झारखंड के पूर्व सीएम चंपई सोरेन 30 अगस्त को भाजपा में शामिल होंगे. आज दोपहर 2:00 बजे वह रांची लौटेंगे, जिसके बाद वह अपने मंत्री पद और झारखंड मूक्ति मोर्चा(JMM) से इस्तीफा दे सकते हैं.
झारखंड के पूर्व सीएम के भाजपा में शामिल होने की खबर असम सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने अपने सोशल मीडिया एक के जरिए साझा की. जिसके बाद चंपई सोरेन ने भी बीजेपी में शामिल होने का ऐलान कर दिया. सीएम पद से हटाए जाने के बाद से ही उनकी नाराजगी देखी जा रही थी. बीते दिन ही उन्होंने एक चिट्ठी जारी कर सीएम पद से इस्तीफा लिए जाने के तरीके को आत्मसम्मान पर चोट बताया था। हालांकि उनके JMM छोड़ने के पीछे की वजह सिर्फ सीएम पद नहीं थी. पार्टी छोड़ने का फैसला चंपई सोरेन ने क्यों लिया, यह उन्होंने खुद ही साफ किया है.
मंगलवार को उन्होंने एक्स के जरिए बताया कि राजनीति से संन्यास लेने के लिए कोल्हान क्षेत्र के नागरिकों ने मना किया. साथ ही राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठ बढ़ रहा है, घुसपैठियों को रोकने के लिए राज्य सरकार कोई कदम नहीं उठाती. मगर इस मुद्दे पर भाजपा गंभीर नजर आती है. चंपई सोरेन ने लिखा- जोहार साथियों,
पिछले हफ्ते (18 अगस्त) एक पत्र द्वारा झारखंड समेत पूरे देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थी. उसके बाद, मैं लगातार झारखंड की जनता से मिल कर, उनकी राय जानने का प्रयास करता रहा. कोल्हान क्षेत्र की जनता हर कदम पर मेरे साथ खड़ी रही, और उन्होंने ही सन्यास लेने का विकल्प नकार दिया.
पार्टी में कोई ऐसा फोरम/मंच नहीं था, जहां मैं अपनी पीड़ा को व्यक्त कर पाता तथा मुझ से सीनियर नेता स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से दूर हैं.
आज बाबा तिलका मांझी और सिदो-कान्हू की पावन भूमि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुका है. इस से दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं. इनकी वजह से फूलो-झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी माताओं, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है.
आदिवासियों एवं मूलवासियों को आर्थिक तथा सामाजिक तौर पर तेजी से नुकसान पहुंचा रहे इन घुसपैठियों को अगर रोका नहीं गया, तो संथाल परगना में हमारे समाज का अस्तित्व संकट में आ जायेगा. पाकुड़, राजमहल समेत कई अन्य क्षेत्रों में उनकी संख्या आदिवासियों से ज्यादा हो गई है. राजनीति से इतर, हमें इस मुद्दे को एक सामाजिक आंदोलन बनाना होगा, तभी आदिवासियों का अस्तित्व बच पाएगा.
इस मुद्दे पर सिर्फ भाजपा ही गंभीर दिखती है और बाकी पार्टियां वोटों की खातिर इसे नजरअंदाज कर रही है. इसलिए आदिवासी अस्मिता एवं अस्तित्व को बचाने के इस संघर्ष में, मैने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी एवं गृह मंत्री श्री अमित शाह जी के नेतृत्व में आस्था जताते हुए भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने का फैसला लिया है. झारखंड के आदिवासियों, मूलवासियों, दलितों, पिछड़ों, गरीबों, मजदूरों, किसानों, महिलाओं, युवाओं एवं आम लोगों के मुद्दों एवं अधिकारों के संघर्ष वाले इस नए अध्याय में आप सभी का सहयोग अपेक्षित है.
झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि दलों के विधायकों को तोड़ने की उनकी यह पुरानी नीति रही है. विपक्ष ने फिर से सरकार तोड़ो अभियान और विधायक तोड़ो अभियान शुरू किया है. ऐसा उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान किया था. बीजेपी और उसके नेता धर्म और समुदाय के नाम पर विभाजनकारी राजनीति में लिप्त हैं.