9 नवंबर को विधानसभा में जहां एक तरफ राज्य में आरक्षण बिल को पास किया गया. वहीं दूसरी तरफ एक और अजीबो गरीब मामला विधानसभा में मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के सुप्रीमो के बीच देखा गया.
सीएम नीतीश कुमार पहले से ही विवादों में घिरे हुए हैं और एक बार फिर से उन्होंने अपने बयान से सुर्खियां बटोर रहे हैं. दरअसल विधानसभा में पारित हुए आरक्षण संशोधन विधेयक पर चर्चा हो रही थी तब बिहार के पूर्व सीएम पर नीतीश कुमार भड़क उठे.
जीतन राम मांझी ने कहा कि जो जातीय गणना हुई है मुझे उसे पर भरोसा नहीं है. आरक्षण पर हर 10 साल में समीक्षा होती है, लेकिन क्या बिहार सरकार ने आरक्षण की समीक्षा धरातल की है. सरकार को उसे इसे देखना चाहिए.
अभी मांझी अपनी बात कह ही रहे थे तभी सीएम ने उन्हें बीच में टोका और कहा कि मेरी मूर्खता से यह सीएम बने थे, इन्हें राज्यपाल बनने की चाहत है. जिस पर मांझी ने पलटवार करते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने अपनी इज्जत बचाने के लिए मुझे मुख्यमंत्री बनाया था. यह मुझे रबर स्टैंप की तरह इस्तेमाल करना चाहते थे. मैंने इनके इशारों पर काम नहीं किया तो मुझे हटा दिया.
नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी के बीच की यह तिखी बहस के बाद विपक्ष ने भी हंगामा शुरू कर दिया.
नीतीश कुमार ने बहस के दौरान मांझी को बहुत कुछ सुना दिया. बीच में मंत्री विजय चौधरी ने उन्हें शांत कराने की कोशिश की लेकिन नीतीश कुमार लगातार बोलते रहें. उन्होंने कहा कि इनको कुछ आईडिया है. वह तो मेरी गलती है कि मैं इसे मुख्यमंत्री बना दिया. मेरी गदहाफहमी में यह सीएम बन गए. मांझी को कोई सेंस नहीं है.
नीतीश कुमार के इस बयान के बाद भुइया समाज के लोग लगातार नाराज़गी जाता रहे है.