7 दिसंबर से 15 दिसंबर तक बिहार के स्टेशनों को अगर आप देखते हैं, तो आपको लगता है जैसे राज्य में कोई पर त्यौहार मनाया जा रहा हो. राज्य के रेलवे, बस और हर सवारी गाड़ियों में खचाखच भीड़ थी. राज्य के जिन भी शहरों में आपको भीड़ देखने मिली होगी, आपको समझ जाना चाहिए था कि वहां बीपीएससी की शिक्षक भर्ती परीक्षा चल रही है.
जी हां बिहार लोक सेवा आयोग की तरफ से शिक्षक भर्ती परीक्षा का आयोजन 7 दिसंबर से 15 दिसंबर तक राज्य में कराया गया है. आज इस परीक्षा का आखिरी दिन है. 15 दिसंबर को शिक्षा विभाग, पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग और अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग के क्लास 11 और 12 के सभी सब्जेक्ट की परीक्षा आयोजित कराई गई है.
8 लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों ने किया आवेदन
1 लाख 22 हजार पदों को भरने के लिए इस भर्ती परीक्षा के फॉर्म को निकाला गया था, जिसके लिए देशभर से कुल 8,41,835 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है. बिहार में आयोजित हुए इस परीक्षा के लिए 555 परीक्षा केंद्र बनाए गए थे.
शिक्षक भर्ती परीक्षा पहले चरण से ही राज्य में सुर्खियों में रही. पहले चरण की परीक्षा में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले ने लाखों बीएड धारक अभ्यर्थियों को एक झटके में अयोग्य बता दिया था. जिससे देशभर के लाखों अभ्यर्थियों का शिक्षक बनने का सपना पिछले चरण में टूट गया था. परीक्षा के बाद बिहार सरकार ने राजधानी के गांधी मैदान में बड़ा कार्यक्रम कर शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटा.
इस्तीफा देने की होड़
दूसरे चरण की परीक्षा भी अपने सेंटर दूर होने की वजह से, परीक्षा के सख्त नियमों की वजह से काफी चर्चा में बनी रही. शिक्षक भर्ती की इस परीक्षा को लगातार विरोध झेलना पड़ा. परीक्षा के लिए डोमिसाइल को बिहार सरकार ने हटा दिया, इसके बाद राज्य में जमकर बवाल हुआ था. हालांकि सरकार ने अभी तक इसे वापस नहीं लिया है. बिहार के लाखों शिक्षक अभ्यर्थी इस बात से अब भी बिहार सरकार से नाराज है. उनका मानना है कि चट पट झट की सरकार बिहार के साथ- साथ अन्य राज्यों को लुभाने के लिए एक झांसा दे रही है.
हालांकि यहां देखना यह भी की दूसरे चरण की भर्ती के साथ ही पहले चरण के कई शिक्षकों ने इस्तीफा देना भी शुरू कर दिया है. एक तरफ जहां सरकार शिक्षकों के खाली सीटों को भर रही है तो दूसरी तरफ कई राज्यों के शिक्षक शिक्षा विभाग को अपना त्याग पत्र भी सौंप रहे है.