भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट में मांगी माफी, कोर्ट ने एक हफ्ते का दिया समय

सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भ्रामक विज्ञापन को लेकर याचिका लगाई है. जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने कंपनी को साथ दिनों का दिया है समय.

New Update
भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव

भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट में

भ्रामक विज्ञापन मामले में आरोपों का सामना कर रही पतंजली आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण और योग गुरु बाबा रामदेव (Baba Ramdev) मंगलवार 2 अप्रैल को कोर्ट में हाजिर हुए. भ्रामक विज्ञापन जारी करने के मामले में कोर्ट ने उन्हें आज हाजिर होने का आदेश दिया था. दोनों ने आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में माफी भी मांगा है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट उनकी इस माफी से संतुष्ट नहीं हुआ और फटकार लगाते हुए कहा ‘आप देश की सेवा करने का बहाना मत बनाइए.' 

Advertisment

सुप्रीम कोर्ट हो या देश की कोई भी अदालत, आदेश का पालन होना ही चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भ्रामक विज्ञापन को लेकर याचिका लगाई है. जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने इसी मामले पर आज सुनवाई की. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा ‘कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट’ का केस क्यों ना चलाया जाए

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पतंजलि ग्रुप (Patanjali) को फटकार लगते हुए कहा कि कंपनी ने आपने पिछले नोटिस का जवाब ही नहीं दिया. हम दस्तावेज देख रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि जवाब ना देने पर कंपनी और मैनेजमेंट के खिलाफ कंटेम्प्ट का केस क्यों ना चलाया जाए. कोर्ट ने बाबा रामदेव और दूसरे आरोपी का एफिडेविट भी मांगा.

Advertisment

पतंजलि की ओर से एडवोकेट बलवीर सिंह और एडवोकेट सांघी ने दलीलें रखीं. पतंजलि ने कहा- रामदेव कोर्ट में हैं, हम भीड़ की वजह से उन्हें कोर्ट में नहीं ला सके. इस पर जस्टिस अमानतुल्लाह ने कहा- ठीक है, कोई बात नहीं उन्हें बुलाइए, हम पूछ लेंगे.

जस्टिस हिमा कोहली ने कहा- हम यह स्वीकार नहीं करेंगे कि मीडिया डिपार्टमेंट को यह नहीं पता है कि कोर्ट में क्या चल रहा है, मानो ये कोई आईलैंड है. यह केवल जुबानी बातें हैं. दरअसल, पिछली सुनवाई में पतंजलि ने कहा था कि भ्रामक विज्ञापनों को कंपनी के मीडिया विभाग ने मंजूरी दी थी, जो नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट के दिए आदेश से अनजान थे.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने दायर की थी याचिका

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने 17 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया है. वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया है. कोविद के दौरान रामदेव बाबा ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता है.

आईएमए ने दिसंबर 2023 और जनवरी 2024 में प्रिंट मीडिया में जारी किए गए विज्ञापनों को भी कोर्ट के सामने पेश किया था. इसके अलावा 22 नवंबर 2023 को पतंजलि के CEO बालकृष्ण के साथ योग गुरु रामदेव की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के बारे में भी बताया. पतंजलि ने इन विज्ञापनों में मधुमेह और अस्थमा को 'पूरी तरह से ठीक' करने का दावा किया था.

ये प्रेस कॉन्फ्रेंस सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के ठीक एक दिन बाद की गई थी. 21 नवंबर 2023 को हुई सुनवाई में जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा था- पतंजलि को सभी भ्रामक दावों वाले विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा. कोर्ट ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपए तक जुर्माना लगा सकता है.

इससे पहले 2015 में भी कंपनी के आंवला जूस को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया गया था. जिसके बाद आर्मी ने अपने सारे कैन्टीन स्टोर्स डिपार्टमेंट (CSD) से पतंजलि के आंवला जूस को हटा दिया. वहीं हरिद्वार में लोगों ने पतंजलि घी में फंगस होने की शिकायत की थी. 2018 में भी FSSAI ने पतंजलि के मेडिसिनल प्रोडक्ट, गिलोय घनवटी पर एक महीने आगे की मैन्युफैक्चरिंग डेट लिखने के लिए फटकार लगाई थी.

वहीं इंस्टेंट आटा नूडल्स लॉन्च करने से पहले फूड सेफ्टी एंड रेगुलेरिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) से लाइसेंस नहीं लिया था. इसके बाद पतंजलि को फूड सेफ्टी के नियम तोड़ने के लिए लीगल नोटिस का सामना करना पड़ा था.

supreme court patanjali Baba Ramdev