बिहार के पूर्णिया सांसद पप्पू यादव की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है. एक तरफ जहां उन्हें कई बार जान से करने की धमकी मिल रही है, तो वहीं दूसरी तरफ उनके गिरफ्तारी की तलवार भी लटकी हुई है. पप्पू यादव की गिरफ्तारी न होने पर गाजीपुर की अपर सत्र न्यायाधीश एमपी/एमएलए शक्ति सिंह की अदालत ने सख्ती दिखाई है. कोर्ट ने मुहम्मदाबाद प्रभारी निरीक्षक को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को तय की गई है.
दरअसल 8 नवंबर 1993 को मुहम्मदाबाद थाने के तत्कालीन थाना अध्यक्ष बीएन सिंह ने मुकदमा दर्ज कराया था. उन्हें जानकारी मिली थी कि बिहार के दो विधायक पप्पू यादव और उमेश पासवान अपने साथ काफी संख्या में तत्वों को लेकर उत्तर प्रदेश में अपने विरोधी राजनीतिक दलों के चुनावी सभा में गड़बड़ी करने जा रहे हैं. दोनों विधायक उजियार घाट की ओर से जाने वाले थे. इस मामले में पुलिस ने आरोप पत्र मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट के न्यायालय में पेश किया. जहां विचारण के बाद मजिस्ट्रेट न्यायालय ने पूर्व में सभी आरोपियों को 31 जुलाई 2023 को दोष मुक्त कर दिया था.
जिला जज की अदालत ने मामले को एमपी/एमएलए की अदालत में सुनवाई के लिए भेजा था. इस मामले में सांसद पप्पू यादव सहित 11 लोगों के विरुद्ध गैर जमानती वारंट 22 अक्टूबर को जारी किया गया. जिसमें 10 आरोपी मुकदमे में हाजिर हो गए और वारंट को निरस्त करा लिया गया. लेकिन पूर्णिया सांसद पप्पू यादव हाजिर नहीं हुए. इसको लेकर न्यायालय ने आदेश दिया कि उनकी गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाए. लेकिन अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई, जिस पर कोर्ट ने सख्त रूप दिखाते हुए मुहम्मदाबाद प्रभारी निरीक्षक को स्पष्टीकरण देने बुलाया है.