बिहार में एक महीने के अंदर 14 पुल गिरने की घटना हो गई है. अब ऐसा लग रहा है मानो राज्य में एक भी पुल नहीं बचेगा. राज्य में इतने पुल गिरने और बहने से जग हंसाई तो हो हीं रही है, लोगों के जान जाने का भी ख़तरा रहता है. राज्य में सिलसिलेवार तरीके से एक और पुल ने जल समाधि ले ली. बिहार के अररिया के फारबिसगंज में एक पुल पानी में बह गया. अमहारा पंचायत में गोपालपुर से मझुआ को जोड़ने वाला पुल पानी की धार में बह गया. बताया जा रहा है कि इस पुल का निर्माण 2017 में हुआ था. पुल को ग्रामीण विकास विभाग की ओर से बनवाया गया था.
ग्रामीणों ने पुल गिरने के बाद आरोप लगाया कि खस्ता हालत पुल के बारे में विभाग को सूचित किया गया था. मगर विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की.
एक और पुल गिरने के बाद लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने नीतीश सरकार को इसपर घेरा है. रोहणी आचार्य ने अपने एक्स के जरीए गठबंधन को भी निशाने पर लेते हुए लिखा कि, "गोली चलना घातक कैसे हुआ, अगर मौत नहीं हुई ! इसलिए कोई मामला नहीं बनता है".
बिहार का सत्ताधारी कुनबा बेशर्मों - बेगैरतों का जमावड़ा है. बिहार में लगातार गिर - धंस रहे पुल - पुलिया के मुद्दे पर बिहार सरकार व् श्री नीतीश कुमार जी के मंत्रियों व् सत्ताधारी गठबंधन से जुड़े लोगों की दलील व् सफाई बहुत ओछी व् हास्यास्पद है. कोई कहता है " ऐसा होना बिहार के लिए रूटीन अफेयर है ", कोई अपनी जिम्मेवारी से सिरे से पल्ला झाड़ते हुए दोष अधिकारियों - इंजीनियरों - निर्माण करने वाली कंपनियों - ठेकेदारों पर थोप देता है , कोई बचकाने तरीके से इन मामलों को या तो पूर्ववर्ती सरकार की नाकामी बताता है या फिर साजिश का एंगल दे देता है ..!!
बिहार की जगहँसाई हो रही है, फिर भी सरकार के बचाव में उतरे कुछ लोग बड़ी बेहयाई से कहते हैं " पुल का गिरना कोई गंभीर बात नहीं, बारिश ज्यादा होने की वजह से ऐसा हो रहा है, विपक्ष के द्वारा बेवजह इन / ऐसे मामलों को तूल दिया जा रहा है "....
तार्किक खोखलेपन व् बेशर्मी की हद है, इनकी दलीलों के मुताबिक " गोली तो चली , मगर सिर में लगने की बजाय पेट में लगी, गोली चलना घातक कैसे हुआ, अगर मौत नहीं हुई ! इसलिए कोई मामला नहीं बनता है और गोली चलने से रोकने की जिम्मेदारी वाला जवाबदेह नहीं है "... इस लहजे से देखा जाए तो शर्म भी शर्मसार है बिहार के सत्ताधारी कुनबे और उसके पक्षधरों के आगे ..
जिस सत्ताधारी कुनबे व् उसके अगुवा को मुजफ्फरपुर - महापाप को संरक्षण देने , देश के सबसे बड़े ट्रेजरी - घोटाले सृजन - घोटाले को अंजाम तक पहुँचाने , थेसिस चोरी के मामले में आरोपी साबित होने पर भी रत्तीभर शर्म नहीं आई, उससे ऐसे मुद्दे पर खेद जताये जाने व् गलती स्वीकारे जाने की उम्मीद करना भैंस के आगे बीन बजाने जैसा ही है.