सरकार की महत्वपूर्ण मुफ्त राशन वितरण योजना जिन पीडीएस(PDS) दुकानदारों के माध्यम से चलाई जा रही है, वह एक बार फिर बाधित होने वाली है. आगामी एक जनवरी से देशभर के लगभग 5 लाख पीडीएस(PDS) दुकानदार एक साथ अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाने वाले हैं. पीडीएस(PDS) दुकानदारों के हड़ताल(PDS shopkeepers on strike) पर जाने के कारण एक बार फिर उन गरीबों को भूखे पेट सोना पड़ सकता है, जो सरकार की मुफ्त राशन योजना के कारण ही एक समय भरपेट भोजन कर पाते हैं.
जनवरी 2023 की शुरुआत में भी बिहार के लगभग 55,000 हजार पीडीएस(PDS) दुकानदार हड़ताल पर चले गये थे. हालांकि अधिकारियों के आश्वासन के बाद दुकानदारों से हड़ताल समाप्त कर दिया था. हालांकि बीते 12 महीनों में मांग पूरा नहीं किये जाने के कारण पीडीएस दुकानदार वापस हड़ताल पर जाने वाले हैं.
'वन नेशन, वन कार्ड' के तर्ज पर 'वन नेशन, वन कमिशन' की मांग
डीलरों का कहना है जब सरकार गरीब जनता के लिए पूरे देश में 'वन नेशन, वन राश कार्ड चलाती है, तो पीडीएस दुकानदारों के लिए 'वन नेशन, वन कमीशन'(One Nation One Commission) का नियम क्यों नहीं लागू करती है?
कटिहार के मिर्चायबाड़ी में पीडीएस दुकान चलाने वाले अनिल पासवान कहते हैं कि “देश के अलग-अलग राज्यों जैसे- दिल्ली में राशन डीलर्स को 200 रुपये प्रति क्विंटल, हरियाणा में 200 रुपये प्रति क्विंटल, हिमाचल प्रदेश में 143 रुपये प्रति क्विंटल, महाराष्ट्र में 180 रुपये प्रति क्विंटल, गुजरात में 150 रुपये प्रति क्विंटल और गोवा में 250 रुपये प्रति क्विंटल कमीशन दिया जाता है. ऐसे में बिहार के राशन डीलरों को मात्र 90 रुपये प्रति क्विंटल कमीशन दिया जाना कहां से सही है.”
अनिल पासवान पीडीएस दुकानदार संघ के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. वे कहते हैं कि “प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते केंद्र सरकार से हमारी 16 सूत्री मांग है. देश के अन्य राज्यों की तरह बिहार के पीडीएस डीलरों को भी मानदेय दिया जाए और प्रति क्विंटल मिलने वाले कमीशन बढ़ाया जाए. हमारी मांग है कि बिहार के डीलरों को 300 रूपए प्रति क्विंटल कमिशन दिया जाए.”
वर्तमान में बिहार में डीलरों को सिर्फ 90 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से कमीशन मिलता है. जबकि इससे पहले डीलरों को 70 रूपए प्रति क्विंटल ही कमीशन मिलता था जो देश के अन्य राज्यों के मुकाबले काफी कम है.
अनिल कहते हैं “गुजरात के पीडीएस दुकानदारों को अभी कमीशन के साथ 30,000 रूपए अलग से मानदेय भी दिया जा रहा है. इस बार हमारी बिहार सरकार से मांग है कि गुजरात की तर्ज पर बिहार में भी 30,000 रूपया मानदेय दिया जाए.”
खर्च निकालना होता है मुश्किल: पीडीएस(PDS) दुकानदार
पीडीएस(PDS) दुकानदारों का कहना है कि अनाज भंडारण के भवन का किराया, बिजली बिल का किराया और मजदूरों का किराया इसी 90 रूपए क्विंटल में निकालना पड़ता है. दुकानदार बताते हैं तेजी से अनाज तौलने और बांटने के लिए कम से कम 3 मजदूर रखना पड़ता है, जिसकी भरपाई इतनी कम राशि में करना मुश्किल है.
