राजधानी पटना में अक्सर आपको राह चलते कई अटपटे पोस्टर्स लगे हुए नजर आ जाएंगे. यह पोस्टर्स राजनीतिक गलियारों से निकलकर सड़कों पर लोगों का ध्यान खींचने के लिए लगाए जाते हैं. अगर आप इन पोस्टर्स को ध्यान से देखेंगे तो कई बार राजनीतिक गलियारों की हलचल इन पोस्टर्स के जरिए झलक जाती है. पोस्टर वार भी खूब राजनीतिक पार्टियों के बीच में खेले जाते है.
बीते दिन ही नीतीश कुमार के पोस्टर में पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के शामिल ना करने पर बिहार से लेकर दिल्ली तक राजनीती गरमाई थी. इस पोस्टर का मतलब सभी के सामने जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में सामने आ गया था.
इन पोस्टर्स के बाजार में नई एंट्री बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी की हुई है. पटना में सुशील कुमार मोदी के जन्मदिन के मौके को लेकर पहले से ही पोस्टर लगाए जा रहे हैं. इन पोस्टर्स पर जिस तरह की बातें लिखी हैं उसको लेकर अब चर्चा होने लगी है.
सुशील मोदी बने संकटमोचक
दरअसल पोस्टर में सुशील मोदी को संकटमोचक बताया गया है. कई बार भाजपा में उनके योगदान और काम करने के तरीके से पार्टी को फायदा हुआ है, इसलिए उन्हें संकटमोचन बताया जा रहा है. सुशील मोदी ने कई मौकों पर महागठबंधन की सरकार को लेकर खुलासे किए हैं. उनके खुलासों से बिहार की राजनीति भी बदली है. सुशील मोदी ने लालू परिवार से लेकर सृजन घोटाले तक के मामले का खुलासा किया है.
राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी भाजपा के सीनियर लीडर है. 5 जनवरी को सुशिल कुमार मोदी का जन्मदिन है. इस उपलक्ष में पटना की सड़कों पर जन्मदिन की बधाई देते हुए उन्हें संकटमोचन हनुमान के तौर पर दिखाया जा रहा है. पोस्टर को "सुशील मोदी फैंस एसोसिएशन" बिहार की तरफ से लगाया गया है.
5 जनवरी को सुशील कुमार मोदी अपना 72वां जन्मदिवस मनाएंगे. भाजपा कार्यालय के बाहर सुशील मोदी के संकटमोचक रूप का बड़ा पोस्टर दूर से ही देखा जा सकता है.