बिहार विधानसभा शीतकालीन सत्र(Bihar Assembly session) के दूसरे दिन राज्य सरकार ने जाति आधारित आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट सदन में पेश की. बीते कई दिनों से राज्य में जाति आधारित सर्वे की रिपोर्ट को लेकर हंगामा मचा हुआ था.
रविवार को केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुजफ्फरपुर में जातीय गणना की रिपोर्ट को लेकर सवाल उठाए थे. राज्य की विपक्षी पार्टियों ने जातीय गणना की रिपोर्ट पर लगातार हावी होते हुए बिहार सरकार को घेरा है.
बिहार जातीय गणना की आर्थिक रिपोर्ट के मुताबिक सामान्य वर्ग 25.09%
इसी बीच मंगलवार को विधानमंडल के दोनों सदनों में नितेश-तेजस्वी की सरकार ने जातीय गणना की आर्थिक कॉपी पेश की है. जातीय गणना(bihar caste census) की आर्थिक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में पिछड़ा वर्ग के 33.5 16 प्रतिशत, सामान्य वर्ग के 25.09 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के 33.58 प्रतिशत, एससी वर्ग के 42.23 प्रतिशत और एसटी वर्ग के 42.7 प्रतिशत गरीब परिवार रहते हैं.
वही जनरल कैटेगरी में भूमिहार के सबसे ज्यादा 25.32 प्रतिशत लोग गरीब हैं. सामान्य वर्ग में ब्राह्मण में 25.3 प्रतिशत परिवार गरीब है. राजपूत में 24. 89 प्रतिशत पविवार और कायस्थ में 13.83 प्रतिशत परिवार गरीब है.
बिहार में गरीब लोगों की संख्या 94 लाख से ज्यादा
सत्र के दूसरे दिन सभी विधायकों को जातीय गणना की आर्थिक रिपोर्ट(Economic data) की कॉपी बांटी गई. आर्थिक रिपोर्ट जारी होने के बाद तो यह बात सामने आई है कि राज्य में गरीब लोगों की संख्या 94 लाख से ज्यादा है.
भाजपा लगातार कल से ही जातीय गणना, इजराइल-फिलिस्तीन वॉर को लेकर हंगामा कर रही है. यह हंगामा आज भी सदन में जारी रहा. आज भाजपा आंगनबाड़ी सेविकाओं के मुद्दे पर सदन में हंगामा कर रही थी. हंगामा के बीच में सदन की कार्रवाई को 12:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है.