डीलरों की हड़ताल में शामिल कटिहार के रहने वाले बिनोद कुमार बताते हैं “पहले एक किलो अनाज बांटने पर 70 पैसा ही मिलता था. इसे 70 पैसा से बढ़ाकर 90 पैसा किया गया. मान लीजिए एक महीने में 70 से 80 क्विंटल अनाज उठेगा तो उसमें आपको 7200 रुपया मिलेगा. अब इसी में अनाज भंडारण के लिए गए रूम का किराया, बिजली बिल का खर्च, नापने वाला वर्कर का खर्च और खुद का बचत भी निकालना पड़ता है.”
मशीन मरम्मती का खर्च भी खुद उठाना पड़ता है
स्टेशनरी और पॉस मशीन के मरम्मती पर होने वाले ख़र्च पर अनिल बताते हैं “पॉस मशीन की शुरुआत 2019 में किया गया था. उस समय जो मशीन मिला था वह चार साल पुराना हो गया है और उसमें सर्वर भी धीमा रहता है क्योंकि वह 4जी था. मशीन खराब होने पर जिला कोऑर्डिनेटर डीलरों से मरम्मती के लिए 6500 से 8500 तक मांगते हैं. हमारी मांग है मरम्मती मुफ्त में किया जाए साथ ही काम में तेजी के लिए हमें 5जी पॉस मशीन दिया जाए.”
बीमारी या मृत्यु होने पर आश्रित को मिले लाइसेंस
डीलरों की मांग है कि उन्हें सप्ताह में एक दिन की छुट्टी दी जाए. साथ ही गंभीर बीमारी या मृत्यु की घटना होने पर परिवार के किसी सदस्य को सहमति के साथ लाइसेंस दिया जाए.
डीलर बताते हैं पहले उन्हें प्रत्येक सप्ताह सोमवार को छुट्टी मिलता था, जिससे उन्हें भी आराम करने का अवसर मिल जाता था. लेकिन अब उन्हें महीने में 30 दिन दुकान खोलना पड़ता है. वहीं दुकान सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक खोलने का नियम है. लेकिन सर्वर धीमा होने के कारण उन्हें अक्सर शाम तक दुकान पर रुकना पड़ता है.
डीलरों ने 2020 से 2023 के बीच अनाज वितरण पर मिलने वाले बकाया मार्जिन राशि के समूचे भुगतान की मांग की है. साथ ही राज्य खाद्य निगम से साल 2013 से 2020 तक की बकाया राशि भुगतान करने की मांग रखी है.
वहीं कोरोना से मृत हुए डीलर को मुख्यमंत्री राहत कोष से मिलने वाले 4 लाख रूपया मुआवजा दिया जाए. साथ ही मृतक के परिवार से किसी व्यक्ति को शैक्षणिक योग्यता के आधार पर नौकरी दिया जाए.
मुफ्त में राशन बांटने की योजना कैसे होगी सफल?
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की शुरुआत कोरोना महामारी के दौरान की गयी थी. इस योजना के तहत पीडीएस के माध्यम से पहले से प्रदान किये जा रहे 5 किलोग्राम अनुदानित अनाज के अलावा, प्रत्येक व्यक्ति को 5 किलोग्राम अतिरिक्त अनाज (गेहूं या चावल) मुफ्त में उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था.
महामारी के दौरान योजना तीन महीने अप्रैल, मई और जून 2020 के लिए लाया गया था, जिसमें कुल 80 करोड़ राशन कार्डधारक शामिल थे. बाद में इसे सितम्बर 2020 तक बढ़ा दिया गया.
जून 2021 में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) 2.0 की शुरुआत की गयी थी. अबतक आठ अलग-अलग चरणों में इसे बढ़ाया जा चूका है. आठवें चरण की समाप्ति इसी वर्ष दिसंबर 2023 में होने वाली थी. लेकिन उससे पहले, नवंबर महीने में छत्तीसगढ़ में चुनावी रैली के दौरान पीएम मोदी ने इसे अगले पांच साल तक के लिए बढ़ा दिया है.
हालांकि सरकार कि मुफ्त राशन देने की यह योजना तभी सफ़ल हो सकती है, जब डीलर संतुष्ट और घाटे से मुक्त होंगे. जब डीलर घाटे की बात कहकर हड़ताल पर रहेंगे तब गरीबों को मुफ्त अनजा कहां से मिलेगा?