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देश भर में विपुलत होते ग्रामीण क्षेत्र और बढ़ते शहरीकरण और जनसंख्या की वृद्धि होने के कारण सार्वजानिक स्थानों में कमी होने लगी है. पार्क, खेल परिसर जो कि हमारे रोज़मर्रा जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, वो धीरे-धीरे ख़त्म होने की ओर बढ़ रहे हैं. इससे बच्चो की खेल गतिविधियां, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ में विकार उत्पन्न होने की संभावनाएं बन रही है.
बिहार में निर्माण की गति इतनी है कि सार्वजानिक स्थानों की कमी होती जा रही है. बड़ी-बड़ी इमारतें, छोटे-छोटे बच्चों के खेल की दुनिया को प्रभावित कर रही है. बच्चे चार दीवारों के बीच ही सीमित होते जा रहे है. मोबाइल फ़ोन में लगे रहते हैं और बाहरी दुनिया से अंजान होते चले जाते हैं. वो बाहर की परिस्थिति से अपरचित होते जा रहे हैं और असामाजिक होते जा रहे हैं.
शहरी नियोजन अध्यन के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के पास 10 वर्ग मीटर सार्वजानिक स्थान होना चाहिए, इसका मतलब है कि हर व्यक्ति के पास कम से कम 10 वर्ग मीटर खुला स्थान होना चाहिए. पर आज की स्थिति ऐसी है कि लोग अपने घर के बगल में 10 मीटर जमीन भी नहीं छोड़ना चाहते.
बिहार के विकास में ख़त्म होते मैदान
बिहार सरकार ने हाल- फिलहाल में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए और नागरिकों की सुविधा को बढ़ाने के लिए बहुत सारे आधारभूत संरचना किये हैं. जिसमें पटना मेट्रो का काम ज़ोरो-शोरो से चल रहा है. हालांकि पूरे राज्य में पटना मेट्रो, डॉलफिन सेंटर, बापू टावर, दरभंगा एअरपोर्ट, बख्तियारपुर-मोकामा फ़ोर लेन, मोकामा रेल ब्रिज, मीठापुर महुली रोड, मरीन ड्राइव फेज-3, समाहरणालय पटना जैसे काम चल रहे हैं. हाल ही में पटना के नगर निगम ने आर-ब्लॉक के ओवरब्रिज के नीचे एक स्पोएर्ट्स क्लब बनाया ताकि पटना जिले के लोग इसमें अभ्यास कर सके. मुंबई- दिल्ली जैसे शहरो में ये आम बात थी, पर पटना में पहली बार नगर निगम ने स्पोर्ट्स क्लब बनाया और ओवरब्रिज के नीचे खाली जगहों को अतिक्रमण मुक्त किया.
धीरे-धीरे ख़त्म होता जा रहा है खेल का मैदान
पटना में आज-कल सार्वजानिक स्थानों की कमी बढ़ती जा रही है. पटना धीरे-धीरे विकास तो कर रहा है, लेकिन उस विकास के कारण सार्वजानिक जगह यानी स्टेडियम और प्लेग्राउंड कम होते जा रहे हैं. पटना विश्वविद्यालय के पटना साइंस कॉलेज में सबसे बड़ा खेल का मैदान है, पर मेट्रो की काम की वजह से वो खेल परिसर भी आधा हो गया है. वहीं आर-ब्लॉक में भी जो स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बना है उसने भी ज़मीन को अतिक्रमण कर लिया.
आज जब डेमोक्रेटिक चरखा की टीम ने स्पोर्ट्स क्लब का जायज़ा लिया तो वो बंद पड़ा था. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक पटना में जो फुटबॉल टीम सुब्रतो कप, बिहार ट्रांसपोर्ट की टीम मोहन बगान और मोहम्डन स्पोर्स क्लब की टीम थी वो अब मैदानों की कमी के कारण नहीं बन पा रही है.
एक वक्त में जब पटना फुटबॉल टीम का देश भर में नाम था आज उसका नामो-निशान भी नहीं है. पाटलिपुत्र गोलम्बर के पास भी ख़ाली मैदान की यही हालत है. कूड़े-कचड़े, गाड़ियों की अवैध पार्किंग, मेला और बाज़ारों का अतिक्रमण होने से वहां भी जनता को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. ख़ास तौर से उन खिलाड़ियों को जो अकादमी जाकर पैसे जमा कर खेलने में असमर्थ है.
