बिहार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने विपक्ष को डोमिसाइल पर करारा जवाब दिया है. मुख्य विपक्षी पार्टी राजद की तरफ से लगातार डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग हो रही है, जिस पर शिक्षा मंत्री ने जवाब देते हुए ऐलान किया कि राज्य में जो डोमिसाइल नीति पहले से लागू है वही आगे भी लागू रहेगी. राज्य में शिक्षक नियुक्ति और अन्य नियुक्तियों में अधिकतर नियुक्तियां बिहार से हुई है. वहीं कुछ नियुक्तियां दूसरे राज्यों से हुई है.
बिहार में शिक्षक भर्ती परीक्षा में खासतौर पर डोमिसाइल को लेकर विरोध होता रहा है. इसे शिक्षक अभ्यर्थियों और मुख्य विपक्षी पार्टी की तरफ से भी मुद्दा बनाया गया है. राजद ने इसे लेकर कई बार सियासी मांग उठाई है. हालांकि बिहार में महागठबंधन की सरकार के समय शिक्षक नियुक्तियों के दौरान डोमिसाइल नीति लागू नहीं थी. जब राजद सत्ता से बाहर हुई तब उसने डोमिसाइल नीति की मांग शुरू कर दी.
तत्कालीन महागठबंधन की सरकार में मुख्य सचिव आमिर सुबहानी और शिक्षा विभाग के प्रमुख केके पाठक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि देश के संविधान में किए गए प्रावधानों के अनुसार किसी भी नागरिक को उसके जन्म स्थान, निवास के आधार पर अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है.
मौजूदा शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि डोमिसाइल पर कौन क्या कह रहा है, इस पर ध्यान तरीके की जरूरत नहीं है. बिहार में अधिकतर नौकरियों में राज्य के ही युवा है.
बता दें कि डोमिसाइल नीति के तहत राज्य की परीक्षाओं में केवल राज्य के निवासी आवेदन कर सकते हैं. इसमें नाबालिक होने पर माता-पिता को राज्य का निवासी होना जरूरी है. जबकि विवाहित महिलाओं के पति का राज्य निवासी होना अनिवार्य है.