भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव को नहीं मिली राहत, SC ने क्यों कहा कार्रवाई के लिए रहें तैयार

भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दूसरी बार, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के मफिनामें को ठुकरा दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा माफ़ी कागज पर हैं, इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है.

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भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव

बाबा रामदेव को नहीं मिली राहत

भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दूसरी बार, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के मफिनामें को ठुकरा दिया है. जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानुल्लाह की बेंच ने  पतंजलि (Patanjali) को फटकार लगाते हुए कहा आपने जानबूझकर कोर्ट के आदेश का अपमान किया है, कार्रवाई के लिए तैयार रहे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा माफ़ी कागज पर हैं इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है. 

वहीं बाबा रामदेव (Baba Ramdev) और आचार्य बालकृष्ण की ओर से बहस कर रहे वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि रामदेव और बालकृष्ण बिना शर्त माफ़ी मांग रहे हैं. 

कोर्ट ने इस मामले में उत्तराखंड सरकार को भी फटकार लगाते हुए कहा उन्हें कानून का पालन करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा- सरकार को उन तीनों अफसरों को तुरंत सस्पेंड करना चाहिए जो इस मामले में चुप रहे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून और कोर्ट के आदेश का उल्लंघन का मामला है. समाज में संदेश जाना चाहिए कि कोर्ट के आदेश का उल्लंघन ना हो.

कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को तय की है.

IMA ने दायर की थी याचिका 

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने 17 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया है. वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया है.

हालांकि 21 नवंबर, 2023 को पतंजलि ने कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वो ऐलोपेथी की प्रभावकारिता या मेडिसिन की किसी भी शाखा के ख़िलाफ़ कोई बयान या दावा नहीं करेगी. लेकिन इसके बाद भी दिसंबर, 2023 और जनवरी 2024 में उन्होंने ऐसा ही विज्ञापन जारी कर दिया.

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