पटना साइंस कॉलेज की स्तिथि
इस संदर्भ में डेमोक्रेटिक चरखा की टीम ने पटना साइंस कॉलेज के कुछ छात्रों से बातचीत की. डेमोक्रेटिक चरखा की टीम ने यह जानने की कोशिश की कि साइंस कॉलेज में पटना मेट्रो का अतिक्रमण होने के कारण खिलाड़ियों को किस-किस परेशानी से गुजरना पड़ा. इसी संदर्भ में टीम ने मैथ्स विभाग के पूर्व छात्र सन्नी कुमार से बात की जो पटना साइंस कॉलेज के 2021-24 बैच के विद्यार्थी रह चुके हैं. उनसे बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि जब पटना मेट्रो का काम शुरू नहीं हुआ था वो तब से वहां हैं.
उनका कहना है कि "पहले सब कुछ सही था पर जैसे ही पटना मेट्रो का काम शुरू हुआ तो मैदान का 40 प्रतिशत हिस्सा कब्जा कर लिया गया. हालांकि पटना साइंस कॉलेज का मैदान काफ़ी बड़ा था और उसमे इंटर कॉलेज मैच भी होते थे."
सन्नी कुमार ने आगे बताया कि "मेरी एथेल्ट्स और कब्बड़ी में रुचि थी. पटना मेट्रो का अतिक्रमण जहां से शुरू हुआ है वही वो लोग खेलते थे, क्योंकि वहां की मिट्टी अच्छी थी और खेल के अनुसार सही थी. पर जब काम शुरू हुआ तो उनका खेलना भी बंद हो गया."
वो आगे कहते है कि वो राष्ट्रीय स्तर पर खेलना चाहते थे पर मेट्रो के कारण उनके अभ्यास में बाधा आई. वो कहीं अकादमी में जाकर पैसे देकर नहीं खेल सकते थे, तो अंततः उन्हें अपना खेल छोड़ना पड़ा. उन्होंने कहा कि पहले एथलेटिक का ट्रैक कॉलेज के मैदान में बना हुआ था पर मेट्रो का काम शुरू होने के बाद ट्रैक बनाने का जगह नहीं बची. उन्होंने कहा कि विकास होने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र में कमी आएगी ही.
इसी संदर्भ में डेमोक्रेटिक चरखा की टीम ने पटना साइंस कॉलेज के शारीरिक शिक्षक मोहम्मद जावेद ख़ान से बातचीत की. उन्होंने कहा कि मेट्रो का काम ख़त्म होने के बाद साइंस कॉलेज का ग्राउंड पहले जितना बड़ा हो जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि पूरे बिहार में ग्राउंड के नाम पर ठगी हुई है, जिसमे पटना का गांधी मैदान भी इसका शिकार हुआ है। उन्होंने कहा कि पहले गांधी मैदान में बहुत तरीके के खेल होते थे पर अब वहां सिर्फ मेला ही लगता है।
आर-ब्लॉक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स की हालत
गत वर्ष आर ब्लॉक के ब्रिज के नीचे नगर निगम ने एक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनाया था. यहां क्रिकेट और बैडमिंटन खेलने का कोर्ट बनाया गया. शुरूआती दौर में वहां बड़े- बड़े दिग्गज भी खेलने आया करते थे. अब उसकी हालत यह है कि वो अक्सर बंद ही पड़ा रहता है.
इसी मामले में डेमोक्रेटिक चरखा की टीम ने पटना नगर निगम की पीआरओ श्वेता भास्कर से बातचीत की. उन्होंने बताया कि आर ब्लॉक के ब्रिज के नीचे जो स्पॉट्स कॉम्प्लेक्स बने है, वो बंद नहीं हैं, वो स्कूल के बच्चो को खेलने के लिए दिया जाता है. इसमें स्लॉट बुक होते हैं ताकि दो पक्षों के बीच समय का टकराव ना हो. उन्होंने कहा कि वो दिन में साफ़- सफाई के लिए बंद करते हैं और वहां खेलने के लिए कोई पैसा नहीं लिया जाता. उन्होंने आगे कहा कि स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स के निर्माण से पहले वहां कूड़ा स्थल हुआ करता था, इसलिए उसका पुनः निर्माण करके उसे स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में तब्दील किया गया है. स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स सार्वजनिक उपयोग के लिए ही है, बस उसे व्यवस्थित तरीके से रखने के लिए बुकिंग सिस्टम को रखा गया है. उन्होंने यह भी कहा कि आर-ब्लॉक का स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स एक परीक्षण था और साथ ही वो और भी चीजों पर काम कर रहे हैं जैसे, शौचालय बना रहे है और आगे और भी चीजों का निर्माण होगा.