नाम पर हिंसा इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि कई महिलाओं को हमेशा डर रहता है कि उन्हें समाज डायन घोषित करके हिंसा न करने लग जाए.
कई बार ऐसे मामलों में विधवा महिलाएं या ऐसी महिलाएं होती है जो किसी तरह से समाज में असहाय हो. कई बार किसी महिला की संपत्ति हड़पने और उसके वर्चस्व को दबाने के लिए किया जाता रहा है. झारखंड में मानवाधिकार के लिए काम करने वाली तारा बताती हैं “डेढ़ साल पहले सिमडेगा जिले की सोई मुर्मू (बदला हुआ नाम) को डायन बता कर जान से मारने की कोशिश की गयी थी हालांकि परिवार वालों ने बीच बचाव करके उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया. सोई मुर्मू के दो बेटों रमेश, राकेश को उसी रात गांव के लोगों ने सरिया से हत्या कर दी.”
तारा आगे बताती है “सिमडेगा जिले की बिसंगी (बदला हुआ नाम) सुबह खेत से घास काट कर अभी घर पहुंची ही थी कि तभी गांव के ग्राम सभा की महिलाओं का समूह उन्हें घर से उठा कर ग्राम सभा के चबूतरे तक ले जाती हैं और उनसे कहते है की तुम मानो की तुम डायन हो. ग्राम सभा की महिलाओं ने बिसंगी के बाल काट दिए साथ ही नग्न अवस्था में पूरे गांव में घुमाया. जिसके बाद महिला ने ग्राम सभा की महिलाओं के खिलाफ केस किया था. कोर्ट के आदेश के बाद महिला को मुआवजा दिया गया.”
गांव में अशिक्षा होने की वजह से लोग अक्सर जादू-टोना जैसी चीजों पर विश्वास करने लगते हैं. ये विश्वास इतना पक्का होता है कि लोग मिलकर किसी की जान भी ले लेते हैं. झारखंड में 66.41% की साक्षरता दर है जिसकी वजह से सरकार लोगों को, खासकर गांव की आबादी को जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाटक और दूसरे जागरूकता प्रचार के तरीके अपनाती रही है. झारखंड सरकार ने इसके लिए 1 करोड़ 20 लाख रुपए का फंड भी जारी किया है.
देश में डायन कहकर महिलाओं को प्रताड़ित करने वालों के खिलाफ करवाई का कोई केंद्रीय कानून नहीं है. हालांकि बिहार, झारखंड और उड़ीसा जैसे राज्यों में कानून बनाए गए हैं. बिहार और झारखंड दोनों ही राज्यों में 'डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम 1999' लागू है. झारखंड सरकार ने ये कानून 2001 में बिहार की तर्ज पर ही लागू किया.
महिला विकास निगम (समाज कल्याण विभाग) बिहार के अनुसार डायन प्रथा अधिनियम कहता है कि अगर कोई व्यक्ति या समाज किसी महिला को डायन के रूप में पहचान कर उसके साथ शारीरिक या मानसिक तौर पर प्रताड़ित करता है, उसे छः महीने की जेल या दो हज़ार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. झारखंड सरकार की आधिकारीक वेबसाइट के अनुसार राज्य को डायन कुप्रथा के मुक्त करने के लिए 'गरिमा परियोजना' की शुरुआत की गई थी. 'गरिमा परियोजना' के अंतर्गत राज्य के सात जिलों के 25 प्रखंडों के 342 ग्राम पंचायतों में ये योजना चलाई जा रही है. इस योजना में गांव में इस कुप्रथा के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है.