गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस चुनावी साल में एक बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने आज चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड योजना की कानूनी व्यवस्था को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट ने अपना यह फैसला सुनाया है. यह फैसला आज मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के द्वारा सुनाया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि उसने केंद्र सरकार के चुनावी बॉन्ड योजना की कानूनी व्यवस्था को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया है, जो राजनीतिक दलों को गुमनाम फंडिंग की अनुमति देता है.
चुनावी बॉन्ड बेचने वाली बैंक स्टेट बैंक आफ इंडिया
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा है कि गुमनाम चुनाव में बॉन्ड योजना अनुच्छेद 19(1)ए के तहत सूचना के अधिकारों का उल्लंघन होता रहा है. राजनीतिक दल चुनावी प्रक्रिया में प्रासंगिक इकाइयां हैं और चुनावी विकल्पों की लिए राजनीतिक दलों की फंडिंग के बारे में जानकारी जरूरी है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि चुनावी बॉन्ड बेचने वाली बैंक स्टेट बैंक आफ इंडिया तीन हफ्तों के अंदर चुनाव आयोग के साथ सभी जानकारी को साझा करें.
शीर्ष अदालत ने बॉन्ड बेचने पर भी रोक लगा दी है. चुनाव आयोग को निर्देश देते हुए कोर्ट ने कहा है कि आयोग बैंक से जानकारी लेकर 31 मार्च तक सभी जानकारियां वेबसाइट पर साझा करें.
केंद्र सरकार ने 2 जनवरी 2018 को चुनावी बॉन्ड योजना को लागू किया था. इस योजना के तहत भारत का कोई भी नागरिक स्टेट बैंक आफ इंडिया के ब्रांच से चुनावी बॉन्ड को खरीद सकता है, इसके साथ ही कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर चुनावी बॉन्ड को खरीद सकता है.
दानकर्ता की दान राशि पर 100 प्रतिशत आयकर छूट
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29 ए के तहत रजिस्टर्ड राजनीतिक दल भी ऐसे चुनावी बॉन्ड के पात्र हैं. शर्त बस इतनी है कि उन्हें लोकसभा या विधानसभा के पिछले चुनाव में काम से कम एक प्रतिशत वोट हासिल हुए हो. चुनावी बॉन्ड को किसी राजनितिक दल द्वारा केवल अधिकृत बैंक के खाते के माध्यम से भुनाया जाएगा.
स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया में बॉन्ड को 1000, 10000, 10 लाख, 1 करोड़ रुपए के समान बेचता है. इसके साथ ही दानकर्ता दान की राशि पर 100 प्रतिशत इनकम टैक्स की छूट पता था. इस नियम के तहत राजनीतिक दलों को इस बात की भी छूट दी गई थी कि वह दानकर्ता के नाम और पहचान को छुपा कर रख सकते हैं.
चुनावी बॉन्ड लागू होने के बाद इसका भरपूर विरोध देखा गया था. कांग्रेस पार्टी के नेता जया ठाकुर, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और कई गैर सरकारी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड के खिलाफ याचिका दायर की थी. इस कानून पर बीते साल 31 अक्टूबर को सुनवाई हुई थी, 3 दिन चली सुनवाई के बाद 2 नवंबर 2023 को अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. उस फैसले को 15 फरवरी 2024 को सुनाते हुए कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को ही गैरकानूनी कर दिया.