झारखंड कांग्रेस के विधायक दल के दो नेताओं ने सीएम हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है. बीते सोमवार को पत्र लिखकर नेता रामेश्वर उरांव और प्रदेश अध्यक्ष केशव मेहता कमलेश ने लैंड बैंक और भूमि अधिग्रहण के संशोधित कानून को तुरंत रद्द करने की मांग रखी है. इन मांगों के अलावा दलित समुदायों के लिए जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने की प्रक्रिया को और सरल बनाते हुए सबको जाति प्रमाण पत्र देने की मांग भी की गई है. पत्र में भूमिहीन दलित परिवारों को जमीन पट्टा देने की मांग झारखंड कांग्रेस ने रखी है.
कांग्रेस के पत्र में लिखा गया कि रघुवर दास सरकार ने झारखंड के 22 लाख एकड़ सामुदायिक जमीन को लैंड बैंक में डाल दिया था. इसके लिए ग्राम सभा की सहमति भी नहीं ली गई थी. यह लैंड बैंक पेसा कानून का खुला उल्लंघन है. आदिवासियों में गांव की सामुदायिक भूमिका खास महत्व होता है.
पत्र में आगे लिखा गया कि पूर्व की भाजपा सरकार द्वारा लागू भूमि अधिग्रहण कानून झारखंड(संशोधन) 2017 के निजी व सरकारी परियोजनाओं के बिना ग्राम सभा की सहमति व बिना सामाजिक प्रभाव आकलन के बहु फसलीय भूमि समेत नीजी व सामुदायिक भूमिका जबरन अधिग्रहण करने का प्रावधान है, जो कि पेसा कानून का उल्लंघन है. इसलिए लैंड बैंक और भूमि अधिग्रहण कानून झारखंड (संशोधन) 2017 को तुरंत रद्द किया जाए.
कांग्रेस नेताओं ने पत्र के जरिए दलित समुदायों को जाति प्रमाण पत्र बनवाने में हो रही समस्याओं का भी जिक्र किया है. राज्य में भुइयां डोम, वाल्मीकि, बांसुर समेत 27 सूचीबद्ध अनुसूचित जाति व उपजाति हैं. जिनमें अधिकांश भूमिहीन है. लाखों दलित परिवारों के सदस्य जाति प्रमाण पत्र से भी वंचित है. इन्हीं के लिए कांग्रेस ने जाति प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया को सरल करने की मांग रखी है. साथ ही दलित परिवारों को पट्टे पर जमीन दिए जाने के लिए भी कांग्रेस ने आवाज उठाई है.