झारखंड के दर्जनों आंगनबाड़ी केंद्रों पर शनिवार को ताला लग गया है. राज्य में आंगनबाड़ी सेविका- सहायिकाओं ने हड़ताल कर दी है, जिस कारण आंगनबाड़ी सेवा पूरी तरह से ठप हो गई है. आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आज हड़ताल बुलाई है. बीते कई महीनों से यह सभी प्रदर्शन कर रही है. बुधवार को भी सेविकाओं ने राज्य के सभी जिलों में मशाल जुलूस निकालकर सरकार के खिलाफ आक्रोश जताया था. मांगे नहीं माने जाने के बाद आज से एक बार फिर यह सभी हड़ताल पर चली गई है. आज की हड़ताल के कारण कई बच्चों को पोषण आहार नहीं मिल पाएगा. इसके अलावा 6 साल से कम उम्र वाले बच्चों को टीकाकरण भी आंगनबाड़ी केंद्रों पर नहीं दिया जाएगा.
आंगनबाड़ी में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की देखरेख भी की जाती है. नवजात शिशुओं और नर्सिंग मां की भी देखभाल इन्हीं सेविकाओं- सहायिकाओं के कंधों पर होती है.
राज्य की आंगनबाड़ी सेविकाओं की मांग है कि विभाग की ओर से जारी सेवा शर्त नियमावली आवश्यक संशोधन करते हुए समय पर मानदेय वार्षिक वृद्धि का लाभ दिया जाए. सहायक अध्यापक के तर्ज पर सेविका-सहायिकाओं के लिए मानदेय का प्रावधान हो. मानदेय का केंद्रीय एवं राज्य के अंश का भुगतान एक साथ प्रति माह नियमित समय पर किया जाए. सेवानिवृत्ति का लाभ जैसे ग्रेच्युटी व पेंशन आदि का भुगतान महिला पर्यवेक्षिका की बहाली के नियमों में संशोधन कार्यरत सेविकाओं को प्राथमिकता दिया जाए.
झारखंड में अभी 38 हजार आंगनबाड़ी सेविका और सहायिकाएं काम कर रही हैं, जिनके हड़ताल पर जाने से आंगनबाड़ी सेवा पूरे राज्य में प्रभावित हो रही है. गौरतलब है कि 23 सितंबर को सेविका और सहायिकाओं ने सीएम हाउस का घेराव भी किया था, उस समय इन्हें गिरिडीह के विधायक कुमार सोनू ने आश्वासन देते हुए हड़ताल बंद करवा दी थी. विधायक ने कहा था कि 27 सितंबर की बैठक में आंगनबाड़ी सेविकाओं के मुद्दों को रखा जाएगा, मगर बैठक में ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया.