बिहार में एक के बाद एक दर्जनों पुल गिरने का नया रिकॉर्ड दर्ज किया गया. लगातार ढहते इन पुलों को लेकर नीतीश सरकार की खूब फजिहत हुई थी. बीते 3 महीने से पुलों के गिरने का यह सिलसिला चल रहा है, जिसमें अब सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है. नीतीश सरकार के जल संसाधन विभाग की ओर से पुल निर्माण के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर(एसओपी) तैयार किया गया है.
जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि अब इस एसओपी के मानक के आधार पर ही बिहार में पुल-पुलियों का निर्माण कराया जाएगा. पुल और पुलियां दोनों ही स्ट्रक्चर के लिए जल संसाधन विभाग से एनओसी लेना होगा. वही एसओपी बनने के बाद पुल-पुलियों के डिजाइन की स्वीकृति भी लेनी अनिवार्य होगी. बिना नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट एनओसी के राज्य में पुलों का निर्माण नहीं होगा.
बिहार सरकार ने इसके पहले भी पुलों के रखरखाव के लिए ब्रिज मेंटेनेंस पॉलिसी लागू की थी. साथ ही पुलों के हेल्थ कार्ड बनाने और रख रखाव के लिए विशेष विभाग के गठन को भी मंजूरी दी थी. इस विभाग के प्रमुख मुख्य अभियंता को बनाया जाएगा. पुलों की नियमित इंजीनियरों से जांच भी कराई जाएगी, जिसे कागजों पर ही नहीं बल्कि वीडियो रिकॉर्डिंग और तस्वीरों के साथ कराया जाएगा.
बिहार में 17 दिनों में 11 पुल गिरने की घटना हुई थी. जिसकी शुरुआत 18 जून को अररिया के सिकटी में बकरा नदी पर बना रहे पुल गिरने से हुई थी. 22 जून को सिवान के महाराजगंज, 23 जून को मोतीहारी के घोड़ासन, 27 जून को किशनगंज के बहादुरगंज, 28 जून को मधुबनी में भूतही नदी, 3 जुलाई को सिवान में छोटे-बड़े तीन पुल गिरे थे, सारण में भी दो छोटे पुल इसी दिन गिरे थे, 4 जुलाई को सारण के बनियापुर में पुल गिर गया था.