बिहार में तीन हफ्तों के बाद भी पुल गिरने की घटनाएं रुक नहीं रही है. एक दर्जन से ज्यादा पुल अब तक बिहार में गिर चुके हैं, जिसमें इस बार बिहार के सहरसा जिले में पुल गिरने की घटना हुई है. सहरसा के महिषी प्रखंड के रोड नंबर 17 पर बनी एक पुलिया आंखों के सामने चंद सेकंड में ही ढक गई.
बुधवार को लोगों की आंखों के सामने सरडीहा चौक से बलिया सिमर, कुंदहा जाने वाली सड़क पुलिया ध्वस्त होकर पानी में बह गई. पुलिया के ध्वस्त होने से बलिया सिमर, कुंदहा सहित कई गांव से लोगों का आवगमन पूरी तरह से बंद हो गया है. जिला मुख्यालयों और प्रखंड मुख्यालयों से भी इलाके का संपर्क पुलिया टूट जाने से बंद हो गया है.
बिहार सरकार के जदयू कोट के मंत्री रत्नेश सदा के गृह पंचायत में ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा 2010 में इस पुल का निर्माण कराया गया था, जो बाढ़ का पानी बढ़ जाने के कारण बह गया. दरअसल बारिश के बाद कई नदियां उफान पर है जिसमें कोसी नदी भी अपना रूप दिखा रही है, कोसी के तेज बहाव को सड़क पुलिया झेल नहीं पाई और ढह गई.
घटना की जानकारी मिलने के बाद प्रखंड सीओ अनिल कुमार मौके पर पहुंचे, जहां उन्होंने बताया कि ग्रामीण कार्य विभाग और कार्यपालक अभियंता को घटना से संबंधित जानकारी दी गई है और लोगों की परेशानियों को दूर करने के लिए भी प्रयास किया जा रहा है.
मालूम हो कि बिहार में 18 जून को अररिया में बकरा नदी पर बना पुल ध्वस्त हो गया था. इसके बाद 22 जून को सिवान में गंडक नदी पर बना पुल बह गया. 23 जून को पूर्वी चंपारण में निर्माणाधीन पुल गिरा था, 27 और 30 जून को किशनगंज में पुल हादसे की घटना हुई थी. 3 जुलाई को सिवान और सारण में एक दिन में पांच पुल गिर गए थे. 4 जुलाई को फिर से सारण में पुल गिरने की घटना हुई. 7 जुलाई को पूर्वी चंपारण में बाढ़ के पानी में दो पुलिया बह गई थी.
राज्य में इतने पुल गिरने के बाद बिहार सरकार ने 15 इंजीनियरों को सस्पेंड कर दिया था और इसके बाद बिहार में पुलों के हेल्थ कार्ड की भी नीति लागू की थी, जिसमें पुल की गुणवत्ता को ध्यान में रखना, पुल का सर्वे करने इत्यादि निर्देश शामिल है.